(लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार का सारण 'हॉट सीट' बना हुआ है. वहां से इस बार लालू प्रसाद यादव ने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा की ओर से राजीव प्रताप रूडी चुनाव मैदान में हैं. उनसे राजेश कुमार ने बातचीत की. आगे वह बातचीत दी जा रही है) 


प्रश्नः लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की सारण सीट इस बार 'हॉट सीट' बन गयी है. आपकी क्या स्थिति है, इस बार?


उत्तर-हॉट सीट तो जरूर है. लालूजी यहां से लड़ते रहे हैं और आज भी लालू ही लड़ रहे हैं, तो ये हॉट सीट है ही. 


प्रश्नः दो बार लगातार जीतने के बाद आप तीसरी बार जीत के लिए लड़ रहे हैं. 


उत्तर-ये मेरा पांचवी बार होगा. मैं चार बार जीत चुका हूं. ये पांचवां चुनाव है मेरा. 


प्रश्नः बीजेपी ने मेनिफेस्टों जारी कर दिया. आपकी यहां से क्या रणनीति है? 


उत्तर-मेनिफेस्टो विचारपूर्ण है, विजनरी है, आने वाले 2047 तक को सोच कर बनाया गया है, बढ़िया है. मैं समझता हूं कि दीर्घकालीन और अल्पकालीन दोनों तरह के विजन हैं इस संकल्प-पत्र में. देश को किस तरह से चलाना चाहिए, वह इसमें बताया गया है. 


प्रश्नः चुनाव के लिए आपका नाम तो खैर बाद में घोषित हुआ, लेकिन प्रचार आप पहले से कर रहे थे. काफी उत्साह दिख रहा है यहां लोगों में. 


उत्तर- एक भ्रम है. हम यहां चुनाव प्रचार पहले से नहीं कर रहे थे. हम तो पांच साल, 10 साल बल्कि बीते कई वर्षों से यहां काम कर रहे हैं. जैसे आप लोगो ने 'हॉट सीट' आज बना दिया है, वैसे ही चुनाव-प्रचार का भी मसला है. हम लोग तो लगातार यहीं रहते हैं, देश-दुनिया में कहीं जाना हो तो यहीं से जाते हैं. पता तो मेरा यहीं का है. मेरे विरोधी प्रत्याशी का लोग पता पूछ रहे हैं, तो उनका तो कोई एड्रेस है नहीं यहां का. उस पर अब सवाल उठ गया है. 


प्रश्नः रोहिणी को आप अपने लिए कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?


उत्तर-एक बात स्पष्ट होनी चाहिए कि ये चुनाव लालू प्रसाद यादव के खिलाफ है. बीच में कोई लड़ रहा हो, उसे मुखौटा कहें, बेटी कहें, लेकिन लड़ाई लालू प्रसाद की है. उनके परिवार के लोग ही कैंडिडेट बनते रहे हैं, मुझसे लड़ते रहे हैं, लेकिन यह स्पष्टता होनी चाहिए. सभी जानते हैं कि यह चुनाव लालू प्रसाद के साथ ही है. इसमें कहीं शंका नहीं होनी चाहिए. 


प्रश्नः आपके विपक्षी दल इसे भावनात्मक बना रहे हैं कि रोहिणी ने लालू को किडनी दी है. 


उत्तर- मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है. हरेक बेटी को ऐसा ही होना चाहिए. हरेक बेटी अपने पिता का खयाल रखे, तो इस पर टिप्पणी की गुंजाइश नहीं है. 


प्रश्नः अब इस बार जब आपकी जीत तय दिख रही है...


उत्तर-(बीच में ही बात काटते हुए)- नहीं, आपको यहां रोकना होगा. जीत का फैसला तो चुनाव के बाद होगा और वह फैसला तो जनता-जनार्दन करेगी. अभी बीच चुनाव में इस तरह से हम घोषणा नहीं कर सकते हैं कि हमारी जीत तय है. हम जैसे चुनाव लड़ते थे, वैसे ही लड़ रहे हैं और प्रधानमंत्री का, एनडीए परिवार का, कार्यकर्ताओं का आशीर्वाद बना हुआ है. प्रदेश का पूरा नेतृत्व, हमारे संगठन का पूरा तंत्र लगा हुआ है, चाहे वह सम्राट चौधरी हों, मंगल पांडेय हों, सारे वरिष्ठ नेता हों, विजय सिन्हा जी हों, सभी लोग रुचि रखते हैं. ये प्रमाणित हो गया है कि जब-जब हम छपरा जीतते हैं, तो बिहार जीतते हैं और बिहार जीतते हैं तो देश जीतते हैं. 


प्रश्नः छपरा जीतते हैं तो आपकी क्या प्राथमिकता होगी? 


उत्तर-कुछ भी ऐसा नहीं करेंगे, जो आज या कल से ही शुरू होनेवाला है. हमारा सिलसिला तो लगातार चल रहा है. सारण की धरती पर तो 36 हजार करोड़ की योजनाएं विभिन्न स्टेज में चल रही है, कहीं वह अप्रूवल के स्टेज में है, कहीं निर्माण चल रहा है, कहीं किसी और चरण में है, तो कोई नयी बात नहीं है. यह तो सतत है, निरंतर है. 



प्रश्नः आप लालू प्रसाद से लड़े, अब उनकी बेटी हैं आपके खिलाफ. कैसे देखते हैं? 


उत्तर-लालू प्रसाद यादव और राजद के उस चेहरे से, प्रशासकीय विफलता से, आतंक से, उस अहंकार से, बिहार की बदहाली से हम लड़े हैं और आज चारों तरफ वही चेहरा दिखाई देता है औऱ उसी से हमारी लड़ाई है.