देश को आजादी मिलने के बाद इस बार गणतंत्र दिवस की परेड और उसके बाद होने वाली बीटिंग रिट्रीट का नजारा कुछ ऐसा होगा,जो देखने वालों को बिल्कुल नया,अनूठा व नायाब ही लगेगा.लेकिन इसमें फ़िलहाल एक ग्रहण भी लगता दिख रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच किसी राजनीति को लेकर नहीं बल्कि एक झांकी को लेकर ऐसी झीक-झीक हो रही है,जो लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार सुनने-देखने को मिल रही है. इसलिये बड़ा सवाल ये उठता है कि गणतंत्र दिवस की परेड में बंगाल की झांकी को हटाने का फैसला अनायास हुआ,किसी ब्यूरोक्रेट की ग़लती से हुआ या फिर इसके पीछे भी कोई सियासत है?
दरअसल,26 जनवरी को होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में सभी राज्यों की झांकिया राजपथ पर प्रदर्शित की जाती हैं,जिसमें उस प्रदेश की सभ्यता,संस्कृति की झलक दिखाने के साथ ये भी बताया जाता है कि वो विकास के रास्ते पर कितना आगे बढ़ चुका है.ममता बनर्जी के बंगाल का मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक वहां की झांकी को हमेशा परेड में शामिल किया जाता रहा है.लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने बंगाल की झांकी को लाल झंडी दिखा दी है.जाहिर है कि मोदी सरकार के इस फैसले से ममता को आगबबूला होना ही था.सो,केंद्र के इस फैसले की जानकारी मिलते ही उन्होंने पलटवार करने में जरा भी देर नहीं लगाई.
ममता ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में अपनी हर सम्भव तीखी भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि , "बंगाल की प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती वर्ष पर उनके और आज़ाद हिंद फौज के योगदान की याद में बनाई गई थी." ममता का दावा है कि केंद्र सरकार द्वारा इस झांकी को खारिज़ करने का फैसला लेने की कोई वजह बंगाल सरकार को नहीं बताई गई है.लिहाज़ा,ममता का हैरान होना और गुस्से में आना भी वाज़िब बनता है.
शायद इसीलिए उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि," पश्चिम बंगाल के लोग केंद्र सरकार के इस रवैये से बहुत आहत हैं.यह जानकर हैरानी होती है कि यहां के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को आज़ादी के 75 वें साल पर गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर इसे मनाने के लिए कोई जगह नहीं मिली है." हालांकि ममता ने पीएम से सरकार के इस फैसले पर फिर से विचार करने और बंगाल की झांकी को परेड में शामिल करने का अनुरोध किया है लेकिन लगता नहीं कि इसे हरी झंडी मिल ही जाएगी.
ये हम नहीं जानते कि मोदी सरकार ममता की इस अपील पर अपनी ममता बरसाती भी है या नहीं लेकिन बंगाल सरकार के इस अनुरोध को ठुकराये जाने के बाद केंद्र और राज्य के रिश्तों में एक नई तरह की खटास आना स्वाभाविक है.वह इसलिये कि इस झांकी को परेड में शामिल न किये जाने के मसले को ममता एक सियासी मुद्दा बनाने से नहीं चूकेंगी और वे इसे बंगाल की अस्मिता व गौरव का अपमान बताने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखेंगी.लिहाज़ा,इसका असली सच तो दिल्ली दरबार में बैठे लोग ही जानते होंगे कि बंगाल की झांकी को परेड से बाहर रखने का फैसला आखिर क्यों लिया गया औऱ उसकी जायज़ वजह राज्य सरकार को भला क्यों नहीं बताई गई?
चूंकि हमारे देश की आजादी का ये 75 वां साल है,लिहाज़ा इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड को अद्भुत व बेमिसाल बनाने के लिए सरकार ने अपनी तरफ से तैयारी करने में कोई कंजूसी नहीं बरती है. दो कारणों से इस 26 जनवरी की परेड सबसे अलग व नायाब होगी.पहली तो यह कि देश की आज़ादी के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा,जबकि परेड अपने निर्धारित समय से आधे घंटे की देरी से शुरू होगी. इसके जरिये दुनिया को भारत की सैन्य ताकत दिखाने के अलावा ये भी संदेश दिया जाएगा कि हम कोरोना महामारी के लिए तय किये गए प्रोटोकॉल को लेकर कितने ज्यादा गंभीर व सतर्क हैं.और,दूसरा ये कि पड़ोसी मुल्क के आतंकवाद को झेलने और उसका मुकाबला करते हुए अपनी जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों के प्रति सम्मान देने का हमारे भीतर कितना जज़्बा है.
पहले जम्मू-कश्मीर में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी और इसके बाद ही परेड शुरू होगी. ये भी पहली बार होगा कि चीन व पाकिस्तान समेत दुनिया के बाकी मुल्कों को इस परेड के जरिये भारत अपनी उस सैन्य ताकत को दिखायेगा,जो इससे पहले इतने व्यापक स्तर पर कभी नहीं हुआ.परेड के दौरान भारतीय वायु सेना के 75 लड़ाकू विमान राजपथ के आकाश पर फ्लाई पास्ट करते हुए अपनी सलामी देंगे,जिसमें सबसे आधुनिकतम राफेल जैसे विमान भी शामिल होंगे.
रक्षा व सामरिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि ये मोदी सरकार की सामरिक रणनीति का एक बेहद अहम व सटीक व फैसला है क्योंकि इसके जरिये हम चीन जैसे मुल्क को ये जताना चाहते हैं कि वह हमारी हवाई सैन्य ताकत को कमजोर समझने की भूल न करे. इसके अलावा इस बार एक और नई चीज भी देखने को मिलेगी जिसका मकसद पाकिस्तान में पलने वाले आतंकवादियों को ये संदेश देना है कि जिस खिलौने के जरिये वे भारत में आतंक फैलाने की कोशिश में हैं,उस खिलौने का सबसे आधुनिकतम रुप भी भारत के पास मौजूद है और हमारे सुरक्षा बल उसे हवा में ही तहस-नहस कर देने की तकनीक में बेहद माहिर हैं.
दरअसल,इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के बाद 29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के दौरान विजय चौक पर 1000 ड्रोन का शो होगा. ये ड्रोन शो आईआईटी दिल्ली की मदद से किया जा रहा है. अभी तक सिर्फ तीन देशों के पास ही ऐसी क्षमता है– जिसमें अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश शामिल है. रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इस सेरेमनी का प्रदर्शन होता है. चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है लेकिन इस बार जमीन के अलावा आकाश का नज़ारा भी कुछ ऐसा होगा, जो हर भारतवासी के सीने को फ़ख्र के साथ चौड़ा करने पर मजबूर कर देगा.
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