RBI Surprise Move: रिज़र्व बैंक ने आज अचानक ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया है, जबकि RBI को इस मुद्दे पर फैसला एक महीने बाद 8 जून को लेना था. इसका मतलब पानी सिर के ऊपर जा चुका है. महंगाई बेतहाशा बढ़ गई है. रेपो रेट (Repo Rate) 4% से 4.4% करना और CRR में सीधे 50 बेस पॉइंट बढ़ा देना बड़ी बात है. क्या ये आने वाले बुरे दिनों के संकेत है?
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ चुकी है. भारत में भी पिछले कई महीनों से बुरे हालात है. बाज़ार में हर चीज महंगी है. ब्याज दर बढ़ाकर RBI बाज़ार से कैश कम करना चाहती है, ताकि लोगों के हाथ में पैसा कम आए और वो कम खर्च करें.
लोग कम खर्च करेंगे तो सामानों की डिमांड कम होगी. डिमांड कम होगी तो चीजें बाजार में सस्ती होंगी. चीजें सस्ती होंगी तो महंगाई काबू में आ जाएगी, लेकिन GDP के विकास की दृष्टि से ये सब खतरनाक है. ऐसा अगर लंबे समय तक करना पड़ा तो मंदी का खतरा बढ़ जाता है.
इसलिए बाजार में हमेशा डिमांड के हिसाब से चीजों की सप्लाई होती रहनी चाहिए ताकि महंगाई ज्यादा न बढ़े. फिलहाल युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है. इसकी वजह भारत समेत दुनिया के कई देशों में तेल का आयात महंगा हो गया है. तेल महंगा होने की वजह से ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है.
ट्रांसपोर्ट महंगा होने की वजह से खाने-पीने से लेकर ज़्यादातर कंज्यूमर गुड्स तो महंगे हो ही रहे हैं, कारख़ानों में पहुंचने वाला कच्चा माल भी महंगा हो रहा है. इसलिए बाजार के हर सामान के भाव आसमान छू रहे हैं. हर चीज महंगी होने की वजह से लोगों के हाथ में असल आमदनी कम हो रही है.
वास्तविक आय कम होने का मतलब पहले अगर 100 रु में एक किलो सेब मिलते थे तो अब वही सेब 150 रु में मिलने लगे हैं. यानी उतनी ही चीज खरीदने के लिए आपको ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं. ऐसा होने पर आपको अपने दूसरे खर्चों में कटौती करनी होगी. मतलब लाइफस्टाइल में बदलाव. अगर आप खर्च या लाइफस्टाइल में कटौती नहीं करेंगे तो आपको लोन लेना पड़ेगा. बैंक ने लोन तो पहले ही महंगा कर दिया है तो ऐसे में आप पर दोहरी मार पड़ेगी. अब आपको अपनी कमाई बढ़ाने के बारे में सोचना पड़ेगा. अगर नौकरी करते हैं तो इंक्रीमेंट महंगाई दर से ज्यादा होना चाहिए, तभी कुछ राहत मिलेगी. बुरे वक़्त की आशंका में कंपनी इंक्रीमेंट देंगी क्यों?
अगर कारोबार करते हैं तो आपको इसे बढ़ाने के लिए और पैसों की ज़रूरत पड़ेगी. आप बैंक से लोन लेने जाएंगे. बैंक लोन चूँकि महंगा हो चुका है तो आपके प्रोडक्शन की कॉस्ट बढ़ जाएगी. ऐसा होने से सामान महंगा हो जाएगा. महंगाई तो पहले से ही बढ़ रही है, डिमांड कम करने की कोशिश है. फिर आपका सामान बिकेगा कैसे?
खतरा देखते हुए अब आप लोन नहीं लेंगे. प्रोडक्शन कम कर देंगे. ऐसा करने से माल कम बिकेगा. पहले के मुकाबले कमाई कम हो जाएगी. कमाई कम होने पर घाटा होने का खतरा बढ़ जाएगा. आप घाटा कम करने के लिए लोगों को नौकरी से निकालने पर मजबूर होंगे. आपकी तरह बाकी लोग भी ऐसा करेंगे तो बेरोजगारी बढ़ेगी.
बेरोजगारी बढ़ने पर लोगों में निराशा और हताशा बढ़ेगी. युवाओं में गुस्सा बढ़ेगा. कानून-व्यवस्था पर खतरा आ सकता है. अपराध बढ़ सकता है. सरकारों के लिए स्थिति सम्भालना मुश्किल हो सकता है.
सरकारों को इस स्थिति से बचने के लिए रोजगार देना होगा, लोगों के हाथों में पैसा पहुंचाना होगा, लेकिन चीजों की सप्लाई कम और लोगों के हाथ में पैसा ज्यादा होना ही तो महंगाई की जड़ है. RBI ब्याज दरों को बढ़ाकर इसी को तो ठीक करने की कोशिश कर रही है. फिर ये ठीक कैसे होगा? ये एक भयानक कुचक्र है. इसी से बचने की कोशिश में हर सरकार लगी है.
फिलहाल इससे बचने का एक ही तरीका है कि रूस-यूक्रेन का युद्ध बंद हो ताकि पूरी दुनिया में तेल और बाकी सामानों की सप्लाई ठीक हो. डिमांड-सप्लाई बराबर होने से महंगाई कम होगी. महंगाई कम होने से उम्मीद है कि लोग शायद खुश हो जाएं.
वैसे महंगाई हमेशा बुरी नहीं होती. जब अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ रही हो तो इसे कई बार इग्नोर भी किया जाता है. वो स्थितियां क्या होती हैं, इस पर चर्चा फिर कभी.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)