पुष्पेंद्र की मौत पर उपचुनावों के लिए जाति की सियासत?
उत्तर प्रदेश की पुलिस कह रही है कि पुष्पेंद्र का एनकाउंटर होने की कई वजह थी। एक तो पुराना आपराधिक इतिहास और दूसरा उस दिन पुलिस इंस्पेक्टर पर हमला और कार छीनने की कोशिश, लेकिन पुलिस से अलग परिवार का दावा कुछ और है।
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को काबू में करने के लिए अपराधियों से सख्ती से निपटा जा रहा है और पुलिस अपराधियों का बेधड़क एनकाउंटर कर रही है। इन एनकाउंटर में अपराधी या तो मारे जा रहे हैं या फिर गिरफ्तार किए जा रहे हैं। इस डर और खौफ से इतर सच ये है कि विपक्ष इन एनकाउंटर को लेकर हमेशा ही सवाल उठाता रहा है। विपक्ष दावा करता रहा है कि इन एनकाउंटर के बाद अपराध के आंकड़ों में कमी नहीं हुई। विपक्ष के आरोप तो राजनीतिक हो सकते हैं, लेकिन तस्वीरें झूठ नहीं बोल सकती।
इन हालात के बावजूद सरकार कहती आई है कि प्रदेश में अपराध के आंकड़े घटे हैं, इन एनकाउंटर को लेकर जो सबसे बड़ा आरोप लगता है वो फर्जी होने का लगता रहा है। कई एनकाउंटर ऐसे रहे जिन्हें लेकर पुलिस सवालों के घेरे में आई और ही ऐसा ही एक मामला सुर्खियों में है। झांसी के पुष्पेंद्र यादव के एनकाउंटर का.... जिसे लेकर सियासत गरमाई हुई है। सरकार और पुलिस दोनों विपक्ष के साथ ही जनता के निशाने पर हैं। इस एनकाउंटर में जहां पुलिस का दावा है कि पुष्पेंद्र ने एक इंस्पेक्टर की कार छीनने की कोशिश की और उस पर हमला किया तो वहीं लोगों और नेताओं का दावा है कि पुलिस ने रंजिशन पुष्पेंद्र की हत्या की है। अब इस मामले में जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रीयल जांच का आदेश दिया है। यूपी पुलिस ने एनकाउंटर को नियमबद्ध बताया है कि और पुष्पेंद्र के पुराने क्राइम रिकॉर्ड सामने रख दिए हैं, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं है। पहले कांग्रेस नेता, फिर प्रसपा नेता और अब सपा नेता इस मामले में पुष्पेंद्र के परिवार के साथ खड़े हो गए हैं।
तो उत्तर प्रदेश की पुलिस कह रही है कि पुष्पेंद्र का एनकाउंटर होने की कई वजह थी। एक तो पुराना आपराधिक इतिहास और दूसरा उस दिन पुलिस इंस्पेक्टर पर हमला और कार छीनने की कोशिश, लेकिन पुलिस से अलग परिवार का दावा कुछ और है।
पुष्पेंद्र के भाई और पुलिस की थ्योरी में आए फर्क की वजह से ढेरों आशंकाएं और सवाल उठ रहे हैं और इन्हीं आशंकाओं को लेकर पुष्पेंद्र की पत्नी कई सवाल खड़े कर रही हैं। परिवार के दावों से उलट उत्तर प्रदेश पुलिस इस एनकाउंटर को लेकर कुछ और ही कहानी बता रही है। पुष्पेंद्र की मौत के बाद कई नेता उनके घर परिवार से मिलने पहुंच रहे हैं उनसे मिलने वाले कई नेता पहुंच चुके हैं। कांग्रेस, प्रसपा और सपा के नेता इस मसले पर पीड़ित परिवार से मुलाकात भी कर रहे हैं और सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं।
पुष्पेंद्र के परिवार से मिलने झांसी के पूर्व सांसद प्रदीप जैन आदित्य पहुंचे थे। जहां उन्होंने पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए, प्रदीप के अलावा प्रसपा नेता और शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव भी पीड़ित परिवार से मिले और पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए। इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी परिवार से मिलकर सांत्वना दी। पुष्पेंद्र के एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस सवालों में घिरी है क्योंकि एनकाउंटर के बाद पुलिस का दावा है कि पुष्पेंद्र का क्राइम रिकॉर्ड था, लेकिन पुष्पेंद्र का क्राइम रिकॉर्ड ऐसा नहीं था कि उसके एनकाउंटर की नौबत आ जाए। जैसे ही सवालों में घिरी पुलिस पुष्पेंद्र यादव के आपराधिक इतिहास पर झांसी पुलिस ने दो ट्वीट कर जानकारी दी।
इनमें 2014 में एक मुकदमा मारपीट और गालीगलौज का था वहीं 2015 में महिला भगा ले जाने का एक मुकदमा दर्ज हुआ। दोनों ही मुकदमों के बाद पुष्पेंद्र पर निरोधात्मक कार्रवाई भी हुई थी। इसके बाद अगले ट्वीट में झांसी पुलिस ने जानकारी दी है कि 2018 में दो बार अवैध खनन में पुष्पेंद्र के ट्रक का चालान हुआ। 29 सितंबर 2019 को इंस्पेक्टर मोंठ धर्मेंद्र चौहान ने पुष्पेंद्र के ट्रक का चालान किया था।
पुष्पेंद्र की मौत पर उपचुनावों के लिए जाति की सियासत ? सीबीआई जांच की बजाय मजिस्ट्रेटी जांच पर जोर क्यों ? पुलिस की थ्योरी और एनकाउंटर की हकीकत में फर्क ?
दरअसल, ये उत्तर प्रदेश की विडंबना है कि यहां या तो सत्ता इतनी बेपरवाह हो जाती है कि अपराधी भी बेखौफ हो जाते हैं या फिर सत्ता सख्ती के नाम पर इतनी छूट दे देती है कि पुलिस मनमानी और निरंकुश हो जाती है। पुलिस एनकाउंटर का मतलब हत्या नहीं होता है। जो कानून पुलिसवालों को एनकाउंटर की छूट देता है, वही कानून गोली मारने के तरीकों को भी साफ बताता है। पुलिस की पिस्तौल और अपराधी की पिस्तौल से होनी वाली मौतों में फर्क सिर्फ मकसद का है। अगर मकसद बदल गया तो पुलिस और अपराधी में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। प्रदेश की मौजूदा सत्ता को पुलिसवालों को इस मकसद और जिम्मेदारी का अहसास भी सख्ती से कराना होगा। वरना अपराधियों के आतंक को खत्म करते-करते निरंकुश पुलिस का आतंक जनता में भर जाएगा। पुष्पेंद्र के एनकाउंटर का सच सामने लाकर और अगर कोई दोषी है तो उसे कड़ी सजा देकर सरकार जनता को भरोसे की नई रोशनी दिखा सकती है।