एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

क्या UN की प्रासंगिकता हो गई है खत्म, पीएम मोदी ने दे दिया है संकेत, भारत को बनाना होगा सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य

हम सब जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सबसे बड़ा वैश्विक संस्थान है. फिलहाल इसके 193 सदस्य हैं. इस संस्था के बने हुए 77 साल से ज्यादा हो गए हैं और उस वक्त से दुनिया की राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है. लंबे वक्त से संयुक्त राष्ट्र में बड़े पैमाने पर सुधार की मांग की जा रही है. हालांकि इस दिशा में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. जापान के हिरोशिमा में जी 7 समूह की सालाना बैठक होती है और उसके बाद एक बार फिर से ये चर्चा जोरों पर हैं कि बड़े सुधार के अभाव में क्या संयुक्त राष्ट्र अब अपनी प्रासंगिकता खो चुका है.

G7 बैठक में भारत ने उठाया UN सुधार का मुद्दा

दरअसल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से इस दिशा में दुनिया का ध्यान G7 के मंच से खींचा है. 21 मई को हिरोशिमा में जी 7 समूह के एक सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र और उसके सबसे ताकतवर और महत्वपूर्ण अंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को दुनिया की मौजूदा वास्तविकता और जरूरत के अनुरूप नहीं बताया.

पीएम मोदी ने प्रासंगिकता को लेकर किए सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतौर जी 20 की अध्यक्षता संभाल रहे देश के सरकारी प्रमुख के तौर पर संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संस्थान में तत्काल सुधार की जरूरत पर प्रकाश डाला. उनका कहना है कि यूएन का मौजूदा ढांचा 21वीं सदी के विश्व के हिसाब से अब सही नहीं रह गया है. ग्लोबल साउथ यानी अल्प विकसित देशों की आवाज को इसमें उतनी जगह नहीं मिल रही है. 1945 में जिस मकसद से संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया था, अब उन्हें हासिल करने में ये संस्थान कारगर साबित नहीं हो रहा है. इस बात को ही प्रमुखता से उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया को ये सोचने की जरूरत है कि आज क्यों यूएन संघर्षों को रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है. 

प्रधानमंत्री मोदी का साफ इशारा रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर था, जिसे तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले 15 महीने  से नहीं रोका जा सका है और इस युद्ध की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा है. एक तरह से संयुक्त राष्ट्र मूकदर्शक बन कर रह गया है.

प्रभावी बने रहने के लिए तत्काल सुधार पर ज़ोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस बेबाकी से जी 7 के मंच पर बातें कही, उसका आशय यही है कि अगर यूएन में तत्काल सुधार की दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो वो दिन दूर नहीं  जब ये संस्था महज़ चर्चा का मंच बनकर रह जाएगा. भारत चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र का ढांचा अब वैसा किया जाना चाहिए जिससे दुनिया में शांति और स्थिरता की बातों के लिए यूएन एक सार्वभौमिक मंच बन सके और उसकी बातों को लागू करना भी आसान हो जाए.  

'कहीं बातचीत का मंच बनकर न रह जाए'

स्थिति ये है कि सबसे बड़ी वैश्विक संस्था होने के बावजूद आज तक यूएन में आतंकवाद की परिभाषा मान्य नहीं हो पाई है. इस बात को उठाते हुए पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि पिछली सदी में बना ये संस्थान 21वीं सदी की व्यवस्था और वास्तविकता का अब प्रतिनिधित्व करने में समर्थ नहीं रह गया है. उन्होंने साफ कर दिया कि अगर यहीं रवैया रहा तो यूएन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सिर्फ बातचीत का एक मंच बनकर रह जाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद हिरोशिमा में कमोबेश यही बातें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी कही. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र समकालीन समय की वास्तविकताओं के हिसाब से शक्तियों के वितरण का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. उनका आशय संयुक्त राष्ट्र सुधार परिषद के ढांचे से था. यूएन महासचिव ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह सुरक्षा परिषद में सुधार का समय है. 

सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव की मांग

भारत समेत जापान, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील समेत की देश संयुक्त राष्ट्र में लंबे वक्त से सुधार की मांग करते आ रहे हैं. भारत का प्रमुख ज़ोर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर रहा है. हम कह सकते हैं कि सुधार की मांग करने वालों में भारत शुरू से सबसे आगे रहा है.

ये सच्चाई है कि दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिका को देखते हुए एक वैश्विक संस्थान की जरूरत महसूस की गई थी. उसी नजरिए से 1945 में 26 जून को सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर हस्ताक्षर होता है और इसके चार महीने बाद आधिकारिक तौर से 24 अक्टूबर 1945 से सबसे बड़े वैश्विक संस्थान के तौर पर संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है. 51 देशों से शुरू हुआ सफर वर्तमान में 193 देशों तक पहुंच गया है. इसका मकसद ही ये था कि भविष्य में दुनिया को विश्व युद्ध जैसी विभीषिका से बचाया जा सके.

सुरक्षा परिषद सबसे ताकतवर अंग

ऐसे तो संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंग हैं..महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, न्यासी परिषद, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और सचिवालय. इनमें से महासभा या जनरल असेंबली और सुरक्षा परिषद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. महासभा में सभी सदस्य देश शामिल होते हैं. वहीं सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं, जिनके पास वीटो शक्ति है. वहीं सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं जो दो वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा चुने जाते हैं.

वैश्विक असर और फैसलों के लिहाज से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सबसे ताकतवर अंग है और उसमें भी जो स्थायी सदस्य हैं अपने वीटो शक्ति से किसी भी प्रस्ताव को रोकने की हैसियत रखते हैं. विडंबना ये है कि सुरक्षा परिषद के ढांचा के तहत वीटो पावर वाला कोई एक भी देश अगर किसी प्रस्ताव पर  अपना वीटो लगा देता है तो उस पर आगे बढ़ना सुरक्षा परिषद के लिए संभव नहीं होता है. 

भारत को मिलनी चाहिए स्थायी सदस्यता

भारत लंबे वक्त से कह रहा है कि सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव किया जाना चाहिए..ख़ासकर स्थायी सदस्यता के मोर्चे पर. मौजूदा वक्त में उत्तरी अमेरिका से अमेरिका, यूरोप से रूस, ब्रिटेन और फ्रांस स्थायी सदस्य हैं और एशिया से सिर्फ़ चीन इसका स्थायी सदस्य है. इसमें न तो दक्षिणी अमेरिका से कोई स्थायी सदस्य है, न ही अफ्रीका से. एशिया से भी महज़ चीन स्थायी सदस्य है. जबकि एशिया क्षेत्रफल और आबादी दोनों लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है. यहां दुनिया के करीब 60 फीसदी लोग तो रहते ही हैं, एशिया के दायरे में धरती का करीब 30 फीसदी एरिया भी आता है. यूरोप से स्थायी सदस्यता 3 देशों को हासिल है, जबकि यूरोप में दुनिया की कुल आबादी का 5% ही निवास करती है. 

मौजूदा वैश्विक व्यवस्था के हिसाब से हो बदलाव

भारत यही चाहता है कि सुरक्षा परिषद में अब स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए. भारत खुद के लिए स्थायी सदस्यता की मांग लंबे वक्त से कर रहा है. इतना ही नहीं सुरक्षा परिषद को ज्यादा प्रासंगिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को तर्कसंगत बनाने के लिए भारत अपनी दावेदारी के साथ ही ब्राजील, जर्मनी और जापान के लिए स्थायी दावेदारी का समर्थन करते रहा है. पिछले कई साल भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान G4 समूह के तहत इस मांग को लेकर एक-दूसरे की दावेदारी का समर्थन भी करते आ रहे हैं. वहीं अफ्रीकी समूह भी सुरक्षा परिषद में दो अफ्रीकी देशों के लिए स्थायी सदस्यता चाहता है.

अब जरा वर्तमान में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर नजर डालें तो अमेरिका और चीन पहले और दूसरे पायदान पर हैं. इसके बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान, चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत है. जबकि ब्रिटेन इस मोर्चे पर छठे और फ्रांस सातवें पायदान पर है.  रूस तो 11वें नंबर पर है. अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी दुनिया की तीसरी, चौथी और पांचवी अर्थव्यवस्था सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से बाहर है, जबकि छठी, सातवीं और 11वीं अर्थव्यवस्था के पास स्थायी सदस्यता है. जिस वक्त संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ था, उस वक्त हालात कुछ और थे, लेकिन अब आर्थिक ताकत के तौर पर पूरा परिदृश्य बदल चुका है.

भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है. 26 जून 1945 को भारत ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर हस्ताक्षर किया था.  फिलहाल भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और पांचवीं अर्थव्यवस्था भी है. भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती आर्थिक महाशक्ति है. अब तो सबसे बड़ी आबादी वाला देश भी है. सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी के पक्ष में ये बात भी जाती है. भारत का ये भी कहना रहा है कि स्थायी सदस्यता नहीं होने की वजह से भारत के साथ ही अफ्रीका और लैटिन अमेरिका को वैश्विक निर्णय लेने से बाहर रखा जाता है, जो मौजूदा जियो-पॉलिटिकल सिचुएशन के हिसाब से बिल्कुल तार्किक नहीं है.

दुनिया के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व हो सुनिश्चित

भारत इस मसले पर न सिर्फ खुद की दावेदारी को लेकर आगे बढ़ रहा है, बल्कि जापान, जर्मनी और ब्राजील की दावेदारी का भी समर्थक है. ये दिखाता है कि भारत का नजरिया सिर्फ अपने देश तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत वैश्विक नजरिया और हितों का भी प्रतिनिधित्व करता है.

ऐसे 77 साल के इतिहास में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढांचे में  सिर्फ़ एक बार बदलाव किया गया है. ये बदलाव भी अस्थायी सदस्यों की संख्या से जुड़ा था. गठन के 18 साल बाद यूएन महासभा ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन कर सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दिया. ये संशोधन 1965 से लागू हुआ था. इससे साथ सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों को मिलाकर कुल 15 सदस्य हो गए, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य की व्यवस्था बन गई. तब से लेकर अब तक यहीं व्यवस्था बरकरार है. स्थायी सदस्यों की व्यवस्था में तो कभी बदलाव ही नहीं हुआ है.

अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन को उठाना होगा कदम

कहने को तो 5 स्थायी सदस्यों में से 4 अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन सैद्धांतिक तौर से भारत की दावेदारी का समर्थन करते हैं, लेकिन इन देशों की ओर से कभी भी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में सुधार के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया गया है. दरअसल सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव के लिए वीटो पावर वाले इन देशों की सबसे ज्यादा भूमिका है. महासभा से कोई भी सुधार प्रस्ताव दो तिहाई सदस्यों के समर्थन से पारित होने के बाद सुरक्षा परिषद में सुधार से जुड़े उस प्रस्ताव पर वीटो अधिकार वाले सभी स्थायी सदस्यों को भी सहमत होना चाहिए, तभी इसके ढांचा में कोई बदलाव मुमकिन है. जब तक ये देश भारत की स्थायी सदस्यता के लिए आगे बढ़कर कोशिश नहीं करेंगे, तब तक इस दिशा में तेजी से कोई कार्रवाई होना आसान नहीं है. 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाए बिना अब ये वैश्विक संस्थान अपनी प्रासंगिकता को ज्यादा दिन तक बनाकर नहीं रख सकता है. जिस तरह से दुनिया बहुध्रुवीय होते जा रही है और उसमें भारत की अहमियत लगातार बढ़ते जा रही है, वैसे हालत में यूएन को बड़े फैसलों के लिए सिर्फ़ 5 वीटो पावर वाले देशों पर  निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता है. 

भारत वैश्विक पटल पर बड़ी ताकत

हालांकि अब भारत जिस तरह से वैश्विक पटल पर एक बड़ी ताकत के तौर पर उभर चुका है और चीन को छोड़कर बाकी स्थायी सदस्य देश लगातार भारत के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने में जुटे हैं, उससे भविष्य में भारत इस मसले पर इन देशों के साथ बार्गेन करने की स्थिति में हैं. सबसे अहम है अमेरिका की ओर से प्रयास किया जाना क्योंकि आर्थिक तौर से सुपरपावर होने की वजह से अमेरिका का संयुक्त राष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रभाव है. पिछले एक साल से अमेरिका ..भारत के साथ अपनी दोस्ती को और गहरा करने की बात कहते आ रहा है. ख़ासकर जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, अमेरिका की लगातार कोशिश रही है कि वो दुनिया में ये दिखा सके कि भारत उसका मजबूत साझेदार है. इन परिस्थितियों में भारत को अमेरिका से इस दिशा में पहल करने के लिए आने वाले समय में दबाव बनाने की जरूरत है.

युद्ध को रोकने में नाकाम रहा है यूएन

1945 के बाद से यानी संयुक्त राष्ट्र के बाद से दुनिया ने कई युद्ध देखें हैं. उसमें भी उन युद्धों में सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों अमेरिका, रूस और चीन की सहभागिता सबसे ज्यादा रही है. स्थायी सदस्य चीन ने 1962 में भारत पर युद्ध थोपा, भारत को पाकिस्तान से भी 1965, 1971 और 1999 में युद्ध करने को मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा अमेरिका ने वियतनाम, इराक के साथ युद्ध किया. अफगानिस्तान में 20 साल से ज्यादा युद्ध जैसा माहौल रहा. अभी पिछले 15 महीनों ये स्थायी सदस्यों में से एक रूस का यूक्रेन के साथ युद्ध जारी है. इसके अलावा भी पिछले 7 दशक में कई ऐसे युद्ध और संघर्ष के मौके आए हैं.

स्थायी सदस्य करते रहे हैं मनमानी

हमने ये भी देखा है कि जिन युद्ध या संघर्ष में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य सीधे तौर से शामिल होते हैं, उन संघर्षों को रोकने में सुरक्षा परिषद की भूमिका मूकदर्शक से ज्यादा की नहीं रही है. पिछले 7 दशक में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में युद्ध या संघर्ष होने पर उन्हें रोकने में संयुक्त राष्ट्र की जिस तरह की भूमिका रही है, उस विवशता की ओर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G7 के मंच से ध्यान दिलाया है और संयुक्त राष्ट्र में तत्काल सुधार को पूरे दुनिया के हित में और सबसे ज्यादा वैश्विक संस्थान यूएन की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जिस तरह से जी 7 के मंच से इस मुद्दे को उठाया है, उससे संयुक्त राष्ट्र में सुधार और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को लेकर नई उम्मीद जगी हैं. हालांकि सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति रखने वाले  अमेरिका, रूस,  फ्रांस, ब्रिटेन और चीन भविष्य में इस दिशा में क्या रुख अपनाते हैं, संयुक्त राष्ट्र में सुधार बहुत कुछ उस पर निर्भर करता है. अभी फिलहाल यही कहा जा सकता है कि इस दिशा में लंबा सफर तय करना बाकी है.

(यह आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

महाराष्ट: 'बटेंगे तो कटेंगे' और 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' ने BJP की जीत में ऐसे किया तुरूप के पत्ते का काम
महाराष्ट: 'बटेंगे तो कटेंगे' और 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' ने BJP की जीत में ऐसे किया तुरूप के पत्ते का काम
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
ABP Premium

वीडियोज

Maharashtra Assembly Election : रुझान सामने आते ही अमित ने लगाया फडणवीस को फोन | BJP | CongressAssembly Election Results: नतीजों के बाद महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज | BJP | Congress | MVAMaharashtra Election Results:विधानसभा चुनाव में सपा के प्रदर्शन पर जोर-जोर से हंसने लगे BJP प्रवक्ताMaharashtra Election Results: सीएम पद को लेकर CM Shinde के बयान पर BJP का बड़ा बयान!

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
महाराष्ट: 'बटेंगे तो कटेंगे' और 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' ने BJP की जीत में ऐसे किया तुरूप के पत्ते का काम
महाराष्ट: 'बटेंगे तो कटेंगे' और 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' ने BJP की जीत में ऐसे किया तुरूप के पत्ते का काम
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
Maharashtra Assembly Election Results 2024: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
महाराष्‍ट्र: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
Maharashtra Election Results 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या इन 4 बयानों ने बदल दी बीजेपी की बयार?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या इन 4 बयानों ने बदल दी बीजेपी की बयार?
IND vs AUS 1st Test: ऑस्ट्रेलिया को 104 रन पर ढेर कर टीम इंडिया ने किया कमाल, शर्मसार हुए कंगारू
ऑस्ट्रेलिया को 104 रन पर ढेर कर टीम इंडिया ने किया कमाल, शर्मसार हुए कंगारू
'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
Embed widget