राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. सचिन पायलट ने सीएम गहलोत पर बीजेपी नेताओं को बचाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा विपक्ष में रहने के दौरान जितने भी घोटाले किए गए, राजस्थान सीएम ने सब दबा दिए. सचिन पायलट कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने अशोक गहलोत के साथ कंधा मिलाकर कांग्रेस की वापसी के लिए प्रदेश में काफी मेहनत भी की थी. सचिन पायलट के काम को हम कमतर नहीं आंक सकते हैं.


लेकिन, इस वक्त पायलट ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीएम अशोक गहलोत के ऊपर जो इल्जाम लगाए हैं, और खुलकर जिस तरह से सामने आए हैं, ये उचित नहीं है. उनको थोड़ा इंतजार करना चाहिए था.


पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, ये अच्छी बात है. उनका काम हमने खुद देखा है. बहुत मेहनती है और बहुत अच्छा सोच-विचार रखते हैं. लेकिन, इस तरीके से पार्टी के विरोध में जाकर शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ अनशन करना और मोर्चा खोलना ठीक नहीं है.



पायलट का अनशन करना उचित नहीं


जब आप पार्टी के अंदर रहते हैं तो ये अपना परिवार होता है. परिवार के अंदर सब मिलजुल कर काम करते हैं. यदि कहीं कुछ कमी दिखती भी है तो हम आपस में बैठकर मसले को सुलझाते हैं. पार्टी का ही एक वरिष्ठ नेता अगर जब दो बच्चे लड़ रहे हों या दो भाई आपस में लड़ रहे हो और इस बात को लोगों के बीच लाते हैं तो ये ठीक नहीं है.


अपने पदोन्नति के लिए अपने ही शीर्ष नेतृत्व के ऊपर अगर इल्जाम लगाते हैं तो अपने को थोड़ा संभलकर चलना होता है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाता है, उनका मनोबल टूटता है. उनकी हिम्मत खराब होती है. पार्टी के अंदर ऐसे बहुत से नेता हैं, बहुत से ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने दरी बिछाई है और बुजुर्ग हो गए, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला. ये हर पार्टी के अंदर है, सिर्फ कांग्रेस की बात नहीं है.  किसी के तकदीर में लिखा होता है और किसी के तकदीर में नहीं लिखा होता है. इसलिए ये अपने आपको मानना जरूरी है कि अपने तकदीर में क्या लिखा हुआ है.


पायलट खुद बताएँ, मन में क्या है


सचिन पायलट ने आखिर बागी रूप क्यों अख्तियार कर रखा है, ये बात वे खुद ही बताएँगे. राज्य में आठ महीने में विधानसभा का चुनाव है. पार्टी में इससे कोई नुकसान ही पहुंचेगा. पार्टी काफी मजबूत है और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है. पार्टी के हर कार्यकर्ता को ये पता है कि उनको क्या करना और क्या नहीं करना है. जब चुनाव आएगा तो मन-धन से पार्टी के साथ थे और पार्टी के साथ ही रहेंगे.


पायलट ने जो भी सवाल उठाए हैं, उसके जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद सक्षम हैं और वो दबने वाले नहीं है. विपक्ष के लोगों की फाइल वो क्यों दबाएँगे. ये सब तो वक्त के हिसाब से होता है. सीएम गहलोत ने हर मंच से हमेशा बीजेपी के खिलाफ ही बोला है. उन्होंने कभी बीजेपी का पक्ष नहीं लिया है. वो तो यही चाहेंगे कि कांग्रेस की सत्ता में फिर से वापसी हो पाए.


पायलट का सवाल उठाना निजी मामला


सचिन पायलट का सीएम गहलोत पर सवाल उठाना निजी मामला है. गहलोत तक चिट्ठियां पहुंचीं या नहीं पहुंचीं, इसका तो कोई प्रमाण किसी के पास नहीं है. यदि पायलट ने चिट्ठी लिखी तो वो चिट्ठी कहां है? वो चिट्ठी सबके सामने लाएं. मुझे ऐसा लगता है कि इस पूरे प्रकरण में बीजेपी की साजिश है, जो अंग्रेजों वाली हरकतें हैं कि दोनों भाइयों को लड़ा दो खुद राज करो. 


मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी की साजिश के बगैर ऐसा कुछ हो रहा हो. बीजेपी किस तरह का फायदा लेना चाहती है और इन सबसे कुछ बीजेपी को फायदा मिलेगा भी या नहीं, ये सब तो आगे वक्त बताएगा. 


आगे चुनाव को लेकर कुछ चीजें जो होनी चाहिए वो ये है कि टिकट वितरण के समय कुछ महिला नेता स्वार्थी हो जाते हैं,  वे अपने ही कार्यकर्ताओं को देखते हैं बाकियों को नहीं देखते. क्योंकि बहुत से कार्यकर्ता सिर्फ पार्टी के लिए ही होते हैं, वे पार्टी को ही तरजीह देते हैं. उन लोगों को जरूर कुछ न कुछ मिलते रहना चाहिए.


[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]