कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केंद्रीय एजेंसियों की जांच में घिरी कांग्रेस ने अपनी ताकत दिखाने के लिए आज दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई पर हल्ला बोल रैली की. राहुल गांधी ने महंगाई और बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार पर चौतरफा हमले करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी व्यक्तिगत रूप से हमला किया. पिछले कुछ अरसे में बेशक महंगाई में बेतहाशा रुप से बढ़ोतरी हुई भी है लेकिन सवाल ये है कि कांग्रेस के इस हल्ला बोलने का सरकार पर कितना व कैसा असर होगा?


वह इसलिये कि बीजेपी ने कांग्रेस के तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हुए कह दिया है कि यह रैली महंगाई के खिलाफ नहीं बल्कि गांधी परिवार को बचाने के लिए थी.हालांकि महंगाई,गरीबी व बेरोजगारी के बहाने राहुल गाँधी ने सरकार के साथ ही बीजेपी को भी कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि जब से बीजेपी सत्ता में आई है तब से देश में नफरत और क्रोध बढ़ता जा रहा है. देश में नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है. बीजेपी इसी नफरत और डर से देश को बांटने का काम कर रही है. बीजेपी लोगों को डराने का काम करती है. बीजेपी ने देश को नफरत से कमजोर बनाया है.उन्होंने सवाल किया कि आखिर ये ऐसा किसके लिए करते हैं ? 


वैसे जिस मुख्य मुद्दे को लेकर ये रैली हुई,उसमें भाषण देने के लिये राहुल आज काफी तैयारी के साथ आये थे लेकिन अगर उन्होंने थोड़ा होम वर्क और किया होता,तो वे लोगों को आकंड़ों की जुबानी ये बता सकते थे कि पिछले साल भर में ही रसोई गैस, पेट्रोल,डीज़ल से लेकर खाने-पीने की जरुरी चीजों की कीमतों में कितनी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. लोकतंत्र में मुख्य विपक्ष का काम होता है कि वह सरकार को घेरने के लिए सही तथ्य व आंकड़े जनता की अदालत में पेश करे, ताकि जनता ही ये फैसला ले सके कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है. लेकिन लगता है कि इस मोर्चे पर कांग्रेस कामयाब नहीं हो पाई है क्योंकि महंगाई-बेरोजगारी का अहसास होने के बावजूद जनता उसका साथ देने में अभी भी कतरा रही है. इसे हम पीएम मोदी की लोकप्रियता कहें या फिर विपक्ष की नाकामी कि वह जनता का भरोसा जीतने में उतना सफल होता नहीं दिख रहा है.


राहुल गांधी ने ये तो कहा कि यूपीए सरकार ने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा था और मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों में 23 करोड़ लोगों को गरीबी में झोंक दिया है.लेकिन ये नहीं बताया कि इसकी वजह क्या रही और सरकार किस-किस मोर्चे पर रोजगार देने में विफल रही.उन्होंने आटा, दाल, पेट्रोल, तेल से लेकर हर वस्तु की कीमत आसमान छूने का जिक्र किया लेकिन एक जिम्मेदार विपक्षी नेता होने के नाते उन्हें सरकार को ये नसीहत भी देनी चाहिए थी कि वह इस पर कैसे कंट्रोल कर सकती है.


राहुल गांधी हालांकि पहले भी पीएम मोदी पर ये आरोप लगाते रहे हैं कि ये सरकार गरीबों के लिए नहीं बल्कि सिर्फ दो-चार उद्योगपतियों के लिए ही काम करती है.उसे आज फिर दोहराते हुए राहुल ने तंज कसा कि आखिर देश के गरीबों को मोदी ने क्या दिया? इस डर का फायदा सिर्फ दो उद्योगपतियों को हो रहा है और मोदी सरकार में वही दो उद्योगपति फायदा उठा रहे हैं. आपके भय और नफरत का फायदा इन्हीं के हाथों में जा रहा है. पिछले 8 साल में किसी और को कोई फायदा नहीं पहुंचा. मीडिया देश को डराती है. तेल, एयरपोर्ट, मोबाइल का पूरा सेक्टर इन्हीं दोनों उद्योगपतियों को दिया जा रहा है.


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस की इस हल्ला बोल रैली को परिवार बचाओ रैली बताया था,उसकी ताक़ीद खुद राहुल गांधी ने अपने भाषण में प्रवर्त्तन निदेशालय यानी ईडी का जिक्र करते है कर दी.राहुल ने कहा कि मुझे 55 घंटे ईडी के सामने बैठाया गया. आप मुझसे 55 घंटे पूछताछ करो या 500 घंटे या फिर पांच साल, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. आज देश को बचाने का काम हर हिंदुस्तानी को करना होगा. अगर आज हम खड़े नहीं हुए तो फिर ये देश नहीं बचेगा.


अब इसे कांग्रेस का अति उत्साह कहें या फिर अपरिपक्वता समझें लेकिन राहुल ने ईडी का जिक्र करके मूल मुद्दे से ध्यान भटकाने की चूक कर दी,जिससे न सिर्फ इस रैली का महत्व कम हो गया बल्कि सरकार व बीजेपी को भी कांग्रेस पर हमलावर होने का मौका मिल गया कि रैली का मकसद महंगाई का विरोध नहीं बल्कि परिवार को बचाने के लिए अपनी ताकत की नुमाइश करना ही था.


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