UP Election 2022: जैसे-जैसे ये तय होता जा रहा है कि यूपी में मुकाबला सीधा-सीधा बीजेपी और एसपी के बीच है, वैसे-वैसे गठबंधन को लेकर भी कमल और साईकिल के बीच रस्साकशी तेज होती जा रही है. जहां तक गठबंधन के समीकरण बैठाने की बात है, इस दफा उस मोर्चे पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रखी है. एक दूसरे के नेताओं की तोड़फोड़ के साथ-साथ गठबंधन मजबूत करने में भी दोनों दलों की दौड़ क्लाईमेक्स से पहले ही काफी तेज हो गई है. राज की बात ये है कि ऐन चुनाव से पहले गठबंधन के समीकरण बदले हुए नजर आ सकते हैं. वहीं एसपी ने कांग्रेस का हाथ तो झिड़क दिया था, लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ शहरी सीटों पर बात बन सकती है.


राजभर को अपनी तरफ लाकर एसपी ने ठोकी ताल
उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे दलों और समूहों के साथ 2014 में जिस तरह से ब्रांड मोदी को भुनाकर अमित शाह ने पूरी सियासत की दशा-दिशा बदल दी थी, उसी फार्मूले से एसपी भी इस दफा सत्ताधारी दल को कड़ी चुनौती दे रही है. केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में बीजेपी ही है. बाकी बीजेपी को प्रचंड बहुमत यूं ही मिला हुआ था. ऐसे में तमाम गुट या दलों को वांछित तवज्जो नहीं मिली. ऐसी ही पार्टी है ओम प्रकाश राजभर की पार्टी जो बीजेपी से अलग छिटककर अखिलेश की साईकिल पर सवार हो गई है. राज की बात ये है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व अभी भी राजभर पर आपरेशन में लगा है. विधानसभा चुनाव से पहले तक कुछ भी संभव है और मजे की बात है इस बात को एसपी भी समझ रही है.


राजभर के साथ एसपी का लगातार संवाद-बीजेपी के कुनबे पर भी नजर
एसपी जानती है कि बीजेपी आखिरी समय तक उसके कुनबे में सेंध जरूर मार सकती है. ऐसे में वो राजभर पर नजर तो रखे है और उन्हें बेहतर भागीदारी देने का वादा भी है. लगातार संवाद भी जारी है. मगर दिलचस्प बात है कि बीजेपी के कुनबे पर एसपी की भी नजर है. बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के संजय निषाद से एसपी ने संपर्क साधा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे वर्गों को लेकर ये खींचतान चल ही रही है. अब एक और दिलचस्प बात जानिए. राजभर को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से एसपी के साथ गठबंधन कर चुके महान दल में बेचैनी है. महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को लगता है कि राजभर की पार्टी से ज्यादा प्रभाव उनका है. राज की बात ये है कि केशव देव मौर्य के साथ भी अभी बीजेपी की बात जारी है.


आरएलडी के जयंत चौधरी के साथ एसपी का गठबंधन तय
ये तो रही पूर्वाचंल के कुनबे में मची खींचतान को लेकर बात लेकिन राज की बात ये है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़े मोर्चे पर अब समाजवादी पार्टी आश्वस्त है. पश्चिम में राष्ट्रीय लोक दल यानी जयंत चौधरी के साथ अखिलेश की मंगलवार को हुई मुलाकात के बाद अब गठबंधन बना रहना तय है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस भी जयंत के संपर्क में हैं. कांग्रेस ने बीएसपी के साथ रालोद को लेकर गठबंधन का चारा फेंका था, लेकिन मायावती की तरफ से कोई संकेत नहीं आए. राज की बात ये है कि अखिलेश ने जयंत को 36 विधानसभा सीटों के टिकट देने पर बात कर ली है, लेकिन 7 दिसंबर की संयुक्त रैली से पहले जयंत को कुछ भी बोलने को मना कर दिया है.


इन खास सीटों पर एसपी ने ठोकी अपनी दावेदारी
खास बात है कि जिस तरह से जयंत चौधरी अभी बिल्कुल अखिलेश की बात का पालन कर रहे हैं, उससे ये तो तय हो चुका है कि जयंत और अखिलेश इस दफा चुनाव में साथ ही जाएंगे. इसके अलावा एसपी अध्यक्ष से आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और महासचिव संजय सिंह और आप विधायक दिलीप पांडेय की मुलाकात गुल खिला सकती है. राज की बात ये है कि शहर की 30 सीटें जहां पर अखिलेश तीसरे या चौथे नंबर पर रहे थे, पिछले चुनाव में वहां पर एसपी ने अपनी दावेदारी ठोकी है.


एसपी का छोटे दलों से गठबंधन का फार्मूला सही दिशा में बढ़ रहा
ध्यान रहे कि यही फार्मूला कांग्रेस ने भी एसपी को दिया था, लेकिन उनकी चाहत 60 से ज्यादा सीटों की थीं. मगर आम आदमी पार्टी ने भले ही 30 की सूची दी हो, लेकिन खाता खोलने के लिए एसपी का साथ पाने के लिए वह नंबर पर समझौता करेगी ही. राज की बात ये है कि 10 से 12 सीटों पर एसपी और आम आदमी पार्टी के बीच बात बन सकती है. तो आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस को भले ही अखिलेश ने किनारे कर दिया हो, लेकिन छोटे-छोटे गठबंधन का उनका बड़ा प्लान अभी सही दिशा में चल रहा है.


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