नागरिकता कानून को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच छिड़ी सियासी तकरार के बीच दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर विरोध-प्रदर्शनों के कई और बाग-बगीचे सजते जा रहे हैं। अब इन प्रदर्शनों में नागरिकता कानून का मुद्दा पीछे छूटता जा रहा है... ऐसे मंचों का इस्तेमाल अब खुलकर सियासी एजेंडे के लिये होने लगा है... जहां खड़े होकर कुछ लोग खुलेआम समाज में नफरत के बीज बोने की कोशिश करने लगे हैं... नागरिकता कानून के विरोध में संविधान बचाने के नाम पर शुरु हुए इन विरोध-प्रदर्शनों से लगातार ऐसे चेहरे सामने आने लगे हैं... इनकी तकरीरों में कानून का विरोध नहीं बल्कि देश के खिलाफ जहर उगला जा रहा है।


ऐसा ही एक चेहरा प्रयागराज के मंसूरबाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कई दिनों से चल रहे प्रदर्शन के दौरान सामने आया है जिसका नाम है आफरीन फातिमा, जिसने मंसूरबाग में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कई भड़काऊ बातें कही... आफरीन ने अपनी तकरीर में सरकार पर सवाल उठाते-उठाते, सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल खड़े कर दिये... और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को बेगुनाह बता दिया... फातिमा के भाषण के कुछ अंश सुनकर उसके जहरीले बोल का अंदाजा लगाया जा सकता है। खुद आफरीन ने एबीपी गंगा पर आकर अपना बचाव किया है... और वायरल वीडियो से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए सफाई दी है कि उसने अपने भाषण में देश विरोधी जैसी कोई बात नहीं की है.... आफरीन फातिमा देश के खिलाफ जहर उगलने वाले जिस शरजील इमाम का समर्थन कर रही है... आज उसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही है... शरजील के खिलाफ देश तोड़ने की बातें कहने के लिए देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है।


एक तरफ नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों में देश विरोधी बातें करने वालों की वजह से ऐसे प्रदर्शनों में शामिल हो रहे लोग सवालों के घेरे में हैं... तो दूसरी तरफ दिसंबर महीने में यूपी समेत देशभर में हुई हिंसा की जांच से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। कई शहरों में नागरिकता के खिलाफ हुई हिंसा में पहले से ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और अब प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और रिहैब इंडिया फाउंडेशन नाम की एक संस्था ने CAA के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को जारी रखने के लिए करीब 134 करोड़ रुपयों का फंड दिया है। अबतक की जांच में प्रवर्तन निदेशालय इन दोनों संगठनों से जुड़े करीब 73 बैंक खातों की जानकारी मिली है... जिनसे विरोध प्रदर्शन के दौरान संदिग्ध रूप से बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ था।


प्रवर्तन निदेशालय की इस जांच में बात भी सामने आई है कि पीएफआई के बैंक खातों से देश के कई बड़े वकीलों को भी पैसे दिए गए... जिनमें कांग्रेस नेता और जाने माने वकील कपिल सिब्बल के अलावा और सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह का नाम भी शामिल है... हालांकि इस मामले में कपिल सिब्बल का बयान सामने आया है... जिसमें उन्होने साफ किया है कि पीएफआई ने उन्हे बतौर वकील चर्चित हादिया मामले का केस लड़ने के लिए भुगतान किया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही आरोप लगाया है कि नागरिकता को लेकर फैलाई गई हिंसा के पीछे, कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों का हाथ है, एबीपी गंगा के ब्यूरो चीफ वीरेश पांडेय से खास बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे तौर पर विपक्ष पर निशाना साधा है।


देश के कई हिस्सों में फैले 'शाहीनबाग' के सूत्रधार कौन हैं?... आफरीन और शरजील जैसे लोग 'देश विरोध' के असल चेहरे हैं या सिर्फ मोहरे?... और कपिल सिब्बल की सफाई के बाद बाकी बचे दो वकीलों और PFI के बीच पैसों की लेनदेन का कनेक्शन क्या?


संविधान बचाने की बात करने के नाम पर संविधान और देश विरोधी जुबान बोलना बिलकुल गैरवाजिब है। बोलने की आजादी का मतलब देश और देश के संवैधानिक संस्थानों के खिलाफ जहर उगलना नहीं होता। विपक्ष के नेताओं को भी ये समझना होगा कि नागरिकता कानून के विरोध में कहीं वो अनजाने में देश विरोधी ताकतों के साथ तो नहीं खड़े हो रहे हैं, क्योंकि संसद के दोनों सदनों से ये कानून पास हुआ है, जहां विपक्ष की भी मौजूदगी रही है। विरोध, आजादी और संविधान के विरोध का बारीक फर्क देश के नागरिकों को भी समझना होगा और विपक्षी दलों को भी।