(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हिंसा में विपक्षी नेताओं पर निशाना तो उनपर जुर्माना क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया था कि प्रदेश की जहां-जहां, जिस-जिस ने भी प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति का नुकसान किया.. सरकार उसी से पूरे नुकसान की पाई-पाई वसूल करेगी... और अब हिंसा की चपेट में आए हर जिले में सरकारी संपत्ति बर्बाद करने वाले लोगों की तलाश कर सरकार उन्हे वसूली का नोटिस देती जा रही है....
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में हुए विरोध और बीते दिनों इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शन थमने के बाद... अब यूपी को हिंसा की आग में झोकने की कोशिश करने वालों पर सरकार शिकंजा कसने लगी है... लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, रामपुर और मेरठ समेत कई जिलों में सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट के विरोध में हुई हिंसा के फौरन बाद... मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया था कि प्रदेश की जहां-जहां, जिस-जिस ने भी प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति का नुकसान किया.. सरकार उसी से पूरे नुकसान की पाई-पाई वसूल करेगी... और अब हिंसा की चपेट में आए हर जिले में सरकारी संपत्ति बर्बाद करने वाले लोगों की तलाश कर सरकार उन्हे वसूली का नोटिस देती जा रही है....
उत्तर प्रदेश सरकार ने नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा के मामलों में अब तक कुल 327 एफआईआर दर्ज करते हुए... प्रदेशभर से 1 हजार 113 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है... जबकि 5 हजार 558 लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की है... यूपी में कई जिलों में हुई हिंसा में 19 लोगों की मौत हुई थी... जबकि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वाले 124 लोग गिरफ्तार कर 93 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है... इसके अलावा 19 हजार 409 सोशल मीडिया पोस्ट पर कार्रवाई हुई है... पुलिस ने हिंसा भड़काने या अफवाह फैलाने में मदद करने वाले 9 हजार 372 ट्विटर अकाउंट, 9 हजार 856 फेसबुक अकाउंट और 181 यूट्यूब प्रोफाइल को भी ब्लॉक करवाया है... जबकि इन प्रदर्शनों में कुल 288 पुलिसकर्मी घायल हुए थे... जिनमें से 61 पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों की गोली लगने से घायल हुए। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों की एसआईटी जांच के निर्देश दे दिए हैं... इसके लिए डीजीपी ने एक पत्र जारी निर्देश दिये हैं कि जहां जहां भी हिंसक प्रदर्शन हुए वहां एएसपी स्तर का पुलिस अधिकारी हिंसा के मामलों की जांच करेंगे... अपनी चिट्ठी में डीजीपी ओपी सिंह ने इस बात की भी सख्त हिदायत दी है कि जांच के दौरान बिना सबूत किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाए। दूसरी तरफ कल शुक्रवार को देखते हुए एक बार फिर बुलंदशहर आगरा और मेरठ समेत 6 जिलों में एक बार फिर एहतियात के तौर पर इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है... क्योंकि पिछले हफ्ते भी शुक्रवार को ही हिंसक प्रदर्शनों में तेजी आई थी...
हिंसा के दौरान हुई सरकारी संपत्ति के नुकसान की कीमत उपद्रवियों से वसूलने के यूपी सरकार के इस कदम को लेकर भी राजनीति हो रही है... 23 दिसंबर को सोनिया गांधी की अगुवाई में राजघाट पर जब कांग्रेस के आला नेता इकट्ठा हुए... तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिंसा के दौरान मारे गए लोगों को शहीद कह डाला... दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने भी हिंसक प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के घरों पर अपने प्रतिनिधि भेजने शुरु कर दिये हैं... जो ये बताता है कि नागरिकता कानून की आड़ में राजनीतिक दल अब अपने कोर एजेंडे यानी वोटबैंक की गोलबंदी में जुट गए हैं... जबकि इन्ही हिंसक प्रदर्शनों को रोकने में उत्तर प्रदेश पुलिस के करीब 288 जवान भी बुरी तरह जख्मी हो गए... लेकिन किसी राजनीतिक दल ने किसी भी पुलिसवाले का पुरसा हाल लेना मुनासिब नहीं समझा...
मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही है... लेकिन हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सबसे ज्यादा संजीदगी मायावती ने दिखाई और शुरु से ही प्रदर्शनकारियों को हिंसा और आगजनी ना करने की अपील करती रहीं हैं... उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जब सीएए को लेकर हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे उस वक्त भी मायावती ने अपनी पार्टी को इस पूरे घटनाक्रम से बसपा को अलग रखा... और केंद्र सरकार की घेरेबंदी के साथ ही शांतिपूर्ण विरोध की वकालत करती रहीं।
क्या उपद्रवियों पर जुर्माने की कार्रवाई आगे हिंसक प्रदर्शन करने वालों के लिए सबक बनेगी... जब हिंसा में विपक्षी नेताओं पर उंगलियां उठ रही हैं तो उनपर भी जुर्माना क्यों नहीं लगाया जा रहा है... और जुर्माना लगाने या इंटरनेट बंद करने से प्रदेश में हालात पर काबू पाया जा सकेगा?
संविधान ने जनता को विरोध का जो बुनियादी हक दिया है, उसमें जिम्मेदारी भी शामिल है। सरकार के प्रतिकार का हक इस बात की कतई इजाजत नहीं देता कि उन्मादी भीड़ सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन करे। सरकार के विरोधियों को भी ये बात याद रखनी चाहिये कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले ही दंगाइयों से नुकसान की भरपाई के निर्देश दे रखे हैं। ऐसे में अगर सरकार ईमानदारी से दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है तो विपक्ष को इसका समर्थन करना चाहिये। साथ ही सरकार को भी हिंसक प्रदर्शनों और अफवाह पर काबू पाने के लिए नए विकल्प तलाशना जरूरी हो गया है, क्योंकि इंटरनेट ही आज के डिजिटल इंडिया की बुनियाद है।