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तगड़े चालान पर भाजपा सरकारों को ही एतराज क्यों?

केंद्रीय परिवहन मंत्री चेतावनी दे रहे हैं कि राज्यों को ऐसा करने का कोई हक नहीं, लेकिन खुद भाजपा के मुख्यमंत्री इस चेतावनी से बेपरवाह हैं..वो क्यों अपने आलाकमान की अवहेलना कर रहे हैं।

राजनीति में आज बात उस मुद्दे की जिसने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है..यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक नियम के विरोध में खुद उनकी ही पार्टी की राज्य सरकारें खड़ी हैं... मोदी सरकार का ये नियम है ट्रैफिक को लेकर.. जिसमें जनता की सुरक्षा का हवाला देकर भारी-भरकम जुर्माने का प्रावधान कर दिया गया है... लेकिन कानून लागू होने के बाद से इन जुर्मानों को लेकर पूरे देश में जो हंगामा बरपा है वो सवाल खड़े करता है कि आखिर ये कैसा नियम है, जो जनता की हिफाज़त का दावा करता है, लेकिन जनता ही इसका शिकार बन रही है...यहां तक कि एक शख्स की जान चली गई। ये कैसी सियासत है...जो खुद भाजपा के मुख्यमंत्री ही अपने प्रधानमंत्री की मंशा समझ नहीं पा रहे...कई भाजपा शासित राज्यों ने तो अपने यहां मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन तक कर डाले...

केंद्रीय परिवहन मंत्री चेतावनी दे रहे हैं कि राज्यों को ऐसा करने का कोई हक नहीं, लेकिन खुद भाजपा के मुख्यमंत्री इस चेतावनी से बेपरवाह हैं..वो क्यों अपने आलाकमान की अवहेलना कर रहे हैं...या करने को मजबूर हैं..कई गैर भाजपा शासित राज्यों ने तो नए ट्रैफिक नियमों को अपने यहां लागू ही नहीं किया...अब तो उत्तर प्रदेश भी नए नियमों में संशोधन की तैयारी कर रहा है...विरोधियों के ऐतराज़ को तो मोदी सरकार विरोधी दल का शुद्ध और खालिस विरोध करार देकर पल्ला झाड़ सकता है...लेकिन अपनी पार्टी के मुख्यमंत्रियों और सरकारों के विरोध को कैसे सही ठहराएगी...और अगर भाजपा सरकारें सही हैं तो फिर विरोधियों का विरोध सिर्फ सियासी कैसे...

सबसे पहले आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी ट्रैफिक के नए और सख्त नियम-कानूनों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है...यानी जनता को राहत देने की सोच रही है...यूपी सरकार यानी योगी सरकार का ऐसा करना केंद्र सरकार के नियम-कानूनों पर सबसे बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है.. क्योंकि राज्य के नज़रिये से उत्तर प्रदेश पूरे देश का सबसे अहम प्रदेश है...और पार्टी के नजरिये से भी यूपी भाजपा का सबसे बड़ा गढ़ है। यूपी से निकला संदेश पूरे देश के लिए अहम होता है.... यूपी सरकार अब जुर्माने की रकम को कम करने की तैयारी की तरफ बढ़ रही है...इसमें मौके पर जुर्म कबूल करने वालों को राहत दी जा सकती है, इसके लिए संशोधन प्रस्ताव परिवहन विभाग तैयार करने में जुटा है जिसे मंजूरी के लिए योगी कैबिनेट को भेजा जाएगा जहां मंजूरी मिलते ही नए प्रावधान लागू हो जाएंगे....

यूपी सरकार तो अभी तैयारी कर रही है..लेकिन कई भाजपा सरकार ने तो बदलाव कर भी दिए हैं...खास बात ये है कि इनमें सबसे पहला नाम गुजरात का है...वही गुजरात जहां से खुद प्रधानमंत्री मोदी आते हैं...मोदी सरकार के किसी नियम पर गुजरात सरकार का बदलाव भी पूरे देश के लिए एक बड़ा संदेश है...लेकिन गुजरात अकेला राज्य नहीं है, जिसने मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी कानून को दरकिनार करते हुए उसमें संशोधन किए हैं... ये तो वो राज्य हैं, जो खुद भाजपा की सत्ता वाले हैं...जब भाजपा की सत्ता वाले राज्य ही नए ट्रैफिक कानून को सही नहीं मान रही तो विरोधी राज्य तो पहले ही सरकार के खिलाफ कमर कस के बैठे रहते हैं...कई राज्यों ने कानून में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है तो कई राज्यों ने इसे लागू ही नहीं किया है।

केरल ने इसमें बदलाव के संकेत दिए हैं... जबकि पश्चिम बंगाल ने इसे राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है। तो वहीं राजस्थान ने एक्ट 33 में से 17 प्रावधानों को बदल कर जुर्माने की रकम कम कर दी है । इसके अलावा ओडिशा ने राज्य के लोगों को नियमों से तीन महीने की मोहलत दे दी है इस बीच वो जागरुक करने के काम में जुटी हुई है...वहीं दिल्ली भी नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है... ये सब तब चल रहा है जबकि खुद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी चेतावनी दे चुके हैं कि केंद्र से बने कानून में बदलाव का संवैधानिक हक राज्य सरकारों को नहीं है... लेकिन केंद्रीय मंत्री की चेतावनी का कोई असर नहीं दिख रहा है...विरोधी तो छोड़िये खुद उनकी पार्टी की सरकारें इसे मानने को तैयार नहीं हैं...जिसमें ताज़ा उदाहरण उत्तर प्रदेश की योगी सरकार है। अब आपको ये भी बताते हैं कि आखिर क्यों मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी कानून के खिलाफ हैं विरोधी और अपने....ऐसा लगता है कि सरकार मान चुकी है कि लोगों को डरा कर ही अच्छी सीख दी जा सकती है...इसीलिए नए मोटर व्हीकल एक्ट में तगड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है...

अब बिना ड्राइविंग लाइसेंस गाड़ी चलाने पर जुर्माने की रकम अब 5000 भरनी होगी, पहले ये रकम 500 रुपए हुआ करती थी...ऐसे ही ओवर स्पीड पर अब एक से 2 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा...जबकि पहले 400 रुपए भरना पड़ता था...इसी तरह शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के लिए जुर्माने की रकम को बढ़ा कर दस हजार रुपए कर दिया गया है, जबकि पहले 2000 रुपए का चालान भरवाया जाता था...बिना सीट बेल्ट गाड़ी चलाने पर अब एक हजार रुपए फाइन भरना होगा, पहले 100 रुपए भरने पर काम चल जाता था....इसी तरह नए एक्ट में पहली बार प्रावधान किया गया है कि अगर एंबुलेंस या दूसरी इमरजेंसी गाड़ियों को रास्ता नहीं दिया जाता है तो 10 हजार रुपए का फाइन भरना होगा...केंद्र सरकार ने नाबालिग ड्राइवरों को लेकर भी सख्ती दिखाई है...इसमें गाड़ी मालिक या फिर मां-बाप पर 25 हजार का जुर्माना और तीन महीने की जेल जैसे प्रावधान कर दिए हैं....इसके साथ जुवेनाइल एक्ट के तहत केस चलाने की बात की गई है...इसके अलावा बिना हेल्मेट पर अब एक हजार का जुर्माना है जो कि पहले 100 रुपए था इसी तरह बिना बीमा वाली गाड़ी चलाने पर अब 2 हजार रुपए फाइन है जो कि पहले एक हजार रुपए था....

राज्य सरकारों के कदम...और सियासत तो अब तक आपने देख ली...अब इस कानून के लागू होने के बाद जनता की हालत भी आपको बताते हैं...असल में तो ये कानून जनता की भलाई...उसकी हिफाज़त की दलीलों के साथ ही लाया गया है....

गुरुग्राम में एक स्कूटी सवार का 23 हजार रुपए का चालान काटने की खबर सबसे पहले आई...बताया गया कि ये जुर्माना स्कूटी की रकम से ज्यादा था क्योंकि स्कूटी मालिक का दावा कि उसकी स्कूटी की कीमत ही 15 हजार रुपए थी...इसी तरह गुरुग्राम में ही एक ट्रैक्टर के 59 हजार चालान का मामला सुर्खियां बटोर चुका है...ट्रैक्टर चालक पर ओवरलोडिंग का आरोप था...दिल्ली में तो हद हो गई यहां एक युवक बाइक का चालान 25 हजार रुपए कटने से इस कदर खफा हुआ कि उसने मौके पर अपनी बाइक में आग लगा दी...इस नियम के तहत अब तक सबसे महंगा चालान दिल्ली में एक ट्रक का काटा गया है...ट्रक राजस्थान का था...जिसका चालान 1 लाख 41 हजार 700 रुपए का जुर्माना लिया गया....

दिल्ली में ही एक ऑटो रिक्शा वाले का चालान 32 हजार 500 रुपए का काटा जा चुका है...जुर्माने की इस भारी भरकम रकम को लेकर जनता खौफ में भले है लेकिन वो इसका जवाब अपने तरीके से दे रही है...पुलिसवालों पर उसकी खास निगाह है....यही वजह है कि पुलिस से टकराव की भी खबरें आ रही है बिहार में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां बिना हेल्मेट लगाए घूम रहे पुलिसवाले को लोगों ने रोका उसकी युवक से झड़प हो गई.... ऐसा नहीं कि इस पूरे मामले में जनता बिल्कुल ही मासूम है...जिम्मेदारी से परे है...जनता की जवाबदेही भी तय होना ज़रूरी है...

कानून बनाने वाले भी जानते हैं कि कई दूसरे और संगीन अपराधों के लिए भी सख्त कानून मौजूद हैं...लेकिन क्या उन कानूनों की वजह से अपराध रुक गए..क्या देश में हत्याएं रुक गईं ? क्या महिलाओं पर होने वाले अपराध थम गए?...ऐसा नहीं कि इन दलीलों से नए और सख्त कानून ही ना बनें...लेकिन सरकार को ये भी समझना होगा कि कानून व्यवहारिक हो...जिस जनता की भलाई के लिए वो बनाया जा रहा है वही मासूम जनता उसका शिकार ना बने। केंद्र सरकार ने समय-समय पर नोटबंदी और जीएसटी कानून में भी संशोधन किए हैं..ऐसे में अगर ट्रैफिक के नए नियमों में संशोधन की जरूरत है, तो किसी तरह की जिद छोड़कर सरकार को इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

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