राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में समर्पण, देशप्रेम और त्याग का लेखाजोखा

भारत की नस नस में संघ रच बस चुका है. यह झलक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जारी रिपोर्ट कार्ड में दिखती है,मगर कुछ चिंता और चुनौतियों के साथ.दरअसल,21 मार्च से बंगलुरु के चन्ननहल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा शुरु हो चुकी है. इसमें 2024-2025 का रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है.संघ की परिपाटी में यह शामिल है कि इस वार्षिक महत्वपूर्ण सभा के दौरान सालभर की गतिविधियों का लेखा जोखा रखा जाए,ताकि सिंहावलोकन के साथ समीक्षा हो. पिछली तमाम सभाओं में इस साल की बैठक इसलिए और भी महत्वपूर्ण है,क्योंकि संघ शताब्दी वर्ष के प्रारुप तय होगा. वैसे भी संघ शताब्दी वर्ष पर देश दुनिया की निगाह है.
संघ की अति महत्वपूर्ण बैठक
संघ की सालभर की योजनाओं,अभियान,भविष्य की तैयारी और प्रयासों का ताना बाना इस महत्वपूर्ण बैठक में समाया होता है. इसका फोकस राष्ट्र,धर्म,संस्कृति और समाज की दशा दिशा पर होता. भारत के अंदरुनी और पड़ौसी देशों से रिश्ते,वहां के हालात,मुद्दे,समस्या और चिंताएं रिपोर्ट कार्ड है. उसमें मणिपुर से लेकर बांग्लादेश के ताजा हालात,अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए आवश्यक योजना एवं प्रयास के साथ चीन विषय भी शामिल किया है.
दुनिया के सबसे बड़े संगठन के रिपोर्ट कार्ड में संघ पग पग पर दिखेगा पंच परिवर्तन के व्यावहारिक क्रियान्वयन के प्रयास और इसके विचार को समाज के निचले स्तर तक ले जाने के कार्यक्रम, शिक्षा, चिकित्सा,विज्ञान,लेखन,साहित्योत्सव,सिनेमा,पर्यावरण धर्मांतरण,स्वावलंबन,खेल,व्यसन मुक्त जीवन पद्धती,महिला सशक्तिकरण, धर्म जागरण गतिविधियां,सनातन धर्म,संस्कृति,वेद वेदांत, गो पालन,गो संवर्धन,गो आधारित कृषि और गो ऊर्जा,हस्त शिल्प,इन सभी कार्यों के लिए सज्जन शक्ति,मातृ शक्ति,युवा शक्ति,संगठन शक्ति को लेकर टोलियों का गठन हुआ एवं विमर्श को आगे बढ़ाने का लक्ष्य स्पष्ट संकेत देता है कि संघ के प्रति जो भ्रांतियां है,उसे समय रहते दूर किया जा सके.
संघ को लेकर मिटी भ्रांतियां
पिछले वर्षों में आरएसएस के चाल चलन और चरित्र को लेकर जो धूल झोंकी जा रही थी वो हटी है. नतीजतन संघ के प्रति समाज का जो वर्ग अभी तक दुराव रखता था वह करीब आया है. रिपोर्ट कार्ड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले के 23 राज्यों में प्रवास, 34 राज्यों के कार्यक्रम एवं यात्राओं का उल्लेख इन्हीं विषयों के इर्दगिर्द है. इनमें अमर शहीद अब्दुल हमीद जी के पैतृक गांव में उनकी जीवनी पर आधारित पुस्तक का विमोचन,मंदिरों में भगवान वाल्मीकि एवं संत शिरोमणि रविदास प्रतिमा की प्रतिष्ठा और रामलीला के पहले दिन भगवान वाल्मीकि पूजन परंपरा के माध्यम से संघ संदेश देना चाहता है कि समरसता से भरा भारत इसी भाव से आगे बढ़ेगा.
रिपोर्ट कार्ड में पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र पश्चिमी कच्छ जिला के बन्नी क्षेत्र में बसे वाढा समुदाय के लोगों की व्यथा को प्रमुखता से इसलिए लिया,क्योंकि इनकी पीड़ा का निवारण करने के प्रयास किए गए. यहां कष्टमय जीवन व्यतीत करते इस समुदाय के बारे में कहा जाता है कि यहां ऊपर आकाश और नीचे पृथ्वी है,लेकिन इनके लिए पीने योग्य ना पानी उपलब्ध है और ना ही अन्य मूलभूत आवश्यकता की चीजें.यहां चार गांवों में घरों एवं मंदिरों का निर्माण किया गया है . साथ मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रहने की वजह से इन्होंने जो पहचान,पहनावा और पूजा पद्धति भुला दी थी,उसे विशेष प्रयासों से मूल व्यवस्था में स्थापित किया जा रहा है. संघ की चिंता लंबे समय से सुविधाओं के अछूते बन्नी क्षेत्र के साथ साधन संपन्न देश के उन हिस्सों के प्रति भी नजर आ रही है,जहां रात्रि विवाह की गलत परंपरा में परिवर्तन और दिन में विवाह की मानसिकता को तैयार करने की आवश्यकता है.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
