एक्सप्लोरर

QUAD की बैठक, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का ऑस्ट्रेलियाई दौरा रद्द करना, वैश्विक राजनीति के लिए है संदेश

ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत के नेताओं के बीच 24 मई को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में क्वाड की बैठक होने वाली थी. क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी हिस्सा लेना था, हालांकि अब वह इसमें शामिल नहीं होंगे. वह जापान में होने वाले जी-7 समिट में हिस्सा लेंगे, और इसके बाद वह वाशिंगटन लौट आएंगे. बाइडेन को जापान के बाद ही ऑस्ट्रेलिया जाना था. बाइडेन दरअसल कर्ज अदायगी में चूक को लेकर अमेरिका में विरोधी दल के नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे और इसीलिए उन्होंने क्वाड की बैठक के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने से मना कर दिया है. वैसे, अब चारों देशों के नेता जापान में ही जी7 बैठक के इतर क्वाड की भी शिखर वार्ता करेंगे, ऐसी खबरें आ रही हैं.

इस यात्रा के रद्द होने को समग्रता में देखें

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ऑस्ट्रेलिया यात्रा स्थगित हुई है, उसको अमेरिका की घरेलू नीति के परिप्रेक्ष्य में भी देखने की जरूरत है. अमेरिका अपनी ऋण नीति को लेकर विचार कर रहा है, सीनेट की इस संदर्भ में मीटिंग होनी है, क्योंकि अमेरिका में कर्ज की मात्रा बहुत बढ़ गई है. अमेरिकी कांग्रेस के डेट कैंसिलेशन पर विचार करने के लिए राष्ट्रपति का होना जरूरी है. कहा यही जा रहा है कि इसी कारण से बाइडेन ने जापान में जी7 की मीटिंग के बाद सिडनी का दौरा रद्द करने का फैसला किया है, जहां क्वाड की मीटिंग होनी थी. हालांकि, क्वाड बैठक के बाद उनको पापुआ न्यू गिनी भी जाना था और वह यात्रा भी उन्होंने कैंसल कर दी है. यह एक ऐसा तर्क है, जो समझ में आता है. तर्क ये है कि अमेरिका की इकोनॉमी भी अच्छी होना चाहिए, अगर वह चीन के साथ लगातार विवाद की स्थिति में है, स्टैंड ऑफ में हैं.

वैश्विक स्तर पर अमेरिका की छवि को झटका

हालांकि, इसको अगर हम इंडो-पैसिफिक रीजेन के संदर्भ में देखें तो यह भी जानना जरूरी है कि क्वाड का समिट बाइडेन ने ही बुलाया था. कुछ लोग अगर कह रहे हैं कि बाइडेन क्वाड को लेकर उतने गंभीर नहीं हैं, तो यह गलत है. 2007 से 2017 तक तो क्वाड बस औपचारिक बैठकें कर लेता था, लेकिन सेक्रेटरी लेवल से फॉरेन मिनिस्टर लेवल और फिर समिट के स्तर तक बाइडेन ही लाए थे. फिर कोरोना काल में उन्होंने ऑनलाइन भी शिरकत की थी. फिर, व्यक्तिगत मुलाकातें की थीं और अब ये समिट होना था. दूसरी तरफ, इस बैठक से बाइडेन के हटने से एक गलत संकेत तो गया है. खासकर, जो छोटे-छोटे देश हैं, उनके लिए.

ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के साथ तो यह भी तय हो गया है कि जी 7 देशों की बैठक के साइडलाइन में ही इन देशों की बैठक भी होगी, जिसे मीडिया अब 'जापान में क्वाड' का नाम भी दे रही है. लेकिन जब चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है और वह इस इलाके में लगातार उपस्थित है, तो अमेरिका का यह फैसला छोटे देशों के लिए जरूर घबराने वाला है.

हालांकि, अमेरिका की घरेलू राजनीति की जटिलता को समझते हुए ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान स्थिति को समझेंगे. ऑस्ट्रेलिया ने प्रशांत क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को बहुत गंभीरता से लिया है और वह लगातार अपने सहयोगी देशों के साथ मीटिंग कर रहा है. पापुआ न्यू गिनी में पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति जाता और वहां तो सरकारी तौर पर सार्वजनिक छुट्टी घोषित की गई थी, तो उनके लिए ये सेटबैक तो होगा ही.

चीन जिस तरह पैसिफिक क्षेत्र में अपना आधिपत्य जमाने की कोशिश कर रहा है, जिस तरह चीन की उपस्थिति हर जगह दिख रही है और अमेरिका को उपस्थिति दिखानी पड़ रही है, वह भी चिंता का विषय है. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग लगातार घूम रही हैं, लेकिन बाइडेन का पीछे हटना एक झटका तो है ही. हां, यह जरूर है कि क्वाड पर इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके नेता तो मिल ही लेंगे, लेकिन अमेरिका की छवि पर प्रभाव तो पड़ेगा.

अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा बरकरार रखी है, यह एक संकेत है कि अमेरिका के बिना भी हम आगे बढ़ें. अमेरिका का नॉन-कमिटल अप्रोच जो है, वह इससे सामने आया है. इससे दूसरे देशों को यह संदेश तो मिला ही है कि अपनी सुरक्षा को बढ़ाएं, उस पर खुद मेहनत करें, अमेरिका मात्र पर निर्भर नहीं रह सकते. जो भी द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय समझौते होने हैं, उसको करते रहना है. इससे एक संकेत यह भी जाता है कि अमेरिका का जो एकाधिकार, जो आधिपत्य था, वह खत्म होते जा रहा है और अब दुनिया बहुध्रुवीय हो गई है. यह ठीक भी है.

अभी ऑस्ट्रेलिया ने जो अपनी नई डिफेंस पॉलिसी बनाई है, रक्षा बजट उसमें बहुत बढ़ाया है. उसमें सहयोगियों के साथ ही सेल्फ-रिलायंस और डिफेंस पर भी बात कही गई है. उन्होंने अमेरिका के साथ इंगेजमेंट पर जोर दिया है, लेकिन साथ ही जापान और भारत जैसे समान सोच वाले देशों के साथ भी संबंध प्रगाढ़ करने की बात कही है. यह अमेरिका की छवि के लिए धक्का है कि उसे सुरक्षा के मामले में पक्का दोस्त नहीं माना जा सकता. जैसे, अफगानिस्तान को इन्होंने छोड़ा और वहां तालिबान ने कब्जा कर लिया.

यह ट्रंप की नीति का ही एक तरह से विस्तार लगता है कि अमेरिका केवल अकेला कुछ नहीं करेगा, बल्कि बाकी सहयोगी देश भी कदम बढ़ाएं. उन्होंने फ्रांस और जर्मनी को कहा. जापान को तो 1990 के दशक से ही इस तरह के संकेत दिए जा रहे थे. इसीलिए शिंजो आबे ने जब आर्टिकल 9 को दुरुस्त किया तो अब जापान अपने डिफेंस पर ध्यान दे रहा है. भारत तो खैर अमेरिका पर उस तरह से कभी निर्भर ही नहीं था. यह बताता है कि केवल अमेरिकी पक्ष ही सिक्योरिटी की गारंटी नहीं लेगा, सदस्य देशों को भी अपनी कमर बांधनी पड़ेगी.

अमेरिका डूबा नहीं है, विश्व बहुध्रुवीय हो रहा है

ऐसा नहीं है कि अमेरिका सुपरपावर के तौर पर खत्म हो गया है या वह डूब गया है. हां, अब बहुध्रुवीय दुनिया होगी, कई और सारी ताकतें उभरेंगी. अमेरिका आज भी बहुत बड़ा है और उसके साथ कई मित्र देश खड़े हैं. चीन दुनिया पर छाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके साथ कोई क्रेडिबल पार्टनर कहां है? चीन ने यूरोप में कोशिश की है, लेकिन उसको समर्थन बहुत कम है. जी 7 में चीन नहीं है. वहां चूंकि सही मायने में डेमोक्रेसी नहीं है, इसलिए दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होने के बावजूद चीन उस तरह से वैश्विक भूमिका में नहीं है.

चीन सुपरपावर बनने की होड़ में है, लेकिन वह भी विश्वास के लायक नहीं है. कोविड महामारी को लेकर उसकी साख और भी कम हुई है. चीन के साथ साख का संकट बहुत बड़ा है. जिस भी देश के साथ उसकी सीमा लगी है, वह उसी के साथ विवाद में है. उसकी विस्तारवादी नीति की वजह से भी दुनिया के कई देश उससे दूरी बरतते हैं. फिर, भारत भी बहुत तेजी से उभर रहा है. भारत भी 2040-45 तक एक बड़ी ताकत के तौर पर उभरेगा. भारत ने चूंकि वैश्वीकरण देर से किया, चीन ने कुछ पहले किया, इसलिए भारत वहां पहुंचेगा, लेकिन थोड़ी देर से.

फिलहाल तो दुनिया इसी तरह से रहेगी. अमेरिकी नेतृत्व में प्रजातांत्रिक देशों का एक गठबंधन रहेगा. चीन को प्रजातंत्र नहीं होने की वजह से ही वह समर्थन नहीं मिलेगा. चीन के दोस्त कौन हैं, जरा देखिए. पाकिस्तान और उत्तर कोरिया. अगर आप रूस के बारे में सोच रहे हैं, तो क्या चीन-भारत युद्ध के वक्त रूस चीन के साथ जाएगा...नहीं, वह भारत के साथ रहेगा. इसी तरह विश्व पटल पर कई सारे और गठबंधन उभरेंगे. भारत एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर वैश्विक रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाएगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका डूब गया है या अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो जाएगा.

(यह आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)  

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
Mon Mar 24, 2:47 pm
नई दिल्ली
31.4°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 18%   हवा: SE 8.5 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

भारत पर नहीं है ट्रंप के टैरिफ का खतरा? रिपोर्ट का दावा- 2 अप्रैल को मिल सकती है राहत
भारत पर नहीं है ट्रंप के टैरिफ का खतरा? रिपोर्ट का दावा- 2 अप्रैल को मिल सकती है राहत
'भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां 15 फीसदी महिलाएं...', ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया बड़ा बयान
'भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां 15 फीसदी महिलाएं...', ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया बड़ा बयान
43 की उम्र में 0.12 सेकंड में स्टंपिंग, एमएस धोनी की फुर्ती पर फिदा हुए मैथ्यू हेडन; दे डाला बड़ा बयान
43 की उम्र में 0.12 सेकंड में स्टंपिंग, एमएस धोनी की फुर्ती पर फिदा हुए मैथ्यू हेडन; दे डाला बड़ा बयान
12 साल की उम्र में किया था भोजपुरी सिनेमा में डेब्यू, आज कहलाता है पावर स्टार, जानें नेटवर्थ
12 साल की उम्र में किया था भोजपुरी सिनेमा में डेब्यू, आज कहलाता है पावर स्टार
ABP Premium

वीडियोज

IPO ALERT: Desco Infratech IPO में Invest करने से पहले जानें पूरी जानकारी | Paisa LiveJaat Trailer Review: Sunny Deol - Randeep Hooda के बीच जबरदस्त एक्शन, राणातुंगा की लंका जलाएगा 'जाट'1 April से पुरानी कार में Petrol डलवाने पर लगेगी भारी Penalty | Trending | Paisa LiveKunal Kamra Contro : Congress नेता ने कर दी मांग Raj Thackeray के खोखे वाले बयान पर कब होगा एक्शन | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
भारत पर नहीं है ट्रंप के टैरिफ का खतरा? रिपोर्ट का दावा- 2 अप्रैल को मिल सकती है राहत
भारत पर नहीं है ट्रंप के टैरिफ का खतरा? रिपोर्ट का दावा- 2 अप्रैल को मिल सकती है राहत
'भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां 15 फीसदी महिलाएं...', ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया बड़ा बयान
'भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां 15 फीसदी महिलाएं...', ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया बड़ा बयान
43 की उम्र में 0.12 सेकंड में स्टंपिंग, एमएस धोनी की फुर्ती पर फिदा हुए मैथ्यू हेडन; दे डाला बड़ा बयान
43 की उम्र में 0.12 सेकंड में स्टंपिंग, एमएस धोनी की फुर्ती पर फिदा हुए मैथ्यू हेडन; दे डाला बड़ा बयान
12 साल की उम्र में किया था भोजपुरी सिनेमा में डेब्यू, आज कहलाता है पावर स्टार, जानें नेटवर्थ
12 साल की उम्र में किया था भोजपुरी सिनेमा में डेब्यू, आज कहलाता है पावर स्टार
खतरे में है डॉली चायवाले का करियर! अतरंगी ड्रिंक बनाने का वीडियो हुआ वायरल, दूध की धार देख हैरान हुए लोग
खतरे में है डॉली चायवाले का करियर! अतरंगी ड्रिंक बनाने का वीडियो हुआ वायरल, दूध की धार देख हैरान हुए लोग
PF Withdrawal Rules 2025: पीएफ अकाउंट से पैसा निकालना हुआ आसान, EPFO ने दिए दो विकल्प, यहां जानिए प्रोसेस
PF Withdrawal Rules 2025: पीएफ अकाउंट से पैसा निकालना हुआ आसान, EPFO ने दिए दो विकल्प, यहां जानिए प्रोसेस
भारत बना रहा 6th जेनरेशन एयरक्राफ्ट? US-चीन के फाइटर जेट पर बोले ADA अधिकारी- 2028 तक इंडिया का भी...
भारत बना रहा 6th जेनरेशन एयरक्राफ्ट? US-चीन के फाइटर जेट पर बोले ADA अधिकारी- 2028 तक इंडिया का भी...
PM Kisan Yojana: इस महीने में आ सकती है पीएम किसान योजना की अगली किस्त, किन्हें मिलेंगे 4000 रुपये?
इस महीने में आ सकती है पीएम किसान योजना की अगली किस्त, किन्हें मिलेंगे 4000 रुपये?
Embed widget