घोटाला और राजनीति ये दोनों शब्द आज एक दूसरे के पूरक के तौर पर स्थापित हो चुके हैं... राजनीति की कोई भी बात बिना भ्रष्टाचार के खत्म ही नहीं हो सकती है... भ्रष्टाचार एक समानांतर व्यवस्था के तौर पर स्थापित हो चुकी है, और किसी भी सरकार के आने और जाने से इस व्यवस्था को कोई फर्क नहीं पड़ता है... लेकिन अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस मिथक को तोड़ने और भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए जी जान से जुटी है... 2017 में उत्तर प्रदेश में जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो पिछली सरकार में हुए घोटालों की परतें उधेड़ने का दौर शुरु हुआ... जिसमें लखनऊ का रिवर फ्रंट घोटाला और अवैध खनन घोटाला भी शामिल है...


योगी सरकार ने इन दोनों घोटालों की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसकी पड़ताल में साफ होने लगा है कि कैसे शासन व्यवस्था से जुड़े लोग ही... सरकार को आर्थिक आघात पहुंचाते रहे और जनता के पैसों की लूट को अंजाम देते रहे... और अब इन दोनों घोटालों के सूत्रधारों के नाम एक-एक कर सामने आने लगे हैं... लेकिन पुरानी सरकार में हुए भ्रष्टाचार के इन दोनों मामलों के अलावा... मौजूदा सरकार के दामन पर भी डीएचएफएल पीएफ घोटाला... और होमगार्ड ड्यूटी घोटाले जैसे मामलों के दाग लग चुके हैं... योगी सरकार ने पीएफ घोटाला सामने आने के बाद इसकी सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार को सिफारिशी चिट्ठी भी भेज दी थी... लेकिन नवंबर का महीना खत्म होने को है और अब तक सीबीआई ने पीएफ घोटाले की जांच शुरु ही नहीं की है... जबकि सपा सरकार में हुए रिवर फ्रंट घोटाले और अवैध खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई के हाथ आरोपियों तक पहुंच चुके हैं...


सबसे पहले बात अवैध खनन घोटाले की...जिसमें सीबीआई ने आज भी छापेमारी की है... 2012 में हमीरपुर में मौरंग खनन के लिए 50 पट्टे जारी किये गए थे... खनन पट्टों को ई-टेंडरिंग के जरिये मंजूरी देने का नियम है... लेकिन हमीरपुर की तत्कालीन डीएम पर नियमों की अनदेखी करने का आरोप है.. क्योंकि सबसे ज्यादा खनन पट्टे सपा एमएलसी रमेश मिश्रा को जारी कर दिये गए थे... और खनन पट्टों को जारी करने का आरोप आईएएस बी. चंद्रकला पर लगा... इस मामले में सीबीआई सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है... ये मामला तब सामने आया था जब 2015 में अवैध खनन पट्टों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी... जिसके बाद कोर्ट ने हमीरपुर में सभी 60 खनन के पट्टों को रद्द करने के आदेश दे दिये थे... लेकिन पट्टे रद्द होने के बाद भी हमीरपुर में अवैध मौरंग खनन का काम चलता रहा। खनन घोटाले में सीबीआई फुल एक्शन में है, लेकिन विपक्षी कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सीबीआई के जरिये अपने राजनीतिक हित साधने में लगी है।

अब राजनीति भाजपा कर रही है या सीबीआई जांच पर कांग्रेस का ये विरोध राजनीतिक है, आज हम अपनी चर्चा में इसे भी समझेंगे...लेकिन फिलहाल बात एक और घोटाले की....राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे सौंदर्यीकरण और रिवर फ्रंट के प्रोजेक्ट में भी घोटाले का मामला सामने आया और जांच सीबीआई के हवाले की गई। गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की बात तब सामने आई थी जब 2017 में योगी सरकार सत्ता में आई... रिवर फ्रंट के निर्माण में 90 फीसदी रकम खर्च होने के बाद भी प्रोजेक्ट का काम अधूरा था... रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की कुल लागत 1513 करोड़ रुपये बताई गई थी.. लेकिन 1437 करोड़ करोड़ रुपये खर्च करके भी सिर्फ 65 फीसदी काम ही पूरा हुआ... दिसंबर 2017 योगी सरकार ने घोटाले की जांच CBI को सौंप दी... उसी साल आईआईटी कानपुर ने रिवर फ्रंट के निर्माण की तकनीकी जांच भी की थी... बाद में सीबीआई की जांच को आधार बनाकर प्रवर्तन निदेशालय ने भी केस दर्ज किया था... एफआईआर में दागी कम्पनियों को रिवर फ्रंट का काम देने का आरोप है... इसके अलावा रिवर फ्रंट के लिए विदेशों से मंहगा सामान खरीदने का भी आरोप है... इस मामले में CBI और प्रवर्तन निदेशालय 8 इजीनियरों के खिलाफ जांच कर रही है। भाजपा का कहना है कि सीबीआई इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच कर रही है... और सरकार इस मामले में जनता के पैसों को लूटने वालों सजा दिलाकर रहेगी।


सरकार किसी भी राजनीतिक दल की आए सत्ता की मखमली कालीन के नीचे भ्रष्टाचार की मोटी परत वैसे की वैसी जमी रहती है, और भ्रष्ट नेताओं की सरपरस्ती में शासन की कमजोर कड़ियों का लाभ उठाकर अफसरशाही भ्रष्टाचार को अमली जामा पहनाती रहती है.. ऐसे में जरूरत है घोटालेबाजी को फितरत बना चुके नेताओं और अफसरों पर सख्ती से कार्रवाई करने की, और इस लड़ाई के लिए आरोप-प्रत्यारोप से परे जाकर मजबूत इच्छाशक्ति से लड़ना सबसे जरूरी है।