कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक दिन पहले सूरत कोर्ट ने मोदी सरनेम वाले मान हानि केस में दोषी करार दिया और एक दिन के बाद उनकी संसदीय सदस्यता खत्म कर दी गई है. सबसे बड़ी बात ये है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ये मानना है और ये महसूस कर रही है कि पूरे देश में लोकतंत्र को पूरी तरह से कुचला जा रहा है. आप अपनी बात को कहीं भी किसी भी मंच पर नहीं रख पा रही है, चाहे वो देश की संसद हो या संसद के बाहर आपको अपनी बात रखनी हो. आप क्या कह रहे हैं उसका कोई मायने नहीं है. लेकिन आप देखिये कि मोदी शरनेम राहुल गांधी की बात को मैं एक बार दोहरा रही हूं उन्होंने यही कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी ये सब और गुजरात से ये जो लोग हैं उनको किन का संरक्षण प्राप्त है ये मोदी ही ऐसा क्यों हैं?
ये लोग देश का पैसा चाहे वो चोकसी हो या अडानी हो...तो एक बात इस पर कही गई और उस पर मान हानि का दावा सूरत के जिला अदालत में 2019 में राहुल गांधी के भाषण के बाद दर्ज किया गया था. अब 2023 आते-आते उस मामले में जिला अदालत जो है वो अवमानना का केस मानती है और राहुल गांधी को 2 साल की सजा और उनकी सदस्यता को रद्द कर दी जाती है. मुझे नहीं लगता है कि इस मामले में किसी तरह का कोई अवमानना हुआ है. आज आप देख रहे हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक के बाद एक ट्वीट कर रहे हैं और जितने भी लोग इनके शासन काल में देश के बैंकों का पैसा लेकर भागे हैं उनको बचाने के लिए आप जाति और समाज के नाम पर खेल रहे हैं कि वो ओबीसी हैं.
इसका क्या मतलब हुआ कि अब अपराधियों की उसका जाति और धर्म देखकर आप बात करेंगे या उसका क्राइम देखकर बात करेंगे. दूसरी बात ये है कि राहुल गांधी जी और कांग्रेस लगातार जेपीसी की मांग कर रही है अडानी के महाघोटाले की जांच करने के लिए. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में एक पर एक बातें सामने आ रही है. कोर्ट ने भी उसे सही मानते हुए एक कमेटी गठित करते हुए अडानी के खातों का और लेन-देन की रिपोर्ट देने को कहा है. सरकार ने कब-कब किन देशों में अपने साथ ले जाकर इन्हें बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट देश के नाम पर दिलवाएं हैं और आपने नियम-कानूनों में क्या बदलाव किया है? उसकी जांच सिर्फ जेपीसी ही कर सकती है.
सिर्फ यही एक कारण है. मैं इस बात से पूर तरह से सहमत हूं कि उन्हें सिर्फ सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलने के लिए फ्रेम किया जा रहा है. राहुल गांधी जी पूरे देश में विपक्ष की और देश के करोड़ों लोगों की आवाज बन चुके हैं. आज किसान दिल्ली की शरहद पर एक बार फिर बैठने को क्यों मजबूर है क्योंकि उसकी आय दोगुनी होनी थी जो नहीं हुई. उसका कर्ज माफ होना था जो नहीं हुआ. एमएसपी के लिए कानून आना था जो नहीं आया. आज राहुल गांधी उन्हीं की आवाज बनकर संसद के अंदर और बाहर बोल रहे हैं. देश में करोड़ों युवा बेरोजगार हैं. महंगाई बढ़ रहा है, गैस, पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. लोगों को कोई राहत नहीं है तो राहुल गांधी जी उनकी भी आवाज बन रहे हैं. खास तौर पर भारत जोड़ो यात्रा 4000 किलोमीट 12 राज्यों से 40 दिन गुजरी तो इस सभी की आवाजों को लोकतंत्र में एक ताकत मिली, एक मंच मिला. अब भाजपा की बौखलाहट ये है कि राहुल गांधी जिनके पीछे सीबीआई, ईडी और दिल्ली पुलिस जो भेजी गई उनसे डर नहीं रहे हैं और लगातार सरकार से जनहित के मुद्दों पर घेरने का काम सदन के अंदर और बाहर कर रहे हैं.
हम कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ता और पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी जी ने सदन के अंदर, विदेश की धरती पर सरकार के खिलाफ और कर्नाटक में जो कुछ भी कहा है वो जनता के आवाज है जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन न ये दबेंगे, न ये डरेंगे जो कहा हम आज भी उस पर अडिग हैं. इसके पीछे सिर्फ एक ही कारण है कि राहुल गांधी जी आज देश की जनता के लिए एक मुखर आवाज बन चुके हैं. कोई दूसरे नेता का नाम बताइये जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक देश को एक सूत्र में जोड़ने के लिए निकला हो और जिसके लिए लोग निकले हों और जिसने 4000 किलोमीटर की यात्र करके कश्मीर के कशमीरी पंडित हों, दलित हों, आदिवासी, किसान और युवा हों इन सभी की आवाजों को सुना और उनसे वादा किया था कि मैं दिल्ली पहुंच कर संसद में आप सभी का दर्द रखूंगा.
जब राहुल गांधी ने यात्रा की तो उस दौरान महिला सुरक्षा का मुद्दा सामने आया. महिलाएं मिली और अपने साथ होने वाले सोशल अत्याचार और अन्याय के खिलाफ उन्होंने बात की. दिल्ली पुलिस आती नहीं है उसे भेजा जाता है 45 दिन के बाद राहुल गांधी ने जो कश्मीर में कहा था तो दिल्ली पुलिस आती है कि उन महिलाओं की जानकारी दीजिए...तो दो महिलओं की जानकारी देश के समाने है जिसमें पहली महिला दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने खुद कहा कि उनके पिता जोकि अभी जीवित हैं ने उनके साथ शारीरिक शोषण किया और उनके ऊपर अत्याचार किया...क्या दिल्ली पुलिस स्वाती मालिवाल के पास गई और क्या उनके पिता पर कार्रवाई हुई नहीं.
जब लोकतंत्र में आपकी सारी तरफ से उम्मीदें खत्म हो जाती हैं, देश की संसद तक को कॉम्प्रोमाइज किया जाता है, आवाज नहीं सुनी जाती है, संसद नहीं चलता है तो देश के करोड़ों लोगों की उम्मीद उसके बाद सिर्फ एक सर्वोच्चा न्यायालय पर रह जाती है. आप देखिये कि गुजरात के बिल्किस बानो वाले मामले में सारे अपराधियों को बाइज्जत बरी करके छोड़ दिया गया. हमें खुशी है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा से सुनवाई कर रही है क्योंकि चुनाव के दौरान सभी छोड़ा गया और इसका फायदा भी हुआ भाजपा को लेकिन सुप्रीम कोर्ट को यह लगा कि इस मामले में गलत हुआ है...तो ऐसे बहुत सारे मामले हैं. मैं इस वक्त कर्नाटक के बैंगलुरु में हूं और महिलाओं के एक बहतु बड़े सम्मेलन को संबोधित भी करूंगी तो यहां पर भी एक भाजपा का नेता है सेंट्रो रवि नाम का और प्रधानमंत्री जी कहते हैं बेटी बचाओ लेकिन ये जो भाजपा का कार्यकर्ता है रवि ये यहां पर बेटियों को स्पलाई करता रहा है, वैश्यवृत्ति में धकेलता रहा है और वो गुजरात में जाकर पकड़ा जाता है...तो बात है कि जो भाजपा बटे बचाओं को नारा देती है आज इन्हीं के नेताओं से बेटियों को बचा पाना मुश्किल हो गया है और भाजपा बेटियों को नहीं बल्कि बलात्कारियों को, दोषियों और आरोपियों को लगातार बचा रही है.