दिल्ली चुनावों के नतीजे मंगलवार को आएंगे...तो किसका मंगल करेंगे ये फैसला तो भोर के दूसरे पहर से होगा, लेकिन चुनावों के प्रचार में जिस तरह हिंदू-मुसलमान और ध्रुवीकरण की चर्चा रही...उसने विकास के मुद्दों को पीछे ढकेल दिया...खास कर भाजपा नेताओं की तरफ से जिस तरह शाहीन बाग को लेकर देश के खिलाफ माहौल बनाने की बात कही गई...उसका असर समाज के एक तबके और मजहब के खिलाफ देखा गया..विपक्ष तो कम से कम यही कहता रहा... नागरिकता कानून के मुद्दे पर भी यही पेंच फंसा है, विरोध करने वाले इसे समझने को तैयार नहीं हैं।


दूसरी तरफ सोशल मीडिया मजहबी पाले में बंटा हुआ दिखाई पड़ रहा है। नागरिकता कानून के मुद्दे पर भाजपा के विरोध का मतलब हिंदुओं का माना जा रहा है और इसी आधार पर एक दूसरे के खिलाफ लोग जहर उगलते देखे जा रहे हैं...लेकिन विरोध के इन सुरों पर छींटा डालते हुए संघ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने एक अहम बयान दिया है...जिसमें उन्होंने विरोध और नफरत की इस जंग को सियासी मानते हुए सामाजिक ताने-बाने से बाहर रखने की बात कही है। भैयाजी जोशी के मुताबिक भाजपा का विरोध हिंदुओं का विरोध नहीं माना जा सकता है....भैयाजी जोशी का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि...भाजपा नेता भी कई मौकों पर सोशल मीडिया, मीडिया या फिर दूसरे माध्यमों से खुद पर होने वाले हमलों के लिए हिंदुओं पर हमला बता कर आड़ लेते रहे हैं...इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि हिंदू समुदाय का मतलब भाजपा नहीं है...


भैया जी जोशी के बयान ने सियासत के तार छेड़ दिए हैं....हिंदू राष्ट्र और ध्रुवीकरण के आरोपों को लेकर भाजपा को घेरती आई कांग्रेस इस मसले पर संघ को निशाने पर लेती रही है...राहुल गांधी लगातार संघ की आलोचना करते रहे हैं...कभी गोडसे के बहाने...तो कभी दलितों और मुसलमानों के खिलाफ बताकर... हालांकि पिछले दो साल में ऐसे दो बड़े मौके आए हैं...जब कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के तौर पर चर्चित शख्सियतों ने संघ के कार्यक्रम में शिरकत की है...यही वजह है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा को अपनी दलीलों से घेरने की कोशिश की है।


कांग्रेस तो कांग्रेस कभी हिंदुत्व के नाम पर गांठ जोड़ने वाली शिवसेना भी इस मसले पर भाजपा को घेरने में जुट गई है...पार्टी के सांसद और चर्चित नेता संजय राउत के सुर बदले हालात में अब बदल गए हैं...कभी कोर हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा से दो-दो हाथ करने वाली पार्टी के नेता अब सेक्युलरिज्म का पाठ भाजपा को पढ़ा रहे हैं।


वहीं दूसरी तरफ अन्य पार्टी के नेताओं ने भी भैया जी जोशी की इस सोच से नाइत्तेफाकी जाहिर की है...एनसीपी नेता माजिद मेनन का कहना है कि संविधान ने सभी को बराबर अधिकार दिए हैं...लेकिन मोदी सरकार आने के बाद इस तरह के सवाल उठने लगे हैं। इन तमाम बातों के बीच आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी के बयान से जो सवाल उठते हैं..उसमें सबसे पहला सवाल ये है कि


कौन बना रहा है सियासी लड़ाई को हिंदुओं की लड़ाई ?
सवाल तो ये भी है कि संघ की चिंता भाजपा के विरोध पर या हिंदुओं के विरोध पर है ?
और सवाल ये भी उठता है 3. जाति आधारित सियासत से अखाड़े में तब्दील हुआ सोशल मीडिया ?


किसी भी चुनाव में वोटिंग से पहले और नतीजों के बाद भाजपा नेता जिस तरह से इसको हिंदुत्व की हार-जीत से जोड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं, उससे संघ सहमत नहीं, भैयाजी जोशी का बयान यही इशारा करता है। साथ ही सच ये भी है कि जिस तरह सियासी विरोधी एक राजनीतिक मसले पर विरोध के लिए भाजपा के साथ ही संघ को निशाने पर लेते हैं, न चाहते हुए भी संघ को सियासत का हिस्सा बनना पड़ता है। सफाई देनी पड़ती है। जो असहज करने वाला तो है ही दूसरी तरफ एक जिम्मेदार संगठन की भूमिका को संदिग्ध बनाने वाला भी। तभी तो राहुल गांधी या फिर अन्य दूसरी पार्टी के नेता जब संघ पर सवाल उठाते हैं तो उसका असल मकसद हिंदुत्व के बहाने संघ पर निशाना साधना होता है। संघ अब इससे बचना चाहता है।