उन्नाव और हैदराबाद में बेटियों के साथ हुई हैवानियत के बाद देश में जो आक्रोश उठा था उससे उम्मीद जगी थी कि बहस और विरोध प्रदर्शनों से निकलकर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तमाम सियासी दल एक साथ आगे आएंगे। लेकिन इस उम्मीद से ठीक उलट आशंका ये भी थी कि चंद दिनों के गुस्से और विरोध प्रदर्शन के बाद सबकुछ वैसा ही हो जाएगा जैसा चलता चला आ रहा है और आज हुआ भी ठीक वैसा ही।


उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता को जिंदा जलाकर हुई हत्या को सिर्फ 8 दिन गुजरे हैं। हैदराबाद में महिला डॉक्टर की गैंगरेप और हत्या को अभी सिर्फ 15 दिन बीते हैं। लेकिन इन दोनों शर्मनाक घटनाओं को दरकिनार करते हुए राजनीति ने देश की सबसे बड़ी पंचायत में सारे लिहाज भुला दिये और बलात्कार के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच शुरु हुए हंगामे में एक बार फिर महिला सुरक्षा का मुद्दा बहुत पीछे छूट गया। जिस संसद में महिलाओं की सुरक्षा सुनिष्चित करने के लिए गंभीर चर्चा होनी चाहिये थी वहां बलात्कार के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच दिनभर हंगामा चलता रहा।


अमेठी से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत भाजपा की महिला सांसदों ने राहुल गांधी पर जमकर हल्ला बोला और उनसे माफी की मांग की, लेकिन राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार पर मुद्दों से भटकाने का इल्ज़ाम लगाया। राहुल ने माफी मांगने से भी दो टूक इन्कार किया।


रेप और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर असल में क्या चल रहा है ये अब तक आप समझ रहे होंगे...सियासत और सिर्फ सियासत...भाजपा राहुल की माफी पर अड़ी है तो राहुल माफी ना मांगने पर। महिला सुरक्षा का मुद्दा तो अब कहीं पीछे छूटता नजर आ रहा है। भाजपा तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने के लिए चुनाव आयोग तक पहुंच गई है।


आखिर राहुल गांधी को वो बयान क्या है जिस पर इतना हंगामा मचा हुआ है। खुद राहुल गांधी की संसद सदस्यता खतरे में आ सकती है। राहुल गांधी ने एक दिन पहले झारखंड के गोड्डा में चुनावी रैली के दौरान बयान दिया था कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'मेक इन इंडिया', लेकिन आज जहां भी देखो, 'रेप इन इंडिया' नजर आता है...उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी (की पार्टी) का विधायक महिला का रेप करता है, फिर पीड़िता का एक्सीडेंट हो जाता है, लेकिन नरेंद्र मोदी एक शब्द भी नहीं कहते।"


राहुल अपने इस बयान पर घिरे तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का एक पुरान बयान ट्वीट किया। रेप और महिला सुरक्षा के नाम पर सियासत और बयानों के इस हंगामे के बीच राहुल गांधी की एक ऐसी तस्वीर भी आई जो वाकई शर्मनाक है। बहस के दौरान मुस्कुराते हुए राहुल गांधी की तस्वीर उनके कद के मेल नहीं खाती...उनकी नीयत से मेल नहीं खाती...उनके संवेदनशील बयानों से उलट है राहुल गांधी की ये तस्वीर...आखिर इतने गंभीर मसले पर विरोधियों पर तंज कसने के लिए या उनके वार से खुद को बेअसर बताने के लिए भी ऐसा करना कतई वाजिब नहीं माना जा सकता....शायद यही वो मौके हैं, जहां राहुल गांधी खुद को संवेदनशील और परिपक्व नहीं दिखा पाते और विरोधियों के निशाने पर आ जाते हैं।


वैसे सियासत के इन शर्मनाक पहलुओं के बीच एक अच्छी शुरुआत भी देखने को मिली है...सियासत के बीच आपके काम की बात बताना ही हमारा मकसद है...इसलिए खासतौर से इस बात का जिक्र मैं कर रहा हूं...महिलाओं के प्रति अत्याचार और उनकी सुरक्षा के नाम पर जिस वक्त दिल्ली में हंगामा बरपा था...उस वक्त लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी ओपी सिंह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने की रणनीति पर मंथन कर रहे थे...और ये मंथन वाकई गंभीर था..ये कार्यशाला आज और कल दो दिन चलेगी।


तो एक तरफ उत्तर प्रदेश की कोशिश और दूसरी तरफ दिल्ली का हंगामा, इन सबके बीच कहां है बेटियों को बचाने की मुहिम। कहां है महिलाओं की सुरक्षा के प्रयास, आखिर क्यों इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी नेता मौका मिलते ही सियासत पर उतर आते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि...


आखिर क्यों बलात्कार जैसे घृणित अपराध पर भी सियासत हंगामा करती है?
महिलाओं की सुरक्षा से ज्यादा अहम है संसद में बैठे जिम्मेदार नेताओं का हंगमा?
सियासी वार-पलटवार के आगे कब तक देश की बेटियां लाचार खड़ी रहेंगी?


बलात्कार जैसे घृणित मुद्दे पर भी देश की संसद में हो रही घृणित राजनीति ने साफ कर दिया है, कि जिन लोगों को जनता ने चुनकर संसद भेजा था, वो महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दे पर भी बिलकुल गंभीर नहीं है। इस मुद्दे पर कानून को और सख्त करने के लिए बहस की बजाय बलात्कार को एक दूसरे के खिलाफ राजनीति हथियार की तरह इस्तेमाल करना राजनीति की सबसे शर्मनाक स्थिति है।