रूस-यूक्रेन युद्ध: पुतिन घुटने टेकेंगे या विनाश के रास्ते पर ही आगे बढ़ेंगे ?
रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के पांचवें दिन दोनों देशों के बीच हुई पहली वार्ता में यूक्रेन ने एक बड़ी मांग उठाकर गेंद अब रूस के पाले में ही डाल दी है. यूक्रेन ने कहा है रूस सीजफायर का ऐलान करे और और अपनी सेना को यूक्रेन के अलावा क्रीमिया और दोनबास से भी बाहर निकाले. रूस के लिए ये एक तरह से घुटने टेकने वाली स्थिति होगी, इसलिये सवाल उठ रहा है कि राष्ट्रपति पुतिन झुकेंगे या फिर अपनी जिद पर अड़े रहते हुए इस विध्वंस को और आगे ले जाएंगे?
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को करीब साढ़े तीन घंटे तक दोनों मुल्कों के प्रतिनिधियों के बीच हुई इस बैठक के कोई सकारात्मक नतीजे निकलने की उम्मीद कम ही है, लेकिन जिस तरह से दुनिया में रूस अलग-थलग पड़ता जा रहा है, उसे देखते हुए उसके अड़ियल रुख़ में कितना बदलाव होता है, ये अगले कुछ घंटों में पता लग जाएगा. बताया गया है कि इजरायल की पहल पर ही रूस इस बातचीत के लिए राजी हुआ था. इजरायल चाहता है कि यूक्रेन और रूस के बीच अमन कायम हो क्योंकि दोनों ही उसके मित्र हैं.
भारतीय नागरिकों को निकालने की कोशिश
उधर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हो रही महासभा में अमेरिका द्वारा रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा खत्म होने के बाद संभवतः मंगलवार की तड़के इस प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जिसमें दुनिया के 193 देशों के सदस्य हिसा लेंगे. इधर, मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वहां से जल्द सुरक्षित निकालने में तेजी लाते हुए यूक्रेन की सीमा से लगे 4 देशों में चार विशेष दूत तैनात करने का निर्णय लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने चार केंद्रीय मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में पहुंचकर भारतीयों की सुरक्षित और सुगम निकासी में समन्वय की जिम्मेदारी दी है. इसके तहत, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह पोलैंड में, किरेन रिजिजू स्लोवाकिया में, हरदीप पुरी हंगरी में जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया और मोलदोवा में समन्वय करेंगे. यूक्रेन का हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण भारत वहां फंसे अपने नागरिकों को रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया से लगी उसकी (यूक्रेन की) सीमा चौकियों के जरिए वहां से बाहर निकाल रहा है.
परमाणु हमले की तैयारी के आरोप
हालांकि जंग के बीच जहां दोनों मुल्कों में पहले दौर की वार्ता हुई है, तो वहीं यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस परमाणु हमला करने की तरफ आगे बढ़ रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दिमीर जेलेंस्की की पूर्व प्रवक्ता यूलिया मंडेल (Yulia Mendel) ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कभी भी न्यूक्लियर बम का हमला कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन ही नहीं दूसरे देश पर भी एटमी हमला हो सकता है. यूलिया के मुताबिक पुतिन के न्यूक्लियर अटैक की ज्यादा संभावना है. पोलैंड, मोल्डोआ और फिनलैंड को भी पुतिन अपना अगला निशाना बना सकते हैं. वहीं, पोलैंड के भी 74 फीसदी लोगों का कहना है कि पुतिन एटमी हमला कर सकते हैं.
दरअसल,ये आशंका इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि सोमवार को ही रूस के रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को जानकारी दी है कि रूसी न्यूक्लियर दस्ते ने युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. ये खबर रूसी मीडिया के हवासे से सामने आई है. बताया गया है कि रूस का न्यूक्लियर दस्ता ड्यूटी अलर्ट पर है. राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सेना को अपनी प्रतिरोधी शक्तियों को "स्पेशल अलर्ट" पर रखने का आदेश दिया है जिनमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं. पुतिन ने अपने रक्षा प्रमुखों से कहा कि पश्चिम के आक्रामक बयानों की वजह से ऐसा करना ज़रूरी हो गया है.
वैसे, सामरिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उनकी इस घोषणा का मतलब ये कतई नहीं है कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करना चाहता है. मगर उनके इस ऐलान ने दुनिया में परमाणु हथियारों की चर्चा छेड़ दी है. इस बीच आर्थिक प्रतिबंधों से बौखलाए रूस ने 36 देशों की उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है. रूस ने जिन देशों की एयरलाइन्स को बैन किया है, उनमें ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, इटली और कनाडा शामिल हैं. रूस ने ये फ़ैसला यूरोपीय यूनियन के ऐलान के बाद लिया है. ईयू ने अपने फ़ैसले में ‘रूस के स्वामित्व वाले, रूस में पंजीकृत और रूस के नियंत्रण वाले विमानों’ के अपने हवाई क्षेत्र में दाखिल होने पर रोक लगा दी थी. आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से डॉलर की तुलना में रूस की मुद्रा रूबल की कीमत में तेज गिरावट आई है. इससे रूस की खरीद क्षमता ध्वस्त हो सकती है. इससे आम रूसियों की बचत भी खत्म हो सकती है.
मेडिकल ऑक्सीजन की भारी किल्लत
वहीं रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई पर भारतीय मीडिया में चल रही ख़बरों को लेकर रूसी दूतावास ने मीडिया एडवाइज़री जारी की है. भारत में रूसी दूतावास ने ट्वीट कर कहा है कि यूक्रेन में जारी संकट को देखते हुए भारतीय मीडिया से सटीक सूचनाएं देने का अनुरोध किया जा रहा है ताकि भारत के लोगों को निष्पक्ष जानकारी मिल सके. रूस के हमले के बाद से यूक्रेन में कोविड मरीजों और युद्ध में घायलों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की भारी कमी हो गई है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई खतरनाक स्तर तक घट गई है. दरअसल लड़ाई की वजह से मेडिकल ऑक्सीजन ढोने वाले ट्रक अस्पतालों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. राजधानी कीव के अस्पतालों में भी इसकी किल्लत हो गई है. हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि अगले 24 घंटों में मौजूदा स्टॉक खत्म हो सकता है.
इस हमले का असर ब्रिटेन में पेट्रोल की कीमतों पर भी दिख रहा है. कच्चे तेल के दाम में तेजी का असर ब्रिटेन के पेट्रोल पंपों पर दिखने लगा है, जहां पेट्रोल की कीमत रविवार को अचानक बढ़ गई है. अगले हफ्ते भर में भारत में भी पेट्रोल,डीज़ल और गैस की कीमतें बढ़ने की पूरी संभावना है. फिलहाल यूपी चुनाव के कारण ऑयल कंपनियों ने 7 मार्च तक इस फैसले को टाल रखा है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)