20 दिसंबर को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने जब उन्नाव पीड़ित के हक में फैसला सुनाते हुए यूपी में सत्ताधारी पार्टी के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई.... तो ये साबित हो गया कि दरिंदगी जैसे संगीन गुनाह में अदालत की चौखट पर न विशेषाधिकार चलता है न सत्ता का रसूख...वहां चलता है तो सिर्फ और सिर्फ सबूत...जाहिर है कुलदीप सिंह सेंगर की सियासी हैसियत को देखते हुए ये फैसला एक नजीर है...क्योंकि कुलदीप फिलहाल में दरिंदगी का सबसे बड़ा चेहरा बन चुका था...लेकिन सच्चाई ये भी है कि सिर्फ सेंगर को ही नहीं...बल्कि बीते कुछ वक्त में कई और दूसरी न्यायपालिकाओं ने महिला अपराधों से जुड़े खास कर रेप जैसे घिनौने अपराधों में सजाएं सुनाई हैं...उसने इंसाफ की मुहिम को एक नया तेवर दिया है...जिससे महिलाएं खुद को ताकतवर महसूस कर रही हैं।


महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराधों के मुकाबले की सजा की दर को लेकर हमेशा शिकायतें रही...और ये माना जाता रहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़ते आकड़ों की तमाम वजहों में से एक वजह सजा की दर का न बढ़ना ही रहा...लेकिन बीते वक्त में कई जिलों की अदालतों ने कम वक्त में सुनवाई के साथ इन मामलों में इंसाफ किया और कड़ी सजा दी...हालांकि विपक्ष सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहा है...महिला अपराधों पर वो मंत्रियों और मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहा है....कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दे पर सियासत तो होती ही रही है....


महिला के खिलाफ हिंसा पर सियासत नई नहीं है...पिछले डेढ़ दशक में कुलदीप सिंह सेंगर जैसे कई चेहरों को देखा गया है...फिर चाहे वो बसपा के नेता पुरुषोत्तम द्विवेदी का मामला....सपा सरकार में रहे गायत्री प्रजापति का मामला, अमरमणि त्रिपाठी का...संगीन गुनाह से सने इन नेताओं ने सत्ता के रसूख के दम पर बचने की भरपूर कोशिश की...लेकिन जैसा कि सियासत का रिवाज है अपने गिरेबां में झांकने की जगह...दूसरे कि गिरेबां की कालिख को पहले दिखाया जाता है...कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी भी अपने ट्वीट से कुछ ऐसा करती दिख रही हैं...प्रियंका ने वाराणसी में जहर खाने परिवार की खबर को लेकर ट्वीट कर यूपी सरकार को घेरा है...अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि उप्र के हालात देखिए। सैकड़ों भयावह घटनाएं होने के बाद भी महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की तरफ से कोई हलचल नहीं दिखती है। उप्र के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को शर्म आनी चाहिए। वो किस चीज का इंतजार कर रहे हैं? आप अपनी महिला नागरिकों को इंसाफ का भरोसा ही नहीं दे पा रहे हैं।


सियासत से अलग तमाम दावों के बावजूद महिला सशक्तिकरण का हश्र किसी से छिपा नहीं है...परिवार से नौकरी तक उसके हिस्से में सिर्फ कमजोरियों के किस्से है...हालांकि सभी महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है...बहुत सी महिलाएं हैं...जो अपने आत्मसम्मान से समझौता करने की बजाय...अपने आत्मबल के साथ हाजिर होती है...और जब ऐसा होता है तो यकीन मानिए किसी की हिम्मत नहीं होती कि...जुबान खोल सके...आपको दिखाते हैं...औरैया की एक तस्वीर जहां...एक महिला सिपाही ने मनचले की बीच सड़क पर धुनाई की...फैसला ऑन द स्पॉट की गवाही के लिए इलाके के थानेदार भी मौजदू रहे...


1. सेंगर जैसों को सजा महिला को अबला समझने वालों को सिखा पाएगी सबक ?


2. महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध का होगा समाधान या होगी सिर्फ सियासत ?


3. यूपी की अदालतों के त्वरित फैसले बनेंगे महिला अपराधों के लिए नजीर ?


महिलाओं के खिलाफ किसी भी किस्म के अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने में सबसे अहम कड़ी है त्वरित न्याय । सजा जितनी जल्द और जितनी सख्त सुनाई जाएगी, अपराधियों के बीच में उतना ही खौफ होगा और हमारी बेटियां उतनी ही ज्यादा महफूज होंगी । कुछ मामलों में पुलिस और कानून ने जो नजीर बनाई है वो व्यवस्था का हिस्सा बने तभी इन मिसालों का मकसद पूरा होगा।