सत्ता की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार की खेती किस तरह फलती-फूलती रहती है, ये बात जगजाहिर है। इसी का नतीजा है कि राजनीति की शह पर अफसरशाही और दोनों के संरक्षण में हर विभाग में बरसों से अपनी जड़ें जमाए बैठे माफिया आसानी से सरकारी संसाधनों पर डाका डालते रहते हैं, जिसकी सबसे बड़ी मिसाल है खनन विभाग। इस महकमे से निकलने वाली भ्रष्टाचार की गंगोत्री माफिया से लेकर अफसरशाही के साथ सियासत की दहलीज तक जाती हैं। खनन विभाग में बरसों से चल रहे लूट के इसी त्रिकोण को तोड़ने के लिए अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने नए सिरे से मुहिम की शुरुआत की है।
सीएम योगी ने अवैध खनन रोकने के सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने दो टूक चेतावनी भी दी है कि अवैध खनन ना रुका तो जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अफसरों को खदानों की मॉनिटरिंग करने के साथ ही हर महीने रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिये गए हैं। मुख्यमंत्री ने अफसरों से ओवरलोडिंग के अलावा खनन के लिए नए सिरे से पट्टे जारी करने की भी घोषणा की है।
सीएम योगी की सख्ती के बाद अब हमीरपुर में खनन माफिया और पुलिस की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इन मामलों में अब STF और ATS की टीम भी पड़ताल में जुट गई हैं। इन टीमों ने खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ की जांच शुरू कर दी है। खबर तो ये भी है कि एसटीएफ और एटीएस की 12 सदस्यीय टीम बुंदेलखंड इलाके में ही डेरा जमाये है। बांदा, झांसी और हमीरपुर के कई खनन माफिया को सर्विलांस पर रखा गया है, उनकी पुलिसवालों से होने वाली कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। माना जा रहा है कि 22 माफिया इन टीमों के राडार पर हैं, जिनमें 5 बड़े खनन माफियाओं के सियासी संबधों का अंदेशा भी है।
भ्रष्टाचार के मामले में खनन सबसे बड़ा ठिकाना है। अवैध खनन का खेल इतना बड़ा है कि इससे सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान का अंदाज नहीं लगाया जा सकता और इसीलिये अवैध खनन के इस पूरे तंत्र को तोड़ने के लिए योगी सरकार ने नए सिरे कवायद शुरु कर दी है। अवैध खनन मामले की सीबीआई जांच जारी है और इसके तार प्रदेश के 6 जिलों से जुड़े हुए हैं जिनमें देवरिया, फतेहपुर, हमीरपुर, कौशांबी, शामली और सहारनपुर शामिल हैं। सीबीआई ने अब तक कुल 6 एफआईआर दर्ज की हैं। इस मामले में अभी और भी एफआईआर दर्ज हो सकती हैं।
दरअसल, हजारों करोड़ रुपयों के इस अवैध खनन घोटाले की तह तक जाना भी बेहद जरूरी है, ताकि आप ये जान सकें कि सरकारी खजाने को लूटने में कैसे पूरा तंत्र मिला हुआ है। खनन घोटाले में सीबीआई ने जिस शख्स को सबसे बड़ा आरोपी बनाया है उसका नाम है गायत्री प्रजापति। अखिलेश सरकार में गायत्री प्रजापति ही खनन मंत्री थे। आरोप है कि प्रजापति की शह पर ही प्रदेश भर में जमकर अवैध खनन किया गया। घोटाले में पूर्व मंत्री के अलावा कई अफसरों पर भी आरोप हैं जिनमें खनन विभाग के पूर्व सचिव जीवेश नंदन और पूर्व विशेष सचिव संतोष कुमार का नाम सबसे ऊपर है।
अवैध खनन के खेल और माफिया-अफसर-नेताओं के जिस गठजोड़ पर मुख्यमंत्री ने अटैक किया है, वो खेल बरसों पुराना है। जिस अखिलेश सरकार के कद्दावर मंत्री गायत्री प्रजापति को घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है उसी अखिलेश सरकार के दौर में घोटाला सामने आ भी गया था। आपको विस्तार से समझाते हैं कि कैसे ये घोटाला हुआ।
2012 में हमीरपुर में मौरंग खनन के लिए 50 पट्टे जारी किये गए थे। खनन पट्टों को ई-टेंडरिंग के जरिये मंजूरी देने का नियम है लेकिन हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला पर नियमों की अनदेखी करने का आरोप है, क्योंकि सबसे ज्यादा खनन पट्टे सपा एमएलसी रमेश मिश्रा को जारी कर दिये गए थे और खनन पट्टों को जारी करने का आरोप आईएएस बी. चंद्रकला पर लगा। इस मामले में सीबीआई सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है। ये मामला तब सामने आया था जब 2015 में अवैध खनन पट्टों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने हमीरपुर में सभी 60 खनन पट्टों को रद्द करने के आदेश दे दिये थे। लेकिन पट्टे रद्द होने के बाद भी हमीरपुर में अवैध मौरंग खनन का काम चलता रहा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हमीरपुर जिले में अवैध खनन के 22 मामलों पर सुनवाई चल रही है, जिनकी जांच सीबीआई कर रही है। योगी सरकार ने सीबीआई को जो दस्तावेज़ सौंपे हैं उनके मुताबिक 14 मामलों में खनन का लाइसेंस जारी करने वाले खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे...जबकि 8 मामलों में लाइसेंस तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने जारी किए थे। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में अवैध खनन का काला खेल सपा की अखिलेश सरकार से भी पहले से चल रहा था, जिसके तार पिछली मायावती सरकार तक जुड़े हैं।
साल 2009 से 2012 के बीच मायावती सरकार में भी भारी अवैध खनन हुआ था। उस वक्त 10 पट्टों को मंजूरी दी गई थी। वहीं, एनजीटी की तरफ से NOC पर रोक के बाद भी 2 पट्टों की आड़ में 25 जगहों पर अवैध खनन हुआ। इन तमाम पहलुओं की पड़ताल में सीबीआई की टीम खनन क्षेत्रों में पहुंची और किसानों के बयान दर्ज किए। जिसके बाद मायावती सरकार में 2009 से 2012 तक हमीरपुर के डीएम रहे श्रीनिवास लू और डीएफओ ललित गिरी भी सीबीआई के राडार पर आ चुके हैं। अब माना जा रहा है कि बसपा शासन के कई विभागीय अधिकारियो पर भी गाज गिर सकती है।
खनन घोटाले की सीबीआई जांच अब अखिलेश यादव तक पहुंच चुकी है लेकिन अपने पार्टी अध्यक्ष का नाम आने के बाद अब सपा नेताओं को कोई जवाब नहीं सूझ रहा है तो इन तमाम दस्तावेजों और पड़ताल के बाद अब सवाल ये है कि..
भ्रष्टाचार के सबसे बड़े 'खेल' अवैध खनन पर सीएम योगी के हंटर का असर दिखेगा ?
सीएम योगी अवैध खनन में शामिल भ्रष्ट अफसरों, नेताओं और माफिया का त्रिकोण पाएंगे ?
सत्ता के संरक्षण में ही लूट का अड्डा क्यों बन जाता है खनन विभाग?
प्रदेश में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खेल का मैदान बन चुका है खनन। सीएम योगी ने इस खेल को खत्म करने के लिए ताल ठोक दी है। लेकिन जिस अफसरशाही को सीएम के निर्देश पर अमल करना है वही अफसरशाही भ्रष्टाचार के इस त्रिकोण का एक अहम कोण है। अपने फायदे के लिए नियम-कायदों की अनदेखी करना और उसे तोड़ने-मरोड़ने का खेल अफसरों के जरिये ही होता है। ऐसे में योगी सरकार को माफियाओं से ज्यादा पैनी नजर अफसरशाही पर रखने की जरूरत है । नेताओं और माफियाओं के बीच की इस कड़ी के टूटते ही खनन में भ्रष्टाचार का पूरा त्रिकोण धराशायी हो जाएगा।