बीसीसीआई में विरोध करने की रवायत है नहीं. लिहाजा जब रवि शास्त्री के कोच बने रहने की खबर आई तो उसमें सभी की सहमति थी. रवि शास्त्री की ‘वन-टू-वन मैन मार्किंग’ काम आई. वेस्टइंडीज जाने से पहले विराट कोहली कह ही गए थे कि टीम के खिलाड़ियों को खुशी होगी अगर रवि शास्त्री ही कोच बने रहते हैं. जाहिर है कपिल देव, अंशुमान गायकवाड़ और शांता रंगास्वामी ने जब फैसला किया तो उनके जेहन में ये बात थी.
रवि शास्त्री को एक्सटेंशन दिए जाने पर किसी ने ना तो कोई विरोध किया और ना ही किसी ने पूछा कि जब शास्त्री को ही ये जिम्मेदारी देनी थी तो फिर इतनी औपचारिकताएं क्यों की गईं? दिलचस्प बात ये है कि अगले कुछ दिनों में जब रवि शास्त्री के लिए सपोर्ट स्टाफ चुनने की बारी आई आएगी तो भी उनकी पसंद ही चलने वाली है. एकाध नाम छोड़ दिए जाएं तो सारे नाम वही रहने वाले हैं.
इन बातों के बाद भी ऐसा नहीं है कि 2021 तक रवि शास्त्री की डगर आसान रहने वाली है. उनकी असली इम्तिहान अब शुरू होगा. अब हर सीरीज के बाद उनकी कोचिंग का आंकलन होगा. अगले दो साल में उनके सामने टी-20 से लेकर टेस्ट चैंपियनशिप तक की चुनौती रहेगी.
टी-20 से लेकर टेस्ट चैंपियनशिप तक की चुनौती
करीब सवा साल बाद टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेलना है. हाल ही में वेस्टइंडीज में खेली गई टी-20 सीरीज में टीम का प्रदर्शन अच्छा रहा. टी-20 की टीम में कुछ बदलाव भी दिखे. जो इस बात का इशारा करते हैं कि विश्व कप की तैयारियां शुरू हो गई हैं. जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या जैसे कुछ नियमित खिलाड़ी टी-20 टीम में इसलिए नहीं थे क्योंकि ये सीरीज विश्व कप के तुरंत बाद खेली जा रही थी. और इन खिलाड़ियों को आराम दिया जाना जरूरी था. खैर, रवि शास्त्री के लिए चुनौती यही है कि वो टूर्नामेंट जीतें.
उन्होंने बतौर कोच तमाम सीरीज खेली है. लेकिन अब तक वो बड़े टूर्नामेंट जीतने में नाकाम रहे हैं. हाल ही में विश्व कप में भारतीय टीम का सफर सेमीफाइनल में रूक गया था. जब उसे न्यूज़ीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. दिलचस्प बात ये है कि आईसीसी ने टेस्ट चैंपियनशिप की शुरूआत भी की है. जिसका फाइनल करीब दो साल बाद लॉर्ड्स में खेला जाएगा. फाइनल के आधार पर ही टी-20 और वनडे की तर्ज पर दुनिया को टेस्ट वर्ल्ड चैंपियन मिलेगा. इस चैंपियनशिप की शुरूआत भारत और वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज से होगी.
होनहार खिलाड़ियों को बचाना
रवि शास्त्री के लिए एक बड़ी चुनौती होगी नवदीप सैनी और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ियों को बचाए रखना. श्रेयस अय्यर बल्लेबाजी में और नवदीप सैनी गेंदबाजी में टीम इंडिया का भविष्य हो सकते हैं. इन खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मौके देने होंगे. इन्हें मानसिक तौर पर इतना परिपक्व बनाना होगा कि वो घरेलू क्रिकेट की अपनी सफलता को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भी कायम रख सकें. श्रेयस अय्यर के तौर पर टीम इंडिया को मिडिल ऑर्डर की पुरानी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है. आपको याद ही होगा कि विश्व कप से पहले टीम इंडिया लगातार नंबर चार के बल्लेबाज की परेशानी से जूझती रही और आखिरकार विश्व कप में हार की बड़ी वजहों में नंबर चार की पोजीशन भी रही.
खिलाड़ियों के समूह के बाहर भी नजर दौड़ानी होगी
रवि शास्त्री को बतौर कोच अपने 20-25 खिलाड़ियों की टोली से बाहर भी नजर दौड़ानी होगी. आप सोचकर देखिए कि करूण नायर टीम से बाहर हैं, वही करूण नायर जो सिर्फ 24 साल की उम्र में अपने तीसरे ही टेस्ट मैच में तिहरा शतक लगा चुके हैं. लेकिन वो टीम से बाहर हैं. 32 साल के सुरेश रैना को टीम की स्कीम से ही बाहर कर दिया गया है. अंबाती रायडू जैसे खिलाड़ी को भरोसा देने के बाद भी विश्व कप की टीम से बाहर कर दिया गया. जिसकी वजह से उन्हें संन्यास लेना पड़ा. खिलाडियों के समूह को तैयार करना कोई गलत बात नहीं है. खिलाड़ियों की पसंद-नापसंद भी हर कप्तान और कोच की होती है. लेकिन रवि शास्त्री को ये समझना होगा कि किसी खिलाड़ी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. जैसा अंबाती रायडू के साथ हुआ.