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Remembering Rita Bhaduri: हमेशा अपने काम को समर्पित रहती थीं रीता भादुड़ी

रीता भादुड़ी पिछले 40 वर्षों से भी अधिक से अभिनय की दुनिया में अपने विभिन्न रंग बिखेर रही थीं. हालांकि पिछले करीब एक साल से वह अपने किडनी की बीमारी से पीड़ित थीं लेकिन इसके बावजूद वह बराबर काम कर रही थीं. इन दिनों स्टार भारत चैनल पर प्रसारित लोकप्रिय सीरियल ‘निमकी मुखिया’ में दादी इमरती देवी की भूमिका में भी उन्हें अच्छी खासी लोकप्रियता मिली.

मुंबई: पिछले वर्ष फिल्म और टीवी की दुनिया में माँ की भूमिकाओं में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली अभिनेत्री रीमा लागू को हमने खोया था. अभी रीमा लागू के वियोग की टीस कम भी नहीं हुई कि अब फिल्म और टीवी की एक और लोकप्रिय ‘माँ’ रीता भादुड़ी के निधन ने सभी को ग़मगीन कर दिया है. रीता भादुड़ी पिछले 40 वर्षों से भी अधिक से अभिनय की दुनिया में अपने विभिन्न रंग बिखेर रही थीं. हालांकि पिछले करीब एक साल से वह अपने किडनी की बीमारी से पीड़ित थीं लेकिन इसके बावजूद वह बराबर काम कर रही थीं. इन दिनों स्टार भारत चैनल पर प्रसारित लोकप्रिय सीरियल ‘निमकी मुखिया’ में दादी इमरती देवी की भूमिका में भी उन्हें अच्छी खासी लोकप्रियता मिली. अपनी बीमारी के बावजूद रीता अपने इस सीरियल की शूटिंग में बराबर हिस्सा ले रहीं थीं. पिछले दिनों उनसे किसी ने पूछा भी कि क्या बात है आप इतनी तबियत खराब में भी शूटिंग कर रही हैं ? यह पूछने पर वह बोलीं, ''इस उम्र में तो कोई न कोई बीमारी लगी ही रहती है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम बीमारियों के डर से काम करना ही छोड़ दें. सारे दिन अपनी बीमारी के बारे में चिंता करने से अच्छा है कि खुद को काम में व्यस्त रखो.” इसलिए वह इस सीरियल की शूटिंग करती रहती थीं. जबकि उन्हें अब हर दूसरे दिन डायलिसिस के लिए जाना पड़ता था. लेकिन बताया जा रहा है कि करीब एक महीने पहले रीता शूटिंग के दौरान गिर पड़ीं थीं जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आ गयी थी. उसका आपरेशन भी किया गया. लेकिन उसके बाद से उनकी समस्याएं कम होने की जगह बढती गयीं और 17 जुलाई को उन्होंने अंतिम सांस ली. Remembering Rita Bhaduri: हमेशा अपने काम को समर्पित रहती थीं रीता भादुड़ी रीता भादुड़ी का जीवन यूँ संघर्ष भरा रहा. चार नवम्बर 1955 को लखनऊ में जन्मी रीता भादुड़ी को फिल्मों में काम करने का शौक पूना फिल्म इंस्टीटयूट ले गया. सन 70 का यह वह दौर था जब फिल्म संसार में पूना फिल्म इंस्टीटयूट के बहुत से सितारों का उदय हो रहा था. जिनमें जया भादुड़ी, डैनी, नवीन निश्चल, अनिल धवन, शत्रुघ्न सिन्हा, असरानी और पेंटल जैसे कई कलाकार हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बना रहे थे. रीता भादुड़ी ने जब 1973 में पूना फिल्म इंस्टीटयूट से प्रशिक्षण पूरा किया तब उनके बैच में उनके साथ शबाना आज़मी, ज़रीना वहाब, शैलेन्द्र सिंह, प्रीती गांगुली और कंवलजीत भी थे. जिनमें शबाना और ज़रीना से रीता की ख़ास दोस्ती थी. शबाना आज़मी रीता के सहसा निधन से दुखी होकर कहती हैं, “इंस्टीटयूट में रीता मेरी प्रतियोगी थीं, वह बहुत अच्छी छात्रा थीं. लेकिन प्रतियोगिता कभी भी हमारी दोस्ती में बाधा नहीं बनी. यहाँ तक मैं उसकी रूम मेट नहीं थी.लेकिन मैं कभी भी उसके रूम में जाकर उसके बिस्तर में घुस जाती थी. ठीक ऐसे ही जैसे इंस्टीटयूट में जाने से पहले घर पर अपनी माँ के साथ करती थी.” रीता भादुड़ी के निधन से सदमे में है टीवी इंडस्ट्री, कलाकारों ने सोशल मीडिया पर जाहिर किया दुख सीरियल ‘निमकी मुखिया’ में निमकी का लीड रोल कर रही अभिनेत्री भूमिका से जब हमने रीता भादुड़ी के बारे में बात की तो वह बहुत दुखी थीं. भूमिका बताती हैं, “वह बहुत ही अच्छी थीं. सेट पर हम सभी परिवार की तरह रहते थे. वह दादी का रोल कर रही थीं, इसलिए हम सब स्पॉट बॉय से प्रोड्यूसर डायरेक्टर तक सभी उन्हें दादी कहकर बुलाते थे. उनका व्यवहार इतना अच्छा था कि अक्सर हमारे लिए अपने घर से खाना लेकर आती थीं. यहाँ तक वह हममें से कोई सेट पर ज्यादा मस्ती करती था या हम में से कोई अपना ध्यान नहीं रखता था तो वह हमको डांट भी लगा देती थीं. वह बहुत बिंदास थीं. तबियत खराब में भी जब वह शूटिंग करती थीं तो सब उनको कहते थे कि आप रेस्ट कर लो लेकिन वह अपना काम पूरा करके ही आराम करती थीं.लेकिन पिछले करीब 20 दिन से वह शूटिंग पर नहीं आ पायी थीं. असल में वह इतनी स्ट्रोंग थीं कि हमको लगता था कि वह जल्द ठीक होकर काम पर आएँगी, सभी को उनका इंतज़ार था. लेकिन वह काम पर लौट नहीं पायीं.” Remembering Rita Bhaduri: हमेशा अपने काम को समर्पित रहती थीं रीता भादुड़ी पिछले करीब 45 बरस के अपने करियर में रीता भादुड़ी ने लगभग 100 फिल्मों और लगभग 50 सीरियल में काम किया. बड़ी बात यह है कि उन्हें बड़े और छोटे पर्दे, दोनों पर सफलता मिली. चाहे वह अपनी सहपाठी शबाना आज़मी की तरह बड़ी और सशक्त भूमिका नहीं पा सकीं और शबाना की तरह बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी रीता को नहीं मिले. लेकिन रीता को जो भी भूमिका मिली उन्होंने उसे अच्छे से जिया. अपने काम के साथ न्याय किया. रीता को फिल्मों में पहली पहचान सन 1975 में आई फिल्म ‘जूली’ की उषा भट्टाचार्य की भूमिका से मिली. जिसमें उन पर फिल्मांकित लता मंगेशकर का गाया गीत ‘ये रातें नयी पुरानी’ आज भी एक अमर गीत है. इसके बाद रीता को एक के बाद एक करके लगातार फ़िल्में मिलने लगीं. जिनमें 'उधार का सिंदूर', 'अनुरोध', 'आइना', 'खून की पुकार', 'विश्वनाथ', 'गहराई', 'बेजुबान' और 'नास्तिक' जैसी बहुत सी फ़िल्में शामिल हैं. लेकिन रीता को अपने पहले दौर में सर्वाधिक लोकप्रियता मिली फिल्म 'सावन को आने दो', 'कॉलेज गर्ल' फिल्मों से. बाद में जब रीता माँ की भूमिकाओं में आने लगी तो सन 90 के दशक में तो वह काफी लोकप्रिय हो गयीं. जब उनकी 'घर हो तो ऐसा', 'बेटा', 'राजा', 'विरासत', 'तमन्ना', 'हीरो नंबर वन' और 'क्या कहना' जैसी फ़िल्में मिलीं. इन फिल्मों ने रीता भादुड़ी को हिंदी सिनेमा की गिनी चुनी लोकप्रिय माँ की श्रेणी में खड़ा कर दिया. रीता को इस बात का मलाल तो रहा कि उन्हें सहायक भूमिकाएं और माँ के रूप में चरित्र भूमिकाएं तो बहुत मिलीं लेकिन लीड रोल वाली भूमिकाएं उन्हें नहीं मिल पायीं. हालांकि ‘फूलनदेवी’ फिल्म में उनका टाइटल रोल था और वह ही फूलनदेवी के लीड रोल में थीं. ऐसे ही राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘राधा और सीता’ में भी वह राधा के लीड रोल में थीं. Remembering Rita Bhaduri: हमेशा अपने काम को समर्पित रहती थीं रीता भादुड़ी दिलचस्प बात यह है कि फिल्मों के साथ साथ रीता भादुड़ी सीरियल में भी बड़ी भूमिकाओं में आती रहीं. दूरदर्शन पर सन 80 के दशक में हुयी सीरियल क्रांति के कुछ समय बाद ही रीता का सीरियल में आगमन हो गया था. दूरदर्शन पर उनके बनते बिगड़ते, चुनौती और मुजरिम हाज़िर जैसे सीरियल काफी लोकप्रिय हुए. बाद में सेटेलाइट टीवी चैनल्स के आने पर वह यहाँ भी जी टीवी, सोनी, स्टार और कलर्स जैसे सभी प्रमुख मनोरंजन चैनल्स के सीरियल में खूब काम करती रहीं. इनके प्रमुख और लोकप्रिय सीरियल में- हद कर दी, अमानत,एक महल हो सपनों का,हसरतें,कुमकुम, सारा भाई वर्सेज साराभाई, मिसेज कौशिक की पांच बहूएँ, एक नयी पहचान और बानी जैसे नाम शामिल हैं. रीता भादुड़ी से कभी कभार किसी सीरियल के सेट पर या अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान मुलाक़ात हो जाती थी. वह अधिकतर खुश रहती थीं और अपने काम के प्रति भी पूरी तरह समर्पित थीं. लेकिन कोई बात उन्हें पसंद नहीं होती थी तो वह तपाक से जवाब देने में भी पीछे नहीं रहती थीं. कई बार लोग उन्हें जया भादुड़ी बच्चन की बहन भी समझते थे. एक तो जया भादुड़ी की तरह रीता भादुड़ी ने भी पूना फिल्म इंस्टीटयूट से अभिनय का प्रशिक्षण लिया था. दूसरा जया भादुड़ी की अपनी सगी बहन का नाम भी रीता भादुड़ी ही है. हालांकि जया की बहन रीता फिल्मों में अभिनय नहीं करतीं. लेकिन उनका विवाह फिल्म टीवी के जानेमाने अभिनेता राजीव वर्मा से हुआ है. इसलिए अक्सर अभिनेत्री रीता भादुड़ी को जया भादुड़ी बच्चन की बहन समझ लिया जाता था और रीता भादुड़ी को अक्सर यह सफाई देनी पड़ जाती थी कि वह जया भादुड़ी की बहन नहीं हैं. लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/pradeepsardana और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/pradeep.sardana.1
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