दो देशों के बीच होने वाले युद्ध में अक्सर दुश्मन मुल्क के सैन्य ठिकानों और वहां के सैनिकों को ही निशाना बनाया जाता है, लेकिन यूक्रेन के खिलाफ छेड़ी गई जंग में रूस युद्ध के लिए बने सारे स्थापित नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है. पहले उसने यूक्रेन के रिहायशी इलाकों में बमबारी करके आम बच्चों समेत नागरिकों को निशाना बनाया और अब वह यूक्रेन के विभिन्न शहरों के मेयर को बंधक बना रहा है.


यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने एक अजीबोगरीब दावा किया है कि रूस उनके शहर के मेयर्स को किडनैप कर रहा है. कुछ को हम ढूंढ नहीं पा रहे हैं, कुछ को हमने ढूंढ लिया है लेकिन वे जिंदा नहीं हैं. द इकोनॉमिस्ट को दिए एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने यह दावा किया है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर रूस ऐसा क्यों कर रहा है और क्या ये उसकी इस रणनीति का हिस्सा है कि जेलेन्स्की हथियार डालने पर मजबूर हो जाएं? रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को 33 दिन बीत चुके हैं और कई देशों की मध्यस्थता की तमाम कोशिशों के बावजूद दोनों में से कोई देश झुकने के लिए तैयार नहीं है.


इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता मंगलवार को तुर्की में शुरू हो सकती है. क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा है कि यह जरूरी है कि बातचीत आमने-सामने हो. इससे पहले खबर आई थी कि दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच वार्ता सोमवार शाम से शुरू होगी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके तुर्की के समकक्ष तैयप एर्दोगन ने शनिवार को टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिसमें एर्दोगन ने यूक्रेन में संघर्ष विराम की अपील की थी. उसी दौरान सहमति बनी कि ये बैठक इस्तांबुल में होगी. लेकिन क्रेमलिन प्रवक्ता ने यह भी साफ कर दिया कि इस्तांबुल में वार्ता के बाद पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच बैठक की कोई योजना नहीं है. जबकि जेलेंस्की, पुतिन से आमने-सामने की वार्ता पर जोर दे रहे हैं.


जेलेंस्की ने रविवार की रात के राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा है कि यूक्रेन बिना विलंब किए शांति स्थापित करने के लिए तटस्थता की घोषणा कर सकता है और रूस को सुरक्षा गारंटी की पेशकश भी कर सकता है लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी दोहराया कि केवल रूसी नेता के साथ आमने-सामने की वार्ता से ही युद्ध समाप्त हो सकता है. जबकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन आमने-सामने की वार्ता करना ही नहीं चाहते. सामरिक जानकार मानते हैं कि पुतिन अपने आगे जेलेंस्की की कोई हैसियत नहीं समझते, लिहाज़ा वे ऐसी किसी भी वार्ता करने को अपना अपमान मानते हैं.


हालांकि दोनों मुल्कों के प्रतिनिधि मंडलों के बीच अब तक सारी वार्ता बेनतीजा ही रही हैं बल्कि ऐसी हर वार्ता के बाद रूस ने अपने हमले और भी ज्यादा तेज कर दिए हैं.वैसे जेलेन्स्की युद्ध की शुरुआत से ही शांति के पक्षधर हैं और वे अभी भी इसकी वकालत ही कर रहे हैं.


तुर्की में आमने-सामने होने जा रही बातचीत को वक़्त की जरूरत बताते हुए उन्होंने माना कि इसमें बुरा कुछ नहीं है.लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम को लेकर वे भी आशंकित हैं.इसीलिये जेलेन्स्की ने ये भी कहा है कि "हमें पता है कि रूस को अपने देश के क्षेत्र से पूरी तरह से बाहर करना असंभव होगा.अगर रूस हमारे देश से बाहर नहीं जाता है तो इससे तीसरा विश्व युद्ध होना तय है." उनकी इस आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि रूस अपने लगातार तीखे हमलों से पश्चिमी देशों को जंग के मैदान में आने के लिए उकसा रहा है.


बेशक अमेरिका खुलकर यूक्रेन का साथ देने के लिए जंग के मैदान में नहीं कूदा है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने अपने एक बयान से पुतिन को और भड़का दिया है. क्रेमलिन ने इस पर आज गहरी चिंता जताई है. दरअसल, शनिवार को पोलैंड में अपने संबोधन के दौरान बाइडन ने कहा था कि पुतिन को और अधिक समय तक सत्ता में रहने नहीं दिया जा सकता. हालांकि बाद में, व्हाइट हाउस ने इस इस पर सफाई देते हुए कहा था कि अमेरिका की रूस में सत्ता परिवर्तन की कोई योजना नहीं है.


हर युद्ध तबाही की एक नई कहानी लिखता है और रूस ने भी यूक्रेन के कई खूबसूरत शहरों को तबाह करके अपने अहंकार की निशानी छोड़ दी है. वहां के इकोनॉमी मिनिस्टर यूलिया सिव्रीडेंको ने कहा है कि यूक्रेन को रूस के इस युद्ध के कारण अब तक 564.9 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है. अगर जंग ऐसे ही जारी रही, तो यूक्रेन को पूरी तरह तबाह होने से कोई बचा नहीं पायेगा.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)