शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के ड्रग्स केस पर सियासत और अदालत दोनों चल रही है. कुछ सरकार पर तो कुछ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) पर आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, आरोप लगाने से पहले ड्रग्स और उसका नौजवानों पर पड़ने वाले असर को समझना होगा.


सन 2014 मैं पंजाब में ड्रग्स की एक स्टोरी के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था. मेरा काम ड्रग्स के पैडलरों को ढूंढना और उनकी करतूत कैमरे पर कैद करना था. इसी दौरान मेरी मुलाकात एक शादीशुदा जोड़े से हुई. उम्र तकरीबन 25 से 30 साल के बीच होगी. ये दोनों ड्रग्स के आदी थे. पत्नी पंजाब विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट थी और पति एमबीए किया था. दोनों ड्रग्स की गिरफ्त में फंस चुके थे. घर में एक बूढ़ी मां भी थी. हर सात-आठ घंटे में इन्हें हेरोइन (ड्रग्स) की एक डोज चाहिए थी. नशे की लत के चलते दोनों की नौकरी छूट चुकी थी. शादी में जो भी सामान मिला था वो बिक चुका था. नौकरी के दौरान की बचत ड्रग्स पैडलर्स की जेब में थी. जब पैसे खत्म हुए तो ये नवविवाहित जोड़ा ड्रग्स लेने के लिए ड्रग्स के धंधे में उतर गए. 


हम दोपहर में तकरीबन दो बजे इस दंपत्ति के पास पहुंचे. पति और पत्नी से खूब बातें की. हर पहलू पर उन्होंने खुलकर बात की. पत्नी ने बताया कि उसने अपनी मर्जी से शादी में मिले गहने, कपड़े, फ्रिज, बर्तन सब बेच दिया, क्योंकि वो नशे के इस चक्रव्यूह से नहीं निकल पा रही थी और उसे ड्रग्स हर हाल में चाहिए था. उसके मां-बाप रोज इस उम्मीद में सोते हैं कि अगली सुबह उसकी और उसके पति की ड्रग्स की लत छूट जाएगी. इतना कहकर वो रोने लगी. इतना रोई कि हम और हमारे कैमरामैन दोनों भावुक हो गए. 


हमने सवाल किया कि जब आपको इतना पछतावा है, तो आप इस लत को छोड़ क्यों नहीं देतीं? इससे पहले कि वो इस सवाल का जवाब देती उसकी बूढ़ी सास ने बोलना शुरू किया. उन्होंने बताया कि बेटा जब इनके शरीर को ड्रग्स की जरुरत महसूस होती है, तो ये दोनों तड़पने लगते हैं, रोते हैं, अपना सिर दीवार से लड़ाते हैं. मैं भी ये सब नहीं देख पाती और कहती हूं कि जाओ ड्रग्स ले लो. मैनें भी अपनी सारी जमा-पूंजी ड्रग्स के लिए इन्हें दे दी है. सोचती हूं कम से कम जब तक ये जिंदा हैं, तब तक तो ये बिना तड़पे जी लें. एक ना एक दिन तो ड्रग्स इनकी जान ले ही लेगा. मैं ये मानकर चल रही हूं कि मेरा बेटा और बहू दोनों मर चुके हैं. पति-पत्नी ड्रग्स पैडलर के जाल में फंस चुके हैं. अब इन्हें ड्रग्स बेचनी पड़ती है. हिसाब-किताब रखना पड़ता है. बदले में पैडलर इन्हें इनकी जरुरत का ड्रग्स देते हैं.


इस शादीशुदा जोड़े को ड्रग्स की लत एक दिन में नहीं लगी होगी. इतने दिन पंजाब की नारकोटिक्स कंट्रोल व्यूरो (एनसीबी) क्या कर रही थी? अब इनसे ड्रग्स की सप्लाई करवाई जा रही है. ना जाने एनसीबी कहां है? पुलिस कहां है?


आर्यन खान के केस में एनसीबी को तह तक जाना ही होगा. सेलिब्रिटी होने के साथ-साथ वो एक परिवार का बेटा भी है. शायद जिंदगी का ये सबक उसे हमेशा के लिए याद रहे और वो ड्रग्स से दूरी बना ले. उसकी तरह दूसरे सेलिब्रिटी के बच्चे भी सबक लेकर ड्रग्स से दूर हो जाएं. दुनिया के किसी दूसरे अपराध पर सियासत हो सकती है, लेकिन ड्रग्स जैसे अपराध पर हर कार्रवाई को समर्थन देने से, हो सकता है कि ये बीमारी हमेशा के लिए नौजवानों की नसों से खत्म हो जाए. 


ड्रग माफिया पैसा तभी कमाता है जब उसके पास ड्रग्स खरीदने वाले होते हैं. बच्चों को अगर इस लत से दूर कर दिया जाए तो माफिया अपने आप खत्म हो जाएंगे. हालांकि ड्रग्स के केस में निर्दोषों को फंसाने की पुलिसिया कार्रवाई का समर्थन नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे देखने के लिए देश में अदालतें हैं. ड्रग्स को मुंबई में धीरे-धीरे नौजवानों में मान्यता मिल रही है. सेलिब्रिटी इसका जमकर सेवन कर रहे हैं. उन्हें देखकर दूसरे नौजवान इस जहर की चपेट में फंसते जा रहे हैं. 


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.


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