एक्सप्लोरर

जनता के नाम पर जनता को ही क्यों कर रहे परेशान?

प्रयागराज के जिस मंसूर अली पार्क में नागरिकता कानून के खिलाफ ये प्रदर्शन शुरु किया गया है... उसके लिए जिला प्रशासन से इजाजत भी नहीं ली गई है..प्रशासन प्रदर्शनकारियों से पार्क को खाली करने की अपील कर रहा है.. लेकिन मांगें नहीं माने जाने तक लोग वहीं जमे रहने की जिद पर अड़े हैं...

राजनीति में हमारा मकसद होता है उन मुद्दों को उठाना जो सीधे हमारी-आपकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े होते हैं...उन पर होने वाली सियासत हमारी-आपकी जिंदगी पर सीधा असर डालती हैं... अभिव्यक्ति की आजादी ऐसा ही एक मुद्दा है... मशहूर शायर वसीम बरेलवी का एक शेर...जिसमें उन्होंने किसी बात को रखने की तीन शर्तें बताई हैं... कौन सी बात..कहां...कैसे कही जाती है... ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है.... हमारा संविधान हमें ये हक देता है कि भारत का कोई भी नागरिक अपनी तरह से अपनी जिंदगी जिए और अपनी कोई भी बात बेरोकटोक सबके सामने रख सके...इसमें किसी नागरिक के विरोधी सुर भी शामिल हैं, लेकिन संविधान से मिले इस मौलिक अधिकार को इस्तेमाल करते समय अगर आप अपने जैसे ही किसी दूसरे नागरिक के मौलिक अधिकार छीनने लगें तो अभिव्यक्ति की आजादी को अराजकता में तब्दील होते देर नहीं लगती...

ऐसा ही कुछ इन दिनों देश में नागरिकता कानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान भी हो रहा है। जो जनता अपने हक की आवाज़ बुलंद करते हुए सड़कों पर उतर रही है, वो अपने जैसे ही हज़ारों-लाखों लोगों के हक को छीन भी रही है। बेशक़ ऐसा अनजाने में हो रहा है, लेकिन ऐसा हो रहा है..सिस्टम से जंग में अपने ही तंग हो रहे हैं..प्रदर्शनों की कीमत आम जनता चुका रही है..हिंसक प्रदर्शन ना होने की सूरत में भी कुछ ऐसे प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनसे दूसरे लोग परेशान हो रहे हैं। नागरिकता कानून के विरोध में दो दिन पहले प्रयागराज में शुरु हुआ है क्रमिक अनशन प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में पहले तो चंद लोगों ने इसकी शुरुआत की, लेकिन फिर प्रदर्शन की कमान मुस्लिम महिलाओं ने संभाल ली... और अब वहां पर लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है... प्रयागराज के मंसूर पार्क में जुट रही या जुटाई जा रही इस भीड़ में नौजवानों और बुजुर्गों के अलावा महिलाएं और नन्हें-मुन्ने भी शामिल हैं... जो नागरिकता कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं... और ऐसा ना होने पर अनिश्चितकालीन आंदोलन की बात कह रहे हैं...पार्क में जमा इस मजमे से पार्क जाने वाले दूसरे लोगों---बुजुर्गों...बच्चोंऔर महिलाओं को परेशानी हो रही है।

प्रयागराज के जिस मंसूर अली पार्क में नागरिकता कानून के खिलाफ ये प्रदर्शन शुरु किया गया है... उसके लिए जिला प्रशासन से इजाजत भी नहीं ली गई है..प्रशासन प्रदर्शनकारियों से पार्क को खाली करने की अपील कर रहा है.. लेकिन मांगें नहीं माने जाने तक लोग वहीं जमे रहने की जिद पर अड़े हैं... नागरिकता कानून को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान लोगों का यही अड़ियल रुख देश की राजधानी दिल्ली में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले अहम रास्ते को एक महीने से बंद कर रखा है... 15 दिसंबर से ये लोग यहां इसी तरह धरना दे रहे हैं..और एक महीने से इस पूरे इलाके को बेरीकेडिंग कर बंद कर दिया गया है...जाहिर है देश की राजधानी में रहने वाले लाखों लोगों को भारी मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं...उनका सफर मुश्किल और लंबा हो गया है... क्योंकि सड़क बंद हो जाने से दिल्ली से उत्तर प्रदेश और हरियाणा जाकर नौकरी और काम धंधा करने वाले लाखों लोग पिछले एक महीने से रोजाना परेशान हो रहे हैं, जिसमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं...

आंदोलन के नाम पर आम जनता के सामने खड़ी की जा रही इसी मुसीबत के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी.. जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है... आम जनता का हित देखते हुए पुलिस रास्ता खुलवाने के आदेश दे दिये हैं। केरल में भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए और लोगों ने भारी तादाद में सड़कों पर उतर कर सरकार से अपनी नाराजगी जाहिर की.. लेकिन जब एक मरीज को लेकर एंबुलेंस वहां पहुंची.. तो प्रदर्शन कर रहे लोगों ने तुरंत उस एंबुलेंस को जाने के लिए रास्ता खाली कर दिया। कुछ महीनों पहले हॉन्गकॉन्ग से भी प्रदर्शन के दौरान भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई... जब सड़क पर जमे हजारों प्रदर्शनकारियों को पता चला कि वो एक एंबुलेंस का रास्ता रोक रहे हैं... तो भीड़ ने तुरंत अपनी समाज को लेकर अपनी जिम्मेदारी दिखाते एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाया।

आज का हमारा यही सवाल है कि... जनता के नाम पर जनता को ही क्यों कर रहे परेशान?..... 'सड़क जाम' प्रदर्शनों की कीमत क्यों चुकाए जनता? और अपने हित के साथ दूसरों का ख्याल क्यों नहीं रखते प्रदर्शनकारी?

अपने हक की मांग करते-करते आप अपने जैसे ही दूसरे नागरिकों की राह का रोड़ा बनने लगते हैं, तो सबसे पहले आप अपनी लड़ाई को ही कमजोर करते हैं। किसी भी सिस्टम या अदालत में ऐसे कामों के खिलाफ अर्जी देते ही उस पर कार्रवाई होना तय है। इस कार्रवाई के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन के भी हिंसक होने का खतरा बढ़ जाता है और सबसे अहम बात ये है कि असल मुद्दे पीछे छूटने और नए विवाद के खड़े होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि विरोध करते समय इस बात का ख्याल जरूर रखें, कि किसी एक भी नागरिक को उससे परेशानी ना हो। सरकार और सिस्टम को भी देखना चाहिए कि विरोध करने वालों की बात वो फौरन सुनें और उन्हें इंसाफ के लिए आश्वस्त करें।

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'मुसलमानों का वोटिंग राइट खत्म हो, तो शांति होगी', वक्फ मुद्दे पर बड़े धर्मगुरु ने की अपील
'मुसलमानों का वोटिंग राइट खत्म हो, तो शांति होगी', वक्फ मुद्दे पर बड़े धर्मगुरु ने की अपील
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी', रोजाना काम करके मिलती थी 40 रुपये दिहाड़ी
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी'
Watch: हरभजन सिंह ने लाइव शो में वाइफ गीता को किया Kiss, फिर बोले- सिद्धू पाजी अब आप करके दिखाओ...
हरभजन सिंह ने लाइव शो में वाइफ गीता को किया Kiss, फिर बोले- सिद्धू पाजी अब आप करके दिखाओ...
ABP Premium

वीडियोज

Breaking: दिल्ली- NCR, हरियाणा में NIA की बड़ी छापेमारी | ABP NEWSBreaking: Punjab के जालंधर से लॉरेंस गैंग के 2 गुर्गे गिरफ्तार | Lawrence Bishnoi | ABP NEWSSambhal Clash: संभल हिंसा में हथियारों के प्रयोग पर आरोपी विधायक के बेटे का खुलासा! | UP PoliceSambhal Clash : दंगाईयों के लगेंगे पोस्टर,नुकसान की होगी वसूली, गुस्से में योगी सरकार! | UP Police

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मुसलमानों का वोटिंग राइट खत्म हो, तो शांति होगी', वक्फ मुद्दे पर बड़े धर्मगुरु ने की अपील
'मुसलमानों का वोटिंग राइट खत्म हो, तो शांति होगी', वक्फ मुद्दे पर बड़े धर्मगुरु ने की अपील
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
संभल में किसके कहने पर आई भीड़, किसने उकसाया? इन 7 बड़े सवालों के जवाब तलाशने में जुटी पुलिस
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी', रोजाना काम करके मिलती थी 40 रुपये दिहाड़ी
झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे 'पंचायत' के 'सचिव जी'
Watch: हरभजन सिंह ने लाइव शो में वाइफ गीता को किया Kiss, फिर बोले- सिद्धू पाजी अब आप करके दिखाओ...
हरभजन सिंह ने लाइव शो में वाइफ गीता को किया Kiss, फिर बोले- सिद्धू पाजी अब आप करके दिखाओ...
मोमोज रेसिपी: बच्चों के लिए घर में बनाएं शानदार मोमोज
मोमोज रेसिपी: बच्चों के लिए घर में बनाएं शानदार मोमोज
27 करोड़ में बिके ऋषभ पंत अगर चोटिल हो जाते हैं तो तब भी मिलेंगे पूरे पैसे? जान लीजिए जवाब
27 करोड़ में बिके ऋषभ पंत अगर चोटिल हो जाते हैं तो तब भी मिलेंगे पूरे पैसे? जान लीजिए जवाब
ये है असली बाहुबली! 20 फीट लंबे मगरमच्छ को कंधे पर लेकर चल पड़ा शख्स, देखें वीडियो
ये है असली बाहुबली! 20 फीट लंबे मगरमच्छ को कंधे पर लेकर चल पड़ा शख्स, देखें वीडियो
Adani News: अडानी समूह पर आरोप असल में भारत की विकास यात्रा को रोकने की साजिश, बोले महेश जेठमलानी
अडानी समूह पर आरोप असल में भारत की विकास यात्रा को रोकने की साजिश, बोले महेश जेठमलानी
Embed widget