पीओके में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भारत में भले ही सबूत-सबूत का खेल चल रहा है, लेकिन इस स्ट्राइक का पाकिस्तानी स्टेब्लिशमेंट में गहरा असर देखा जा रहा है. भारतीय सेना की इस कार्रवाई और कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की सफलता से पाकिस्तानी स्टेब्लिशमेंट की दरारें दिखनी शुरू हो गई हैं. जबकि इस करवाई के बाद पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के नापाक गठजोड़ में भी फूट पड़ती दिख रही है.
भारत की कार्रवाई के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में लश्कर ए तैयबा के आकाओं और आतंकवादियों के हैंडलर पाकिस्तानी सेना के बीच ठन गई है. जबकि, इस पूरे मामले में वैश्विक कूटनीति में अलग थलग पड़ गए पाक में सेना और राजनितिक शीर्ष के बीच का छाया युद्ध अब सतह पर आने को है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने खड़े पाकिस्तानी राजनितिक नेतृत्व के सामने कुछ बड़ा करने या वैश्विक राजनीति में अछूत बन जाने का विकल्प ही बचा है.
सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्व भर से मिली नसीहतों के बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाई है. अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा, ''हम पाकिस्तान से कहेंगे की वो सरहद के पास के क्षेत्रों को आतंकवादियों या आतंकी संगठनों से दूर रखे.'' यही नहीं किर्बी ने एक बार फिर पाकिस्तान को मुम्बई हमले के गुनहगारों पर करवाई करने के लिए कहा.
भारत की सर्जीकल स्ट्राइक के चलते पाकिस्तानी सत्ता प्रशासन में संतुलन डगमगा गया है. पाकिस्तानी स्टेबलिशमेंट की नस मानी जाने वाली आइएसआइ के मुखिया को हटाने से जुड़ी ख़बरें यह बताने के लिए काफ़ी हैं की भारत कि इस स्ट्राइक का असर अभी और भी होना बाक़ी है. दरअसल पाकिस्तान में राजनितिक शीर्ष और सैन्य नेतृत्व के बीच पाकिस्तान के जन्म के सतह ही सांप नेवले का सम्बन्ध रहा है. हालाँकि, भारत विरोध के नाम पर समय समय पर इन इदारों में संघर्ष विराम बना रहा है. लेकिन इस लक्षित हमले के बाद यह संघर्ष विराम टूटने के कगार पर है.
भारतीय कार्रवाई और अंतररष्ट्रीय जगत में हुई फ़ज़ीहत के बाद अगले माह रिटायर हो रहे पाकिस्तानी सेना प्रमुख राहिल शरीफ एक और टर्म पाने की जुगत में हैं.
पाकिस्तान में राजनितिक नेतृत्व से ज्यादा लोकप्रिय मने जाने वाले राहिल के पाकिस्तानी हुकूमत को टेक ओवर करने को लेकर अफवाहे पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के पनामा पेपर्स में नाम आये के बाद से ही उठनी शुरू हो गयी थी. अब जब राजनितिक नेतृत्व अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर नकार साबित हो चूका सेना प्रमुख तक्था पलट के लिए ज्यादा मुफीद अवसर के सामने खड़े हैं.
ऐसे में राहिल ना सिर्फ़ नवाज़ के ख़िलाफ़ कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं बल्कि पाकिस्तान में अपनी उपयोगिता दिखाने के नाम पर सीमा पर कोई बड़ा दुस्साहस भी कर सकते हैं. पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए इसे बहुत ज्यादा अस्वाभाविक भी नहीं माना जा रहा है.
हालाँकि, इस अवसर को अपने पक्ष में करने में जुटे पाक पीएम नवाज़ शरीफ अपने विरोधी व पाकिस्तानी सेना प्रमुख राहिल शरीफ़ से छुटकारा पाने की जुगत में है.
भारतीय करवाई को पाकिस्तानी सेना प्रमुख के रूप में राहिल की चूक साबित कर और सेना व अतिवादियों पर नियत्रण पाने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आस लेकर पाक पीएम राहिल सरीफ को खामोशी से विदाई के लिए तैयार करने की राह पर आगे बढ़ चुके हैं.
शवों को लेकर बढ़ी खाई
इस बीच भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी सेना के हैंडलरों और लश्कर के गुर्गों के शवों और घायलों के साथ अलग-अलग बर्ताव ने पाकी सेना और आतंकियों के बीच खाई बढ़ा दी है. खुफिया ख़बरों के मुताबिक़ भारत में घुसपैठ के लिए बने जिन आतंकी लाँचपैडों पर भारतीय सेना ने हमला किया वहाँ पर पाकिस्तानी सेना के हैंडलर अफ़सर भी मारे गए थे. भारतीय सेना के इस क़हर के बाद पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शव तो तुरंत हटा लिए, लेकिन लश्कर के आतंकियों के घटनास्थल से उस समय शव नहीं हटाने दिए. जबकि पाक सेना के घायलों और शवों को तुरंत वहाँ से हटाया गया.
लश्कर आतंकियों को अंधेरे में उनके शवों को ले जाने की अनुमति दी गई. आतंकी आकाओं में उनके प्रति ये दोयम दर्जे के व्यवहार को लेकर ख़ासी नाराज़गी की सूचना है. साथ ही मारे गए आतंकियों के शवों को दफ़नाने में पाकिस्तानी सेना की जल्दबाज़ी ने लश्कर के मुखिया को भी नाराज़ कर दिया है. जबकि जन्नत के नाम पर जान दे रहे आतंकियों में भी इससे ग़ुस्सा है . ऐसे में भारत को लश्कर, जैश जैसे आतंकी संगठनों से खतरा बढ़ गया है, जो पिटाई से उपजी खीझ में भारत के हाई वैल्लु पज़िशंज़ को निशाना बना कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में भारत को ना सिर्फ़ तैयार और सतर्क रहने की ज़रूरत होगी ऐसी किसी हिमाक़त का उससे भी कड़ा प्रत्युत्तर देने के लिए उसे तैयारी भी रखनी होगी.