नागरिकता कानून को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच... कानून के समर्थन को लेकर मोदी सरकार का अभियान जारी है... एक तरफ कई जगहों पर नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं... तो दूसरी ओर मोदी सरकार के मंत्री और पूरी भाजपा देशभर में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून को लेकर जनजागरण अभियान छेड़े हुए हैं... इसी कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यूपी की राजधानी लखनऊ में थे.. लखनऊ में अमित शाह ने नागरिकता कानून के समर्थन में एक रैली की... इस रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष पर जनता में भ्रम फैलाकर देश को तोड़ने का आरोप लगाया... अपने इस भाषण में अमित शाह ने 'नागरिकता' के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीएए से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में बसे शरणार्थियों को अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरु करने का मौका मिल रहा है... और किसी भी हाल में नागरिकता कानून वापस नहीं लिया जाएगा।


अमित शाह ने लखनऊ की रैली में जो बात कही... वो बात उन्होने पहले भी कही है... यानी तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच ये बात साफ है... मोदी सरकार नागरिकता कानून के मुद्दे पर अपने कदम पीछे नहीं खींचने वाली है... जबकि नागरिकता कानून को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की तर्ज पर विरोध प्रदर्शन का सिलसिला अब यूपी तक पहुंच चुका है.... प्रयागराज के मंसूर पार्क में बीते दस दिनों से और लखनऊ में 5 दिनों से नागरिकता कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन चल रहा है... प्रदर्शन करने वालों की मांग है कि सरकार जब तक नागरिकता कानून को वापस नहीं लेती तबतक उनका प्रदर्शन खत्म नहीं होगा... यानि प्रदर्शन कर रहे इन लोगों को नागरिकता कानून को समझाने की मोदी सरकार की कोशिशें फिलहाल नाकाम ही साबित हो रही हैं... हालांकि प्रदर्शनकारियों की इस भीड़ में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं... जिनके साथ बच्चे भी मौजूद हैं...


लेकिन अब प्रदर्शनों में बच्चों की मौजूदगी का संज्ञान लेते हुए राज्य बाल संरक्षण आयोग ने... उत्तर प्रदेश के डीजीपी को चिट्ठी लिखकर ऐसे परिवारवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है... दरअसल महिलाओं के साथ बच्चों की मौजूदगी की वजह से पुलिस ऐसे प्रदर्शनों को खत्म करवाना खासा मुश्किल साबित हो रहा है... लखनऊ में हो रहे प्रदर्शन में मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटियां भी शामिल हुईं थी... जिनके खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है... लेकिन इस कार्रवाई के बाद अब पुलिस पर भी उंगली उठ रही है, कि क्या किसी शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल होने भर से किसी महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना जायज है?
आज हमारे सवाल हैं कि


1 - गृहमंत्री अमित शाह की 'दो टूक' के बाद अब क्या होंगे विपक्ष के 'तेवर'?
2 - क्या प्रदर्शनों में औरतों और बच्चों को 'ढाल' बना रहा है विपक्ष?
3 - और नागरिकता कानून पर क्या अड़ियल रुख गतिरोध की वजह है?


नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोग कानून के प्रावधानों के बारे में जानने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का मन टटोलना और उनके मन में बैठे भ्रम को दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है। विपक्ष भले ही इस मुद्दे पर सीधे तौर पर प्रदर्शनों में नहीं दिख रहा, लेकिन नागरिकता कानून के बहाने सबकी राजनीतिक गोलबंदी जारी है। जबकि सत्ता के साथ विपक्ष की भी ये जिम्मेदारी है कि वो लोगों के मन में बैठी शंका को दूर करे। विरोध कर रहे लोगों भी ये समझने की जरूरत है कि आधी-अधूरी जानकारी के साथ लंबे धरना प्रदर्शन से ये आंदोलन की बजाय जिद की शक्ल लेता जा रहा है। ऐसे में जरूरत है कि सरकार और प्रदर्शनकारी दोनों के बीच संवाद कायम हो ताकी कई दिनों से जारी इस गतिरोध का अंत हो।