एनकाउंटर वाली यूपी पुलिस का दरिदों को खौफ क्यों नहीं?
उन्नाव की बेटी को जिंदा जलाने वाले 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है... इनमें से दो युवक पीड़िता से गैंगरेप के आरोप में जेल में बंद थे... दोनों आरोपी पीड़ित लड़की से गैंगरेप का मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे थे... इन्ही में से एक आरोपी हाल ही में जमानत पर जेल से बाहर आया और अपने साथियों के साथ मिलकर इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया...
बेटियों की हिफाजत को दरकिनार कर गहरी नींद में सो रहा समाज जागने के लिये कितनी चीखों का इंतजार करेगा? हर एक वारदात के बाद बेटियों के जेहन में बैठा डर अब बाहर आता जा रहा है... और हर बेटी यही सवाल पूछ रही है कि आखिर ऐसी कौन सी जगह है जहां वो महफूज महसूस करे... 28 नवंबर को हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और फिर उसे जिंदा जलाने की वारदात के बाद.. देशभर में उबल रहा गुस्सा अभी थमा भी नही है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक और बेटी को शैतानों ने अपना शिकार बनाते हुए उसे जिंदा जला दिया... उन्नाव की बेटी को जिंदा जलाने वाले 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है... इनमें से दो युवक पीड़िता से गैंगरेप के आरोप में जेल में बंद थे... दोनों आरोपी पीड़ित लड़की से गैंगरेप का मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे थे... इन्ही में से एक आरोपी हाल ही में जमानत पर जेल से बाहर आया और अपने साथियों के साथ मिलकर इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया... और अब करीब पूरी तरह जल चुकी वो बेटी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच कश्मकश कर रही है... उसकी हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि उसे इलाज के लिए लखनऊ से दिल्ली भेज दिया गया है।
लेकिन इस घटना ने फिर वही सवाल खड़ा कर दिया है, कि क्या इसी तरह बेटियां शहर से लेकर गांवों तक खौफ में जीने मजबूर रहेंगी... क्योंकि 28 नवंबर को हैदराबाद में ठीक इसी तरह एक महिला डॉक्टर को दरिदों ने नोचकर आग के हवाले कर दिया था... और अब उत्तर प्रदेश में भी ठीक वैसा ही डरावना मंजर दोहराया दिया गया... जहां की पुलिस एनकाउंटर के दम पर गुनहगारों में कानून का खौफ पैदा करने का दावा करती है... हैदराबाद की खौफनाक वारदात के सामने आने के बाद अभी दो दिन पहले यानी 3 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने यूपी पुलिस को बेटियों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने की हिदायत दी थी... लेकिन उन्नाव की घटना सामने आने के बाद साफ है कि अब भी कुछ भी नहीं बदला है... लेकिन यूपी के डीजीपी अब भी आईने के सामने आने से कतरा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के डीजीपी जिस कानून व्यवस्था के बेहतर होने का दावा कर रहे हैं वो हकीकत से ठीक उलट है... क्योंकि महिला अपराध में उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ऊपर है... एनसीआरबी ने जो आंकड़े पेश किये हैं उसमें देशभर में महिला अपराध के करीब 3 लाख 60 मामले दर्ज हुए.. जिनमें से यूपी से सबसे ज्यादा 56 हजार 11 केस थे... इनमें बलात्कार के 4 हजार 2 सौ 46 मामले हैं... जबकि 2016 में यूपी में महिला अपराध के 49 हजार 262 मामले थे... वहीं 2015 में महिला अपराध के 35 हजार 908 केस दर्ज हुए..
इस वक्त पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं... लेकिन उत्तर प्रदेश के एक मंत्री कानून व्यवस्था पर घिरी पुलिस का बचाव करने में लगे हुए हैं... यूपी के खाद्य और रसद मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि सौ फीसदी अपराध रोकने की गांरटी भगवान राम भी नहीं दे सकते हैं। महिला सुरक्षा को लेकर देशभर से उठ रही आवाज के बीच एबीपी गंगा ने इसी मुद्दे पर सी-वोटर के साथ एक सर्वे किया है.. जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.... हमने जब सवाल पूछा था कि क्या महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं.. तो 83 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब हां में दिया...
लोगों से सवाल किया गया था महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ने की वजह क्या है... तो 21 प्रतिशत लोगों का मानना था कि अपराधियों में कानून का डर नहीं होने की वजह से ऐसा हो रहा है... इसी सवाल के जवाब में 19 फीसदी लोगों ने कहा कि कमजोर कानून की वजह से अपराधी महिलाओं को निशाना बनाने से नहीं डरते हैं और जब लोगों से ये पूछा गया कि क्या बलात्कार के आरोपी को मौत की सजा होनी चाहिये तो 70 फीसदी लोगों ने इसका जवाब हां में दिया।
हम सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर गांव-गांव में घूम रहे दरिदों से बेटियों को कैसे बचाया जाए... आखिर शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को चाक चौबंद कैसे किया जाए... और मुठभेड़ के लिए जानी जाने वाली यूपी पुलिस का खौफ दरिंदों में क्यों नहीं है? उन्नाव की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस के दावे हकीकत से कोसों दूर हैं। डीजीपी ओपी सिंह की झुंझलाहट इस बात का सबूत है। उन्नाव में पहले भी एक बेटी समाज की सामंती सोच और पुलिस की लापरवाही की वजह से मौत के मुहाने तक पहुंच गई थी। लेकिन अब बेटियों के खिलाफ होने वाली हर घटना के साथ समाज में बढ़ता जा रहा ये नासूर अब सामने आने लगा है। ऐसे में सिस्टम से लेकर समाज तक सबको बेटियों को बचाने के लिए लामबंद होना पड़ेगा।