देवभूमि का एक इतिहास तो बीजेपी नहीं बदल सकी कि उसका कोई मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा कर पाए. मगर वह उत्तराखंड में सरकार में दोबारा न आने की परंपरा को बदलने के लिए पूरी जी-जान लगा रही है. इस कड़ी में उसने दो मुख्यमंत्री तो बदले, लेकिन अब कांग्रेस से उसके राज्य के सबसे बड़े नेता को भी ले उड़ने की तैयारी है.


जिस तरह से कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि बीजेपी ने उसके महापुरुष ले लिए. इस कड़ी में सबसे पहले सरदार पटेल फिर सुभाष चंद्र बोस और डा. भीमराव अंबेडकर का नाम आता है. बीजेपी ने इन विभूतियों को इस तरह अपनाया और यह साबित कर दिया कि कांग्रेस ने इनकी उपेक्षा की और जो सम्मान आजाद भारत में इन महापुरुषों को मिलना चाहिए, उसे नहीं मिला. अब बीजेपी उस काम को पूरा कर रही है.


राज की बात ये है कि कांग्रेस को फिर अब उत्तराखंड में ये आरोप लगाते जल्दी ही आप सुन सकते हैं. उत्तराखंड के शिखर पुरुष और पहले मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी भी बीजेपी के चुनावी अभियान का प्रमुख हिस्सा बनने जा रहे हैं. तिवारी अकेले ऐसे उत्तराखंड के सीएम हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. इतना ही नहीं अविभाजित यूपी के भी वे मुख्यमंत्री रहे और विकास पुरुष के रूप में उनकी छवि बनी थी.


बीजेपी ने ऊधम सिंह नगर जिले में सिडकुल  यानी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कोआपरेशन आफ उत्तराखंड का नाम बदल दिया है. पंतनगर इलाके में मौजूद इस औद्योगिक इलाके का नाम एन.डी. तिवारी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कोआपरेशन आफ उत्तराखंड का नाम दे दिया गया है. राज की बात ये है कि इसके पीछे सोच केंद्र यानी दिल्ली से आई है.


नारायण दत्त तिवारी को ही उत्तराखंड में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में औद्योगिक अवस्थापना कराने का श्रेय जाता है. वैसे यूपी में भी नोयडा जो कि आज देश के सबसे बड़े राज्य की आदमदनी का सबसे बड़ा जरिया है, उसकी स्थापना भी नारायण दत्त तिवारी ने ही की थी.


खास बात ये है कि तिवारी की पहाड़ में छवि और विकास पर फोकस के दृष्टिगत बीजेपी उनके नाम को आगे बढ़ाएगी. यहां बताना जरुरी है कि तिवारी के कांग्रेस में सबसे धुर विरोधी हरीश रावत ही थे. रावत ने हमेशा तिवारी के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखा. अभी हरीश रावत ही कांग्रेस की कमान प्रदेश में संभाल रहे हैं और उनके सामने तिवारी की अक्श को खड़ा कर बीजेपी चुनावों में एक और रंग भर रही है.



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