राज्यसभा चुनाव में खुब तनातनी देखने को मिली. राज्यसभा की 15 सीटों के लिए मंगलवार (27 फरवरी) को वोटिंग हुई लेकिन तीनों राज्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में क्रॉस वोटिंग की खबर सामने आई. सबसे पहले कर्नाटक का नतीजा सामने आया. कर्नाटक में कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की. उत्तर प्रदेश में वोटिंग शुरू होने के कुछ ही देर में यूपी में समाजवादी पार्टी के चीफ व्हिप और विधायक मनोज कुमार पांडेय ने इस्तीफा दे दिया. दोपहर बाद यह भी खबर आई की यूपी में समाजवादी पार्टी के 7 विधायकों ने एनडीए को वोट दिया है.


इन विधायकों में राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, विनोद चतुर्वेदी, मनोज पांडेय, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य का नाम शामिल है. मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि कनार्टक में बीजेपी विधायक एसटी सोमशेखर ने कांग्रेस उम्मीदवार को वोट दिया है. उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 8 सीटों पर जीत हासिल की है वहीं समाजवादी पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है.


कांग्रेस विधायकों में असंतोष


उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में सबसे हिमाचल प्रदेश की स्थिति अधिक खराब है. हिमाचल प्रदेश में लगभग 3 निर्दलीय उम्मीदवार थे जो कि अभी सत्ता पक्ष के साथ है. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. खबर आ रही है कि क्रॉस वोटिंग की गई है और बीजेपी के उम्मीदवार को वोट दिया है. उसके अलावा वहां कांग्रेस के 6 या 7 विधायकों पर क्रॉस वोटिंग की बात सामने आ रही है. कांग्रेस के विधायकों में या नेताओं में पतझड़ की स्थिति है, कोई भी चुनाव हो तो वह सबसे पहले पार्टी छोड़ने लगते है. बीना किसी परवाह के, बीना सोचें सत्ता की राजनीति के साथ भागने लगते है.


कुछ समय पहले हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की अच्छी सीट है, यदि इसके बाद भी कांग्रेस के असंतुष्ट नेता राज्यसभा के वोटिंग के दौरान कांग्रेस को छोड़ बीजेपी उम्मीदवार को वोट दे रहे है. इससे जुड़ी दो बातें है, पहली यह की कांग्रेस के विधायकों में असंतोष है और दूसरी यह की इससे यह होगा कि हिमाचल प्रदेश में सरकार अल्पमत में आ जायेगी. बीजेपी आने वाले समय में विश्वास मत की बात करेगी. कांग्रेस को हिमाचल में 35 नेता चाहिे और यदि न रहें तो सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार गिर जाएगी. 


 



कांग्रेस के विधायकों का बीजेपी को वोट देना गलत


उत्तर प्रदेश में सपा के 60 विधायक है, जिन्होंने एनडीए के उम्मीदवार को वोट दिया है. बीजेपी ने यह किया कि उनके जितने विधायक थे, उसके हिसाब से जितने राज्यसभा के उम्मीदवार हो सकते थे, उन्होंने उतारे और एक संख्या अधिक रखी. जो स्थिति हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के साथ हुई वहीं उत्तर प्रदेश में सपा के साथ देखने को मिली.  बताया जा रहा है कि सपा के 7 उम्मीदवारों ने क्रॉस वोटिंग की है. इन विधायकों में भी दो वर्ग है, या तो फॉरवर्ड वर्ग के विधायक है नहीं तो दलित वर्ग के विधायक है. ये दोनों वर्ग कहीं न कहीं कंफर्ट महसूस नहीं करते होंगे.


इस वक्त देश में बीजेपी के लिए प्रति जो भाव है, चाहें लोकसभा चुनाव हो या फिर विधान सभा चुनाव, जो नेता सत्ता की राजनीति करते है और जो सांसद बनना चाहते है, जो विचारधारा की राजनीति नहीं करते, सत्ता की राजनीति करना चाहते है, वो बीजेपी की ओर आने की कोशिश करते है. कांग्रेस के नेता बीजेपी को वोट करने लगे ये एक तरह से सही नहीं है, आप जिस पार्टी में है कम-से-कम उस पार्टी में ही होकर रहिए. ये बीजेपी के लिए भी एक सबक है कि जो नेती सिर्फ सत्ता के लिए जुड़ रहे है, हो सकता है आने वाले समय में भी वो फिर से आपके साथ वैसा करें. बीजेपी के लिए भी इस तरह के नेता विश्वसनीय नहीं होते है, उनको कुछ दिन तक रखकर निकाल दिया जाता है. 


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