सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर बनने का रास्ता साफ होने के बाद अयोध्या ही नहीं पूरा देश हर दिन इंतज़ार कर रहा था उस ट्रस्ट के एलान का, जिसकी अगुवाई में अयोध्या में बनना है भव्य और दिव्य राम मंदिर। आज संसद में पीएम मोदी के एलान के साथ वो बड़ी खुशखबरी सामने आ ही गई। कैबिनेट ने राममंदिर ट्रस्ट को हरी झंडी दी तो बिना एक पल गंवाए प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के जरिये पूरे देश को इसकी जानकारी दी। इस खुशखबरी ने अयोध्या और पूरे उत्तर प्रदेश में तरक्की की नई बुनियाद भी रखी है। आज राजनीति में हम इसी बात पर चर्चा करेंगे कि आखिर कैसे रामराज्य की कल्पना साकार होगी...कैसे अयोध्या और पूरा उत्तर प्रदेश विकास की नई बुलंदियों की ओर बढ़ेगा...सरकार ने आज ही मुस्लिम समाज को भी मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने की घोषणा कर दी
दिन की शुरुआत के साथ ही राम मंदिर ट्रस्ट की खुशखबरी सामने आई...तो दोपहर होते-होते ट्रस्ट का खाका भी सामने आने लगा। ट्रस्ट को जिस तरह का स्वरूप दिया गया है, उससे ये साफ है कि राजनीति के लंबे दौर की गवाह रही अयोध्या को अब कम से कम सियासत से दूर ही रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में ट्रस्ट के गठन की जानकारी देते हुए बताया कि ट्रस्ट का नाम राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र होगा। ये ट्रस्ट पूरी तरह स्वायत्त होगा। यानी ट्रस्ट के पास मंदिर निर्माण और संचालन से जुड़ा हर फैसला लेने का अधिकार होगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे... जिनमें एक सदस्य दलित होगा और सरकार ट्रस्ट को राम जन्मभूमि और उसके आसपास की 67.7 एकड़ जमीन सौंप दी जाएगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही अयोध्या के कमिश्नर ने जन्मभूमि के रिसीवर की जिम्मेदारी... अयोध्या के राजा बिमलेंद्र मोहन को मिल गई है। अयोध्या के डीएम अनुज झा और कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने अयोध्या के राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के घर जाकर उन्हे राम जन्मभूमि के रिसीवर का चार्ज सौंप दिया।
इस फैसले के बाद अब राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के नामों का इंतजार है लेकिन ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है... वो नाम है रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास लेकिन खुद उनका कहना है कि अध्यक्ष का फैसला ट्रस्ट के सदस्य ही करेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा।