अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में फतह के लिए सभी दलों ने चोटी तक पहुंचने के लिए एड़ी का जोर लगा रखा है. शह मात का खेल जारी है. चूंकि, बीजेपी सत्ता में है लिहाजा पार्टी संगठन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने चुनौती ज्यादा बड़ी है. लिहाजा संगठन के स्तर पर पूरी ताकत झोंक दी गई है, लेकिन इसी सियासी समर को साधने के लिए जिस बड़े प्लान पर बीजेपी और सीएम काम कर रहे हैं, वही राज की बात हम आपको आज बताने जा रहे हैं. बीजेपी की उस पूरी चुनावी प्लानिंग से आपको हम परिचित करवाएंगे लेकिन उससे पहले कुछ तस्वीरें देखिए.


बुल्डोजर के प्रहार से जमींदोज होती इमारतें, धूल में तब्दील होती आलीशान बिल्डिंगे योगी सरकार के सख्त प्रशासन की मानक तस्वीरें पूरे देश के सामने बन चुकी हैं. माफिया और बाहुबलियों के खिलाफ सख्त कार्ऱवाई का यूपी मॉडल पूरे देश में चर्चित हो चुका है. हालत ये हैं कि जिन माफिया और गैंगस्टर्स की हनक के सामने प्रशासन पसीना पसीना होकर घूमता था आज उन्हीं माफिया और बाहुबलियों के होश फाख्ता हैं. जिन बाहुबलियों के इर्द गिर्द सत्ता के सम्मान का पहरा 24 घंटे बना रहता था, आज उन्हीं माफियाओं की संपत्ति कुर्क हो रही है, इमारतें ध्वस्त हो रही हैं. जिन्हें सत्ता के गलियारे जन्नत सरीखे लगते थे उन्हें योगी आदित्यनाथ की सख्ती ने जेल को सबसे महफूज ठिकाना समझने पर मजबूर कर दिया.


चाहे मुख्तार अंसारी की बात कर लीजिए, चाहे अतीक अहमद की बात कर लीजिए. ख़ासतौर से सांप्रदायिक ध्रुवीकृत करने वाले अपराधियों और सफ़ेदपोशों की एक लंबी फेहरिस्त यूपी में तैयार हो चुकी है जो पाप की कमाई से धन्ना सेठ जरूर बने लेकिन उनके हालात रंक सरीखे हो गए हैं. जेल में कैद इन माफिया को जब भी सलाखों से राहत मिलेगी तो शायद उन्हें बाहर छत भी नसीब होना मुश्किल हो जाएगा. ये तो रही बात योगी आदित्यनाथ के एंटी माफिया और बाहुबली ऑपरेशन की जिससे उनकी छवि फिल्मी हीरो के तरह जनता के बीच बन चुकी है और इसका व्यापक असर भी चुनाव पर निश्चित रूप से देखने को मिलेगा. शुक्रवार को लखनऊ में गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपराधियों के ख़िलाफ़ योगी की सख़्ती को ही पूरी ताक़त से गिनाया.


इसी कड़ी में चलिये अब आपको बताते हैं वो राज की बात जो आपको जानकर अच्छी लगेगी लेकिन जेल मे बंद माफिया या फरारी काट रहे बाहुबलियों की नब्ज वो राज सुनते ही जम जाएग.। राज की बात ये है कि प्रदेश में व्याप्त माफिया और बाहुबालियों पर सीधा अटैक करके उन्हें तो योगी सरकार ने तबाह करने की कोशिश की है, लेकिन अभी उनकी जड़ें जिंदा हैं, अब अगला वार उन्हीं जड़ों पर होने जा रहा है. हालांकि योगी सरकार के माफिया के खिलाफ ऑपरेशन का कई मौके पर विपक्ष ने खुल कर विरोध किया, अखिलेश यादव आए दिन अपनी रैलियों में बीजेपी वालों की तरफ बुल्डोजर का मुंह मोड़ने की बात कहते हैं. लेकिन इन सब चीजें से बेपरवाह बीजेपी और सीएम योगी ने अपराध मुक्त प्रदेश के मुद्दे को सिद्धातों में भी शामिल कर लिया है और ये बीजेपी के चुनावी कैंपेन का भी सबसे अहम हिस्सा बनने जा रहा है.


राज की बात ये है कि इस बात के पुख्ता तथ्य सामने आ गए हैं कि माफिया और बाहुबली तो अपने अंजाम तक पहुंचाए गए लेकिन उनके समर्थन से सियासत में घुस चुके गुर्गे सफेदपोश होकर सिस्टम को निगल रहे हैं. औऱ ऐसा नहीं है कि माफिया बाहुबलियों के समर्थक केवल विपक्षी पार्टियों में है. सच ये है कि ऐसे बाहुबलियों और माफिया के गुर्गे और समर्थन वाले लोग बीजेपी संगठन और सरकार दोनों में ही सेंध लगा चुके है और ऐसे ही लोग अब योगी सरकार के निशाने पर हैं.


राज की बात ये है कि बीजेपी ने अपने अहाते में छिपे ऐसे माफिया और बाहुबली परस्तों को चिह्नित कर लिया है और पहली सर्जिकल स्ट्राइक इन पर ही होने जा रही है. राज की बात ये है कि बीजेपी सरकार और संगठन ने ये तय कर लिया है कि ऐसे लोगों को भी ठीक उसी तरह से राजनैतिक अछूत बना दिया जाएगा जो हाल मुख्तार और अतीक का हो चुका है. राज की बात ये है कि बीजेपी का टिकट पाकर विधानसभा पहुँचे कुछ माननीय मुख़्तार व अतीक जैसों के एजेंट हैं, उन पर अब सीएम योगी की सीधी नज़र हैं कि अब कमल के निशान से वे विधानसभा न पहुँच पाएँ.


एक वक्त था जब मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जीत की गारंटी हुआ करते थे और आज के दौर में एंटी माफिया अभियान का ऐसा असर हुआ की चाह कर भी कोई दल इन्हें अपने से जोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है और बाहुबलियों को एआईएमआईएम जैसे दलों में शरणागत होना पड़ा रहा है. तो राज की बात ये है कि जिन लोगों ने माफिया और बाहुबलियों की मदद से बीजेपी की सियासत या संगठन में पैठ बना ली है उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. जो विधायक बन चुके हैं उनके टिकट काटे जाएंगे. सियासत के अपराध से मुक्ति दिलाने की इस मुहिम में बीजेपी की प्लानिंग केवल इतनी नहीं है कि माफिया के चेहेतों और गुर्गों पार्टी से बाहर किया जाए. इस कड़ी में पार्टी के एक विधायक जिनका की माफ़िया डान मुख़्तार से वास्ता था, उसे फ़र्ज़ी मार्कशीट के मामले में जेल भेजकर योगी सरकार ऐसे तत्वों को उनकी जगह दिखाने का कड़ा संकेत दे चुकी है.


प्लानिंग बड़ी और इसका विस्तार व्यापक हो इस पर भी रणनीति बन चुकी है. बीजेपी ऐसे अपराध प्रेमियों को अपने कुनबे से तो बाहर करेगी ही साथ ही साथ उन दलों को भी इलेक्शन कैंपेन में निशाने पर लिया जाएगा जो अपराधियों या अपराधियों को गुर्गों को अपना प्रत्याशी बनाएंगे. मतलब साफ है कि जो बुल्डोजर अपराधियों पर योगी सरकार ने चलवाए वो तो पूरे देश ने देखे. लखनऊ में रैली के दौरान माफिया मुक्त आदोलन की तारीफ गृहमंत्री अमित शाह ने भी की. लेकिन राज की बात ये है कि ये अपराध के दमन का चैप्टर वन था. अब बारी उन लोगों की है जो अपराध की सीढ़ी पर सवाल होकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सियासत या सिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं और लोकतंत्र को घुन की तरह खाने लगते हैं.


सियासत के इन्हीं बनते और बिगड़ते समीकरणों के बीच  योगी  आदित्यनाथ और बीजेपी संगठन एक लॉगटर्म दांव पर फोकस कर लिया है जिससे पार्टी की छवि तो बेहतर होगी ही राजनतिित को भी एक नई दिशा मिल पाएगी.



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