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भ्रष्टाचार पर सीएम योगी के एक्शन से क्या तस्वीर बदलेगी ?
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अगस्त महीने में मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को पत्र लिखकर एलडीए में हुए घोटालों की पूरी लिस्ट भेजी थी.. जिसमें कमर्शियल प्लॉट्स के गैरकानूनी आवंटन की बात कही गई है... इसके लिए हुई नीलामी में 9 दिन पुरानी कंपनियों को भी शामिल कर लिया गया..
उत्तर प्रदेश में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार और उसके खिलाफ सरकार की कार्रवाई को एक पंक्ति में समेटना हो तो वो लाइन होगी, तू डाल-डाल तो मैं पात-पात... ऐसा ही कुछ इन दिनों यूपी में हो रहा है, घोटाले और भ्रष्टाचार का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है... उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम में हुए घोटाले के बाद होमगार्डों की फर्जी ड्यूटी दिखाकर उनकी तनख्वाह में फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया... और अब भ्रष्टाचार और घोटाले की इस फेहरिस्त में नया मामला जुड़ चुका है... प्रदेश की राजधानी में सरकार की नाक के नीचे काम करने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के एक नहीं बल्कि कई-कई मामले एक साथ सामने आए हैं... इस घोटाले का अनावरण किसी और ने नहीं खुद उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री और लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया है... और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगस्त महीने में चिट्ठी लिखकर एलडीए में एक के बाद एक हुए घपले... भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों का जिक्र किया था.. डिप्टी सीएम की इसी चिट्ठी का संज्ञान लेकर अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने एलडीए में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरु कर दी है...
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अगस्त महीने में मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को पत्र लिखकर एलडीए में हुए घोटालों की पूरी लिस्ट भेजी थी.. जिसमें कमर्शियल प्लॉट्स के गैरकानूनी आवंटन की बात कही गई है... इसके लिए हुई नीलामी में 9 दिन पुरानी कंपनियों को भी शामिल कर लिया गया.. जबकि नीलामी में 3 साल से ज्यादा पुरानी कंपनियों को शामिल करने का ही नियम है...इसके अलावा 'शान-ए-अवध' को निजी कंपनी को बेचे जाने के अलावा... एलडीए के तहत बनने वाले अपार्टमेंट के निर्माण में गड़बड़ी का भी जिक्र है... जिसमें निर्माण में घपला करने वाले बिल्डरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई... इसके अलावा कई योजनाओं की फाइलें भी प्राधिकरण के दफ्तर से गायब हो चुकी हैं... जिसमें टीपी नगर गोमती नगर समेत कई प्रोजेक्ट की फाइलें हैं... वहीं एलडीए में प्लॉट के समायोजन में भी गड़बड़ी सामने आई है... जिसमें अफसरों ने चहेते लोगों को छोटे प्लॉट की बजाय बड़े प्लॉट आवंटित कर दिये... हालांकि एलडीए में हो रहे भ्रष्टाचार को सामने लाने वाले डिप्टी सीएम केशव मौर्य का कहना है मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखना बड़ा मामला नहीं है...
एलडीए में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोटाले की ऐसी ही तमाम शिकायतों के बाद अब सीएम योगी ने नकेल कसना शुरु कर दिया है.. और हर योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर को साइट पर रहने की सख्त हिदायत दी है... ताकि योजना की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाए... इसके अलावा मुख्य सचिव को 50 करोड़ से ज्यादा लागत वाले प्रोजेक्ट की हर 15 दिन में समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं...वहीं 100 करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं की निगरानी सीधे सीएम दफ्तर करेगा और हर महीने खुद मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस पर अफसरों के साथ समीक्षा करेंगे... वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और कार्रवाई करते हुए योगी सरकार ने महोबा के भूमि संरक्षण अधिकारी के खिलाफ 56 लाख रुपयों के गबन का मुकदमा दर्ज करवा दिया है... जिसने सरकारी रुपयों को निजी खाते में डाल दिया था
सीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तो कर रहे हैं... लेकिन एक के बाद एक नए मामले भी सामने आते जा रहे हैं... जिसके बाद सवाल उठना लाजमी है कि भ्रष्टाचार पर सीएम योगी के एक्शन से क्या तस्वीर बदलेगी ?... बिजली होमगार्ड और एलडीए के बाद अब किस विभाग का नंबर है और क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की पैनी सीएम से नौकरशाही पर नकेल कसेगी?
भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम हैं... और ऐसे मामलों में सीएम योगी की सख्ती इस बात का सबूत भी हैं... लेकिन ये भी बड़ा सच है कि सरकार की तमाम सख्ती और कवायदों के बावजूद अब भी लगातार उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं... और हर मामले के तार सूबे की अफसरशाही से जाकर ही जुड़ते दिख रहे हैं... चाहे वो पीएफ घोटाला हो या होमगार्डों की तैनाती में घपला.. या फिर लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का ताजातरीन मामला... ऐसे में जरूरी ये है कि हर विभाग में तैनात अफसरों की भी ना सिर्फ जवाबदेही तय की जाए... बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी मामला सामने आने पर उनके खिलाफ सख्त और तुरंत कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए।
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गिरीन्द्र नाथ झावरिष्ठ पत्रकार
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