क्या भारत भी भुगतेगा अमेरिका-ईरान की लड़ाई का खामियाजा?
पश्चिम एशिया और खाड़ी में वर्चस्व के अलावा ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिका और ईरान में टकराव होता रहा है.. लेकिन 3 जनवरी को इराक की राजधानी बगदाद में हुए अमेरिकी हमले मे ईरानी कमांडर सुलेमानी की मौत के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हो गए हैं...
ताकत अपने साथ जो बहुत सी चीजें साथ लाती है, उनमें से एक है टकराव.. और इसकी संभावना तब और बढ़ जाती है जब दो कट्टर दुश्मन अपनी ताकत से एक दूसरे को काबू करने की कोशिश करने लगते हैं... आज इसी टकराव ने पूरी दुनिया को एक बड़ी जंग की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है... जिसके एक छोर पर खड़ा है सुपर पावर माना जाने वाला अमेरिका... और दूसरी तरफ है पश्चिम एशिया की बड़ी ताकत ईरान... पश्चिम एशिया और खाड़ी में वर्चस्व के अलावा ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिका और ईरान में टकराव होता रहा है..
लेकिन 3 जनवरी को इराक की राजधानी बगदाद में हुए अमेरिकी हमले मे ईरानी कमांडर सुलेमानी की मौत के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हो गए हैं... और मंगलवार को इराक में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमला करके ईरान ने इस कड़वाहट को और बढ़ा दिया है... लेकिन दुनिया के सामने खड़े इस खतरे का असर सिर्फ अमेरिका और ईरान ही नहीं बल्कि भारत पर पड़ता दिख रहा है... क्योंकि तनाव के इस माहौल में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जिसके दोनों देशों के साथ करीबी रिश्ते हैं... इसीलिये भारत के सामने आज दोनों देशों से अपने रिश्तों को बनाए रखने के अलावा अपने हितों की सुरक्षा की दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है....
नए साल की शुरुआत के साथ ही ईरान और अमेरिका के रिश्तों में बढ़ी इस तल्खी ने दुनिया को दो दशक पहले यानि 1990 में हुए खाड़ी युद्ध दौरान पैदा हुए हालात की याद दिला दी है... उस वक्त भी अपनी गुट निरपेक्ष नीति के तहत भारत ने अपने आप को उस युद्ध से अलग रखा था और आज भी भारत अपनी उसी नीति पर कायम है... लेकिन तब और अब के भारत में काफी फर्क आ चुका है... और आज अगर दोनों देशों के बीच अगर युद्ध शुरु होता है तो अमेरिका औऱ ईरान से दूर रहने के बावजूद भारत पर इसका असर पड़ना तय है... क्योंकि दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतें बढ़नी शुरु हो चुकी हैं... जिसकी चपेट में भारत भी आ सकता है... ईरान ने अगर अपना रास्ता बंद किया तो भारत में तेल की सप्लाई रुक सकती है... इसके अलावा युद्ध की आशंका मात्र से शेयर बाजार में गिरावट भी देखने को मिल सकता है... अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से सोने के दामों में तेजी आनी शुरु हो चुकी है... और ये टकराव बढ़ा तो देश में महंगाई भी बढ़नी तय है... जिससे भारत का वित्तीय घाटा भी बढ़ेगा... अगर जंग छिड़ी तो बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय भी वापस लौटने शुरु होंगे.. जिससे देश में बेरोजगारी का संकट और गहरा सकता है... और इससे भारत में होने वाला निवेश भी प्रभावित होगा... अमेरिका-ईरान के तनाव का असर देश के निर्यात पर भी पड़ेगा.. और ये सभी वजहें मिलकर सीधे पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के बड़े सपने पर असर डालेंगी...
अमेरिका से भारत के कूटनीतिक और सामरिक हित जुड़े हुए हैं.. लेकिन रणनीतिक तौर पर ईरान भी भारत का बड़ा साझीदार है... इसीलिये ये माना जा रहा है कि अमेरिका-ईरान के टकराव की वजह से ईरान में भारत का काफी कुछ दांव पर है.. जिसमें ईरान में भारत की तरफ से किया जा रहा बड़ा निवेश शामिल है... युद्ध के हालात से ईरान में चाबहार पोर्ट परियोजना और ईरान से होकर भारत तक आने वाली गैस पाइप लाइन का काम रूक सकता है... इसके अलावा ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक जाने वाली सड़क परियोजना पर भी असर पड़ सकता है.. जिससे मध्य एशिया के देशों तक पहुंचने की भारत की योजना भी खटाई में पड़ सकती है।
क्या अमेरिका और ईरान की लड़ाई का खामियाजा भारत भी भुगतेगा? अगर तनाव बढ़ा तो खाड़ी देशों में मौजूद करीब एक करोड़ भारतीयों का क्या होगा? और अगर ये विवाद युद्ध की शक्ल लेता है तो भारत किसके साथ खड़ा होगा?
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। दुनिया का उभरता हुआ ताकतवर देश है। ऐसे में दुनिया अमेरिका और ईरान के बीच जिस जंग की आहट देख रही है उससे भारत अछूता नहीं रह सकता। खासतौर से तब जबकि पूरे खाड़ी क्षेत्र में करीब 1 करोड़ हिंदुस्तानी भी आबाद हैं। इनमें भारत के सबसे बड़े प्रदेश यूपी की भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है। भारत के रिश्ते इरान और अमेरिका दोनों से ही बेहतर हैं। एक जिम्मेदार दोस्त और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में दमदार मौजूदगी रखने वाला भारत अपने स्तर पर जंग के हालात को दूर करने के प्रयास भी कर रहा है, लेकिन हमें किसी संभावित असर से आगाह भी रहना है। क्योंकि सबसे पहले हमारा अपना हित है।