रूस पर 22 मार्च को एक आंतकी हमला हुआ है. इस आलेख के लिखे जाने तक उसमें करीब 80 लोगों के मारे जाने की, जबकि सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है. इस घटना की पूरी जिम्मेदारी आइएसआइएस ने ली है. यह घटना मुंबई के 26/11 और इजरायल पर पिछले साल हमास के आतंकियों के हमले की तर्ज पर हुआ है, जहां आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, और बम भी फेंके. रूस एक तहफ यूक्रेन से युद्ध में फंसा हुआ है. इस तरह हमले और अंधाधुध फायरिंग की घटना ने कहीं न कहीं पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है.


आतंकी हमले से दुनिया स्तब्ध


देर रात से ही ओपेन फायर और हमले की कुछ तस्वीरें आनी शुरू हो गई थीं. मोस्को के क्रॉक्स-सिटी हॉल में एक रॉक कॉन्सर्ट का आयोजन हुआ था, लोग उस कार्यक्रम को आनंद ले रहे थे. तभी अचानक आतंकी हॉल में प्रवेश कर जाते हैं उसके बाद वहां पर टेरेरिस्ट अटैक हुआ. कुछ दिनों पहले ही पुतिन ऐतिहासिक वोट से जीत कर पांचवीं बार राष्ट्राध्यक्ष बने हैं, लेकिन अभी तक उनका शपथ ग्रहण भी नहीं हो पाया है. रूस के लोगों ने इस बार पुतिन को 88 प्रतिशत वोट दिया था. महज कुछ दिनों में इतनी बड़ी घटना का होना विचित्र प्रक्रिया के तौर पर भी देखा जा रहा है. घटना के हुए कुछ समय बीत गए, उसके बाद कई सारे न्यूज भी आने लगे. उसके आधार पर माना जा सकता है कि ये पूरी तरह से सरप्राइज अटैक नहीं माना जा सकता, क्योंकि अमेरिका की ओर से एक्सप्लेन किया जा रहा है कि इस तरह का हमला या घटना होने की जानकारी पहले से थी.


घटना के बारे में थी पहले से एडवायजरी


एक बड़ी बात सामने आयी है कि रूस के मॉस्कों में जो अमेरिकी दूतावास है, वहां पर एडवायजरी जारी की गई थी, जिसमें अमेरिकी लोगों से अपील की गयी थी कि मॉस्को में लोग यूएसए के लोग रहते हैं वो किसी भी कॉनसर्ट हॉल के अलावा भीड़भाड़ के इलाकों में ना जाए. ये एडवायजरी आठ मार्च को जारी की गई थी. क्योंकि कोई अटैक होने की आशंका है. अब अमेरिका की एंबेंसी ये शिकायत कर रही है कि इसकी जानकारी रूस सरकार को भी उन्होंने दी थी कि इस तरह का बड़ा हमला हो सकता है. सवाल उठता है कि क्या यूएयए के पास  जानकारी थी, अगर जानकारी थी तो कितना रूस की सरकार के साथ शेयर किया. ये बातें उभर कर अब सामने आएंगी. दूसरी ओर पूरे विश्व के राष्ट्राध्यक्ष और नेता इस घटना का निंदा कर रहे हैं और रूस को पूरा सपोर्ट दे रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस बारे में जानकारी ली, और ट्वीट कर के भी उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना निंदनीय है और भारत रूस के साथ खड़ा है. चीन,  जापान सहित कई देशों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है, लेकिन ह्वाइट हाउस और जो बाइडेन की ओर से प्रतिक्रिया देने में काफी देर हुई. इन सब घटनाओं को देखें तो बहुत सारे सवाल अभी खड़े होते हैं. जिनका जवाब की उम्मीद पूरी दुनिया कर रहा है.


मुस्लिम राष्ट्रों के साथ रूस के अच्छे संबंध


यूक्रेन से युद्ध के बीच में अभी तक पुतिन ने सिर्फ यूएई और साउदी अरब देशों के बीच ही विदेश यात्रा की है. मुस्लिम राष्ट्रों के साथ रूस के संबंध को मजबूत करने में लगे है. उसके बीच ही मुस्लिम आतंकी संगठन की ओर से ये घटना होती है, और इसकी जिम्मेदारी आईएसएस लेता है तो इससे रूस का प्रतिक्रिया क्या होगी क्योंकि मीडिल ईस्ट में रूस अपना पैर जमाना चाहता था, लेकिन इस घटना के बाद क्या कुछ बदलाव आता है ये भी देखना होगा. ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो रूस के कुछ सालों से मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. सीरिया के राष्ट्राध्यक्ष और पुतिन के बीच भी गहरा संबंध है, इसके अलावा दूसरे देशों के साथ भी उनके संबंध अच्छे हैं. जब से यूक्रेन का युद्ध चल रहा है तब से उन्होंने अपने विदेशी दौरे को कम कर दिया है, लेकिन इसी बीच वो यूएई और सऊदी अरब देशों का यात्रा कर चुके हैं. उनके मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंध मानें जाते हैं,  लेकिन इसी बीच इस्लामिक संगठन भी है जो ये मानता है कि रूस के मुसलमानों पर रूस अत्याचार करता है. रूस के कई चेचेन फाइटर आईएसएस से जुड़े भी है. 


हमले में यूक्रेन की भूमिका नहीं


अभी हाल में ही रूस ने कहा कि आइएसआइएस के जो चेचेन फाइटर है वो यूक्रेन की ओर से रूस के खिलाफ युद्ध करते देखे गए. यूक्रेन की सेना चेचेन फाइटर को ट्रेंड भी कर रही थी कि इस तरह के अटैक वो रूस में कर सकें. 1999 में भी मॉस्को में सीरियल ब्लास्ट भी हुए थे, उसके बाद चेचेन से युद्ध भी छिड़ा था. उस समय पुतिन ने राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद से चेचेन युद्ध का पूरी तरह से खात्मा कर दिया था. उसके बाद से चेचेन फाइटर की ओर से रूस में कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है. अभी हाल में रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है दूसरी ओर पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध खराब होते जा रहे हैं. गाजा और इजराइल के यहां भी युद्ध चल रहा है. सीरिया में भी युद्ध जैसे हालात है. इन सारे घटनाओं का फायदा लेते हुए चेचेन फाइटर, इस्लामिक आतंकी संगठन को एक मौका मिल गया है. पुतिन एक सख्त प्रशासक माने जाते हैं. वह अपने देश के हितों से कोई समझौता नहीं करने के लिए भी जाने जाते हैं. उनका अगला कदम क्या होगा ये भी देखने लायक होगा. जानकारों का कहना है कि रूस  और पश्चिमी देशों के बीच में अभी संबंध कुछ भी ठीक नहीं है. शीत युद्ध के बाद से अब तक सबसे निचले स्तर के संबंध है.


2022 से चले रहा यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध अभी भी जारी है. पहले से ही पश्चिमी देशों और रूस के बीन तनाव बना हुआ है. इस तरह की रूस में घटना होने से और भी तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए. आतंकवाद सभी देशों के लिए खतरा है और इसे मिलकर खत्म करना चाहिए. जिस देश के साथ ऐसी घटना हुई है उसके साथ सभी को खड़ा रहना चाहिए. ग्लोबल पॉलीटिक्स पर ध्यान दें तो ऐसा नहीं होता है. ऐसी घटनाओं के बाद संबंध में और भी तनाव देखे जाते हैं. अभी कुछ समय तक ब्लेम गेम चलेगा.


हालांकि, अभी रूस ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन वहां की न्यूज एजेंसियों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है. रिटायर्ड आर्मी-अफसरों और इंटेलिजेंस के लोगों ने भी कहा है कि इसमें यूक्रेन का हाथ हो सकता है. भारत की बात करें तो रूस का मित्र देश है और पश्चिमी देशों से भी संबंध ठीक है. हालांकि भारत भी पहले भी कह चुका है कि टेरेजिज्म दुनिया के लिए परेशानी का विषय है चाहें वो जो भी हो उसकी निंदा होनी चाहिए.  


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