टीम इंडिया 6 वनडे मैचों की सीरीज पहले ही जीत चुकी है. आईसीसी वनडे रैंकिंग्स में पहली पायदान पर उसका कब्जा हो चुका है. वनडे सीरीज में जीत हार के बड़े फर्क से उसने ये संदेश भी दे दिया है कि टी-20 सीरीज में भी वो भारी है. इन सभी पॉजिटिव बातों के बीच एक बात है जो विराट कोहली को परेशान कर रही है. सीरीज के पांचवे मैच तक विराट कोहली को अपने दो खिलाड़ियों के फॉर्म की चिंता सता रही थी. पोर्ट एलिजाबेथ में उसमें से एक खिलाड़ी यानी रोहित शर्मा ने तो अपनी फॉर्म में वापसी का संकेत दिया.


अब चिंता दूसरे खिलाड़ी को लेकर है. परेशानी की बात ये है कि विराट कोहली दूसरे खिलाड़ी को बहुत पसंद करते हैं. उस पर भरोसा करते हैं. उसे अपने ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करते हैं. उस खिलाड़ी का नाम अब तक तो आप समझ ही गए होंगे. हम बात कर रहे हैं हार्दिक पांड्या की. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि करीब डेढ़ साल के करियर में हार्दिक पांड्या ने अपनी काबिलियत का परिचय कई मौकों पर दिया है, लेकिन इस सीरीज में पहले टेस्ट मैच को छोड़कर पूरी सीरीज में हार्दिक पांड्या का प्रदर्शन औसत रहा है. हार्दिक पांड्या अपनी ऑलराउंडर क्षमता की वजह से टीम इंडिया के लिए लंबी रेस के घोड़े के तौर पर देखे जाते हैं. 2019 के विश्व कप के लिए अभी से उनके रोल को लेकर विराट कोहली काफी आशान्वित हैं. ऐसे में उनकी फॉर्म कहीं ना कहीं कप्तान को परेशान कर रही होगी. शुक्रवार को हार्दिक पांड्या से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी.


हार्दिक पांड्या अपने रंग में नहीं दिख रहे


टेस्ट सीरीज के पहले मैच में हार्दिक पांड्या ने एक अलग किस्म का विस्फोट किया था. जिस पिच पर बड़े बड़े दिग्गज भारतीय बल्लेबाज संघर्ष कर रहे थे, उस पिच पर पांड्या ने 95 गेंद पर 93 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी. इसके बाद से ही उनका प्रदर्शन गिरता चला गया. दूसरी पारी में उन्होंने सिर्फ 1 रन बनाए. पहले टेस्ट मैच में उन्हें 3 विकेट मिले थे. दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में हार्दिक पांड्या ने 16 और दूसरी पारी में 6 रन बनाए थे.


दूसरे टेस्ट मैच में हार्दिक पांड्या को एक भी विकेट नहीं मिला था. तीसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में हार्दिक पांड्या खाता तक नहीं खोल पाए थे. दूसरी पारी में भी वो सिर्फ 4 रन ही बना सके. गेंदबाजी में एक बार फिर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. वनडे सीरीज में भी हार्दिक पांड्या की खराब फॉर्म जारी है. पहले वनडे में उन्होंने 3 रन बनाए थे, उन्हें कोई विकेट नहीं मिला था. दूसरे वनडे में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला लेकिन गेंदबाजी में उनके हाथ कोई कामयाबी नहीं आई थी.


तीसरे वनडे मैच में उन्होंने 14 रन बनाए, इस बार भी उन्हें कोई विकेट नहीं मिला. चौथे वनडे में उन्होंने 9 रन बनाए और 1 विकेट लिया. पांचवे वनडे में हार्दिक पांड्या खाता तक नहीं खोल पाए. गेंदबाजी में उन्होंने जरूर डीविलियर्स और ड्यूमिनी का विकेट लिया. बावजूद इसके टेस्ट और वनडे सीरीज का उनका प्रदर्शन कहीं से भी औसत से ज्यादा कुछ नहीं कहा जाएगा. दिलचस्प बात ये भी है कि बल्लेबाजी में विराट कोहली ने उन्हें लगातार धोनी से ज्यादा प्राथमिकता दी.


कहीं ये उम्मीदों का बोझ तो नहीं


हार्दिक पांड्या अभी सिर्फ 24 साल के हैं. करीब डेढ़ साल से वो मैदान में हैं. मौजूदा समय में टेस्ट, वऩडे और टी-20 तीनों टीमों का हिस्सा हैं. उनकी तारीफों के पुल बांधे जा चुके हैं. कई मौकों पर उन्हें कपिल देव से भी बेहतर ऑलराउंडर बताया गया है. कप्तान विराट कोहली उन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. इन सारी बातों में कोई बुराई नहीं, परेशानी इस बात की है कि कहीं हम हार्दिक पांड्या से जरूरत से ज्यादा उम्मीद तो नहीं करने लगे हैं. भारतीय क्रिकेट में इस तरह के खिलाड़ियों का इतिहास है जो बड़े धमाके से आए, कुछ मैचों में धमाका किया और उसके बाद गायब हो गए. टीम इंडिया के कप्तान और मैनेजमेंट दोनों को इस बात को पुख्ता करना है कि हार्दिक पांड्या अपना स्वाभाविक खेलें वरना उम्मीदों का बोझ उठाने के लिए उनके कंधे कमजोर ना पड़ जाएं.