तुर्की की बात मानकर क्या पुतिन रोक देंगे तबाही की ये जंग?
अपनी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के लिए पहचाने जाने वाले तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल ने दो देशों के बीच छिड़ी जंग को रोकने के लिए अपनी भूमिका की पहली इबारत लिख दी है. रूस और यूक्रेन के बीच मंगलवार को तीन घंटे तक हुई बातचीत के सकारात्मक नतीजे मिलते दिख रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही युद्ध विराम हो सकता है.
दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत
पिछले 34 दिनों में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को समझाने की कई देशों ने कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने. लेकिन बीते शनिवार को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पुतिन से फोन पर लंबी चर्चा करते हुए उनसे जंग रोकने की गुहार तो लगाई ही लेकिन साथ ही दोनों देशों के बीच शांति वार्ता इस्तांबुल में करने के लिए उन्हें राजी भी कर लिया. ऐसे संकेत हैं कि अब तुर्की के अनुरोध पर ही पुतिन यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से आमने-सामने की वार्ता के लिए भी तैयार हो सकते हैं. क्योंकि उस बैठक के बाद ही वे अपनी शर्तों पर जंग रोकने का एलान करेंगे. सचमुच अगर ऐसा हो जाता है, तो इसे रूस या यूक्रेन की हार नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुर्की की कूटनीतिक जीत ही माना जायेगा.
दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के बाद रूस के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता को सकारात्मक बताते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत अगले दो हफ्ते भी जारी रहेगी. दरअसल, आज हुई बातचीत के सकारात्मक होने की वजह भी है. यूक्रेन अपने मुल्क को और अधिक तबाही से बचाने और अपने नागरिकों की रक्षा के लिए रूस की दो प्रमुख शर्तों को मानने के लिए राजी हो गया है. पहली ये कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा, जो कि रूस चाहता है और दूसरा यह कि डोनबास इलाके को इंडिपेंडेंट घोषित किया जायेगा. हालांकि वार्ता शुरू होने से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कह दिया था कि उनका देश तटस्थता की घोषणा करने के लिए तैयार है,जो रूस की प्रमुख मांगों में से एक है.
पुतिन और जेलेंस्की के बीच हो सकती है मुलाकात
लेकिन यूक्रेन ने आज हुई बातचीत में 8 देशों से सुरक्षा पर गारंटी मांगी है. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आज की बातचीत के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच मुलाकात हो सकती है. यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत के बाद कहा कि उनका देश तटस्थ स्थिति को अपनाएगा, अगर बदले में उसे सुरक्षा की गारंटी मिले. तटस्थ स्थिति रूस की अहम मांगों में से एक है. इसका मतलब ये हुआ कि यूक्रेन नेटो जैसे किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं होगा और न ही अपने सैन्य ठिकाने किसी को देगा. माना जा रहा है कि पोलैंड, इजरायल, तुर्की और कनाडा, यूक्रेन के लिए सुरक्षा के गारंटर हो सकते हैं. यूक्रेन ने कहा है कि प्रस्तावों में क्राइमिया की स्थिति पर 15 साल की परामर्श अवधि भी शामिल होगी और पूर्ण युद्धविराम की स्थिति में ही ये लागू होगी.
यूक्रेन के वार्ताकारों ने ये भी कहा है कि मौजूदा प्रस्ताव ऐसा है, जिससे पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच मुलाकात की गारंटी दी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि वे रूस के जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं. दूसरी ओर रूस के शीर्ष वार्ताकार ने कहा है कि विदेश मंत्रियों की ओर से समझौते पर मुहर लगने के बाद ही पुतिन और ज़ेलेंस्की की मुलाक़ात संभव है. बातचीत के बाद रूसी प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने वादा किया है कि वे यूक्रेन की राजधानी कीव और चेर्निहीव में सैनिक गतिविधियों को उल्लेखनीय रूप से कम करेंगे. यानी रूस अब वहां अपने हमलों में कमी लायेगा.
रूस ने भी मानी यूक्रेन की शर्त
यूक्रेन के लिये राहत की बात ये है कि रूस भी उसकी एक अहम शर्त मानने को तैयार हो गया है. रूस के प्रमुख वार्ताकार व्लादिमीर मेदिंस्की ने इसे लेकर कहा कि कीव के प्रस्ताव में यह शर्त भी रखी गई है कि यूक्रेन अगर यूरोपीय संघ (ईयू) से जुड़ता है तो रूस इसका विरोध नहीं करेगा. आज हुई बातचीत में रूसी अरबपति रोमन अब्रामोविच भी शामिल हुए, जिन्हें पुतिन का सबसे करीबी समझा जाता है. उन्हें तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से बात करते देखा गया, जो इस्तांबुल में वार्ता में मध्यस्थता कर रहे हैं. अब्रामोविच को मास्को और कीव के बीच मध्यस्थता की भूमिका के लिए जाना जाता है. इस वार्ता के बाद तुर्की ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच हुई अब तक हुई बातचीत में इस बार सबसे महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई. तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने कहा कि कुछ मुद्दों पर दोनों देशों में समझ विकसित हुई है और वे इसका स्वागत करते हैं. उन्होंने ये बात दोहराई कि युद्ध जल्द से जल्द समाप्त होना चाहिए. उम्मीद करनी चाहिये कि रूस अब अपने वादे से नहीं मुकरेगा और मानवता के विनाश को जल्द रोकने का ऐलान करेगा.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
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