राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की तारीफ़ में कसीदे पढ़कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. साल भर के भीतर ही राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं और पूरी संभावना है कि वह कांग्रेस की तरफ से इस बार सीएम का चेहरा नहीं होंगे. इसलिये राजनीतिक गलियारों में मोदी की इस तारीफ़ को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. एक बड़ा सवाल ये है कि गहलोत को क्या ये अहसास हो चुका है कि अब कांग्रेस में उनके लिए कोई जगह नहीं है, लिहाज़ा वे अपने रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित जगह तलाश रहे हैं?


हालांकि राजनीति में सब कुछ पहले से तय नहीं होता लेकिन ताजा इतिहास बताता है कि जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता, वह सब सियासत में एक ही झटके में संभव हो जाता है. गौर करने वाली बात ये भी है कि ये तारीफ़ दोतरफ़ा थी. यानी पीएम मोदी ने भी सार्वजनिक मंच से गहलोत की उतनी ही जमकर तारीफ करके कांग्रेस को ऐसी उधेड़बुन में उलझा डाला कि आखिर वो इसका क्या मतलब निकाले. इसलिये ये मानना भी गलत नहीं होगा कि कांग्रेस में जो लोग गहलोत के अचानक उमड़े इस मोदी-प्रेम पर सवाल उठा रहे हैं, तो उसे गलत ठहराते हुए आखिर सिरे से भला कैसे ठुकराया जा सकता है.


लेकिन सबसे अहम ये है कि पीएम मोदी ने गहलोत की तारीफ़ ऐसे वक्त पर की है,जब अगले कुछ ही दिनों में गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होना है.बता दें कि गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं और वहां के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भी उनके पास ही है.यही वजह है कि पीएम द्वारा उनकी इस तारीफ के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.


दरअसल, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ में मंगलवार को हुए एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के साथ राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे.इस दौरान मंच पर ही अशोक गहलोत और पीएम मोदी के बीच जिस अंदाज में गुफ़्तगू हुई,उससे दोनों पार्टियों के नेताओं के कान खड़े हो गये.उस समारोह को संबोधित करते हुए गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी.


गहलोत ने कहा कि विदेश में पीएम मोदी को खूब सम्मान मिलता है और वह इसलिए मिलता है, क्योंकि वह जिस देश के प्रधानमंत्री हैं, वह महात्मा गांधी का देश है. वह देश, जहां लोकतंत्र की जड़े मजबूत और गहरी हैं और 70 साल के बाद भी जहां लोकतंत्र जिंदा है. गहलोत ने ये भी कहा कि दूसरे देशों में लोग सोचकर गर्व करते हैं कि ऐसे देश के प्रधानमंत्री हमारे मुल्क में आ रहे हैं.


हालांकि इस मौके पर गहलोत ने पीएम के सामने राजस्थान के हेल्थ मॉडल का भी बखान करते हुए  कहा कि पीएम मोदी को ये मॉडल देखना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि अगर राजस्थान के हेल्थ मॉडल का अध्ययन हुआ तो प्रधानमंत्री इसे पूरे देश में लागू करना चाहेंगे. पीएम मोदी ने भी गहलोत की इस तारीफ को सूद समेत चुकाने में जरा भी देर नहीं लगाई. मोदी ने कहा कि अशोक गहलोत और मैंने मुख्यमंत्री के रूप में साथ काम किया था. वह हमारे बहुत से मुख्यमंत्रियों में सबसे वरिष्ठ थे, आज भी यहां मंच पर बैठे सभी मुख्यमंत्रियों में से वो सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्रियों में से एक हैं.


हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अशोक गहलोत की तारीफ की हो. इससे पहले अप्रैल 2020 में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई उस बैठक में भी प्रधानमंत्री ने राजस्थान की गहलोत सरकार के भीलवाड़ा मॉडल की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने टेस्टिंग को लेकर काफी प्रयास किए हैं और कोरोना से बने हालात को अच्छी तरह से डील किया है. लेकिन पीएम मोदी की इस ताजा  तारीफ़ के गहरे सियासी मायने हैं.


राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है. है.कांग्रेस नेतृत्व चुनाव से पहले सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी पर बैठाना चाहता है लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों की बग़ावत का नजारा देखकर अब उसने भी शायद अपने हाथ पीछे खींच लिये हैं. पर, राजनीति का एक सच ये भी है कि मोदी की हर तारीफ़ राजनीति में कोई नया गुल जरुर खिलाती है.इसका ताजा सबूत गुलाम नबी आजाद हैं,जिन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अपनी नई पार्टी बनाकर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के लिए सत्ता तक पहुंचने की राह आसान कर दी है.


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