महिला सुरक्षा पर योगी सरकार की पहल पर ईमानदारी से अमल करेंगे अफसर?
योगी सरकार की इस पहल का असर भी दिखना शुरु हो गया है... हरदोई में एसपी आलोक प्रियदर्शी रात के वक्त जब शहर के निरीक्षण पर थे तभी देर रात एक होटल पर पहुंचे... और वहां के मैनेजमेंट को अपनी महिला कर्मचारी को ड्यूटी के बाद अकेले घर भेजने के लिए फटकार लगाई.

महिला डॉक्टर से हैदराबाद में हुई दरिंदगी की घटना ने हमारे सोए समाज को एक बार फिर झकझोरते हुए गहरी नींद से जगा दिया है... बेटियां कैसे महफूज होंगी ये सवाल लेकर देशभर के लोग खुद सड़कों पर उतर कर जवाब मांग रहे हैं... और उनके चुने हुए नुमाइंदे संसद में अपने ही बनाए सिस्टम में महिलाओं की हिफाजत दुरुस्त करने के लिए बहस कर रहे हैं... देश भर से सामने आ रही बलात्कार की विकृत घटनाओं पर हमने कल ही लचर और लापरवाह सिस्टम पर सवाल उठाए थे... और हमारी उस बात पर आज मुहर लग गई कि महिला सुरक्षा के लिए कानून को सख्त करने का तबतक कोई फायदा नहीं होने वाला... जबतक उसे लागू करवाने वाले लोग बच्चियों के साथ होने वाली हैवानियत को लेकर संजीदा नहीं होते... हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से सामने आई एक वारदात ने फिर से पुलिस से लेकर अफसरशाही और न्याय व्यवस्था तक को कठघरे में ला दिया है...
लेकिन एक के बाद एक सामने आ रहे ऐसे मामलों के बाद अब योगी सरकार बेटियों की सुरक्षा को लेकर हरकत में आ गई है... और कुछ गलत हो इसके पहले ही उत्तर प्रदेश के हर जिले के अफसरों के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं... जिसमें डीएम, एसएसपी और एसपी को महिलाओं खासकर स्कूलों में पढ़ने वाली बच्चियों की हिफाजत को लेकर ताकीद किया गया है... मुख्य सचिव ने अफसरों को जो फरमान जारी किया है.. उसमें साफ किया गया है कि स्कूल जाने वाली बच्चियों के साथ ही अपने परिवारों से दूर रहकर पढ़ाई करने वाली बेटियों की सुरक्षा का खास ख्याल रखने के हिदायत दी गई है... और ऐसा ना होने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दे दी है...
योगी सरकार की इस पहल का असर भी दिखना शुरु हो गया है... हरदोई में एसपी आलोक प्रियदर्शी रात के वक्त जब शहर के निरीक्षण पर थे तभी देर रात एक होटल पर पहुंचे... और वहां के मैनेजमेंट को अपनी महिला कर्मचारी को ड्यूटी के बाद अकेले घर भेजने के लिए फटकार लगाई.... लेकिन सरकार को ये दिशा निर्देश जारी करने की जरूरत ही क्यों पड़ी... हमारे पास महिला सुरक्षा के लिए सख्त कानून है, पुलिस फोर्स है... लेकिन ये सब होने के बाद भी सरकार को बेटियों की सुरक्षा के लिए पुलिस और प्रशासन को याद दिलाना पड़े तो सिस्टम की इससे ज्यादा शर्मनाक हालत नहीं हो सकती... और इसकी तस्दीक कर रही मैनपुरी के स्कूल में एक बच्ची के साथ हुई वारदात... जिसका सच डेढ़ महीने बाद सामने आया है....
मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय के हॉस्टल में 16 सितंबर को संदिग्ध हालात में 11वीं क्लास की एक छात्रा की लाश बरामद हुई... बच्ची के परिवारवालों ने पहले दिन से कहते रहे कि उनकी बेटी ने खुदकुशी नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई... जांच के लिए पुलिस ने सबूतों कों फॉरेंसिक जांच के लिये भेजा.. और 15 नवंबर को फॉरेंसिक जांच में ये बात सामने आ गई की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था... लेकिन रिपोर्ट सामने आने के बाद संदिग्धों की डीएनए जांच कराने की बजाय मैनपुरी पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट को दबाकर बैठी रही... लेकिन 28 नवंबर को प्रियंका वाड्रा की सीएम योगी को लिखी चिट्ठी से इस मामले ने तूल पकड़ा... तब जाकर इस मामले में प्रशासन की नींद टूटी... और अब इस घटना में मैनपुरी के डीएम से लेकर एसपी तक की भूमिका सवालों के घेरे में है... सरकार ने दोनों अफसरों का तबादला कर दिया है और मामले में एसपी की लापरवाही की विभागीय जांच के निर्देश दे दिये गए हैं... उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जैसी ही तमाम घटनाएं सामने आने के बाद, अब सियासी दल भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं... क्योंकि योगी सरकार जिन वादों के साथ सत्ता में आई थी उनमें एक बड़ा वादा महिला सुरक्षा भी था...
बेटियों के लिए हमारी इस मुहिम में हमारा आज का सवाल है कि महिला सुरक्षा के लिए योगी सरकार की इस पहल पर क्या अफसर इमानदारी से अमल करेंगे... आखिर किसी जघन्य घटना के बाद ही क्यों जागता है हमारा सिस्टम... और बेटियों की सुरक्षा के लिए क्यों नहीं हर किसी की जवाबदेही तय की जाती है।
सख्त कानूनों की मौजूदगी के बावजूद महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध ये बताते हैं कि सख्त कानून को अमल में लाने वाले अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे हैं। फिर चाहे वो पुलिस हो या प्रशासन के अधिकारी अगर वो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे। यही वजह है कि जब भी कोई वारदात होती है और देश में उबाल आता है यो सबसे पहले निशाने पर यही लोग होते हैं और पहले से मौजूद कानूनों को और भी सख्त करने की मांग उठने लगती है। लेकिन कोई भी कानून तब तक अपना असर नहीं दिखा सकता जब तक उसे सख्ती से लागू नहीं कराया जाए।


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