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खंडहर में तब्दील होता जा रहा यूक्रेन, क्या दोबारा बन पाएगा खूबसूरत देश?

Russia Ukraine War: महज सवा चार करोड़ की आबादी वाला यूरोप का दूसरा बड़ा और खूबसूरत देश यूक्रेन पिछले सालभर से खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. पिछले साल 24 फरवरी को रूस के हमले से शुरू हुई जंग अभी थमी नहीं है और कोई नहीं जानता कि ये कब रुकेगी. देर-सवेर जंग खत्म हो भी गई तो क्या तबाह हो चुका यूक्रेन दोबारा अपनी पुरानी शक्ल में आ पायेगा? फिलहाल तो ये बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि जंग की शुरुआत से अब तक रूस ने यूक्रेन की तकरीबन 18 फीसदी जमीन पर कब्जा कर लिया है, जहां यूक्रेन के 6 बड़े शहर बसे हुए हैं, जो पूरे देश की इकोनॉमी को कंट्रोल करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें,तो रूस ने उन सारे अहम ठिकानों पर अपना कब्जा कर लिया है जो यूक्रेन की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं.

वर्ल्ड बैंक की यूक्रेन को लेकर रिपोर्ट 
रूसी हमले के 13 महीने बीत जाने पर World Bank ने यूक्रेन में हुई तबाही को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है, जो बताती है कि एक छोटे-से मुल्क के लिए युद्ध झेलना कितना खतरनाक और पीड़ादायी होता है. विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन को रूस के युद्ध से उबरने और पुनर्निर्माण के लिए अगले 10 वर्षों में 411 बिलियन डॉलर खर्च करने होंगे. ये अनुमान भी सिर्फ अभी तक के हैं, लिहाज़ा जंग आगे और जितनी लंबी खिंचेगी, खर्च का आंकड़ा भी उसी हिसाब से बढ़ता जायेगा. तबाही का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि रुसी मिसाइलों का शिकार बने कस्बों और शहरों से मलबे को साफ करने पर ही करीब 5 बिलियन डॉलर का खर्च होगा. विश्व बैंक ने बुधवार को ये रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि "इन अनुमानों को भी न्यूनतम माना जाना चाहिए, क्योंकि युद्ध जारी रहने तक जरूरतें बढ़ती रहेंगी."

हजारों लोग जान गंवा चुके हैं
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) में अब तक हजारों लोग जान गंवा चुके हैं और लाखों लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ले रखी है. हर तरह का इंन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बड़े पैमाने पर तबाह हो चुका है. विनाशकारी हथियारों-मिसाइलों से यूक्रेन में अरबों डॉलर की संपत्ति मिट्टी में मिल गई है. जाहिर है कि ये नुकसान इतना भयंकर है कि यूक्रेन को इससे उबरने में बरसों लग जायेंगे.

खर्च बढ़कर 400 बिलियन डॉलर हुआ
यूक्रेन की सरकार, विश्व बैंक, यूरोपीय आयोग और संयुक्त राष्ट्र द्वारा संयुक्त रूप से आंके गए, 411 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन ने सितंबर में विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में अनुमानित 349 बिलियन डॉलर की वृद्धि को चिह्नित किया है. यानी पहले यूक्रेन को बर्बादी से उबारने में 349 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन अब इस ताजा रिपोर्ट में ये खर्च बढ़कर 400 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा हो चुका है.

मानवीय नुकसान को जोड़ा नहीं गया
हालांकि, इस रिपोर्ट में युद्ध के दौरान हुए आर्थिक और मानवीय नुकसान को जोड़ा नहीं गया है. मसलन,वहां अब तक लगभग 20 लाख घर खंडहर बन चुके हैं.प्रभावित शहरों में 650 से ज्यादा एम्बुलेंस जलकर खाक हो चुकी है.जबकि अब तक कम से कम 9,655 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें 461 बच्चे शामिल हैं.जंग बढ़ने के साथ हर दिन मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. विश्व बैंक के उपाध्यक्ष अन्ना बजेर्डे ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है, ''यूक्रेन के पुनर्निर्माण में कई साल लगेंगे.'' वैसे इस रिपोर्ट में अब तक इमारतों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान में 135 बिलियन डॉलर की लागत आने का अंदाजा लगाया गया है.

यूक्रेन के जंग में टिके रहने की वजह
विश्लेषकों के मुताबिक यूक्रेन के इतने लंबे समय तक जंग में टिके रहने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और पश्चिमी देशों से मिल रहे अत्याधुनिक हथियार और आर्थिक समर्थन है. दूसरी तरफ रूस है जो यूक्रेन को मिलने वाले पश्चिमी देशों के समर्थन का शुरू से विरोध करते हुए ये जंग रोकने के मूड में अब भी नहीं दिखाई देता. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने ब्लैक सी ट्रेड रूट के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया है. यूक्रेन के 6 बड़े शहर- सेवेरोडोनेट्स्क, डोनेट्स्क, लुहांस्क, जपोरिजिया, मारियुपोल और मेलिटोपोल भी अब उसके ही कब्जे में आ चुके हैं,जो बसे हैं,जो यूक्रेन की इकोनॉमी को कंट्रोल करते हैं.

दरअसल, यूक्रेन के इन  6 महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा करके रूस पश्चिमी देशों को ये संदेश देना चाहता है कि उसे रोकना मुश्किल है.ऐसा करके रूस ये दावा कर पाएगा कि यूक्रेन उसके क्षेत्र पर हमला कर रहा है और इस बहाने वह पश्चिमी देशों को भी निशाने पर ले सकता है. साल  2014 में रूस ने इसी तरह क्रीमिया पर कब्जा जमाया था, जिसका पश्चिमी देशों ने भारी विरोध किया था लेकिन उसके बाद भी क्रीमिया पर रूस का ही कब्जा है. यूक्रेन के बाकी शहरों को भी अपने कब्जे में लेने की इसी रणनीति पर रुस आगे बढ़ रहा है, इसीलिये वह जंग रोकना नहीं चाहता.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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