राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ऊपर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी कमजोर हो. इसी के साथ पायलट ने अजमेर से जयपुर तक 5 दिन की जनसंघर्ष यात्रा निकालने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि मैंने धौलपुर का गहलोत का भाषण सुना और उससे लगा कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं.
इससे दो दिन पहले सीएम गहलोत ने पायलट पर हमला किया था. उन्होंने कहा था कि वसुंधरा राजे का जहां पर महल है, जो गृह जिले हैं, वहां की महारानी है, उनके ऊपर आरोप लगाए थे. इसके साथ ही, गहलोत ने अपने विधायकों और मंत्रियों पर आरोप लगाए कि उन्होंने अमित शाह से पैसे ले लिए. अगर खर्च कर दिए तो वापस दे दो, मैं उनकी मदद वापसी में कर दूंगा.
गहलोत का बड़ा दांव
दरअसल, गहलोत चाहते थे कि कोई भी विधायक सामने आकर ये बता दें कि उन्हें अमित शाह से पैसा मिला था. ये बिल्कुल अलग तरह का आरोप था. सचिन पायलट के साथ ही उन्होंने वसुंधरा राजे को भी नहीं छोड़ा. हालांकि, आखिर में उन्होंने कहा कि सरकार बचाने में उनकी वसंधरा राजे ने मदद की थी. वसुंधरा राजे ने रात के करीब 11 बजे अपना स्पष्टीकरण दिया था कि मुझे बदनाम करने के लिए अशोक गहलोत मुझ पर इस तरह के आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी सरकार गिराने का काम कर रही है और वसुंधरा सरकार को बचाने का काम कर रही है.
वहीं दूसरी तरफ, गहलोत का जवाब देने के लिए सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं भी मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप लगा सकता हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा. पायलट ने कहा कि वे चाहते हैं कि युवाओं के साथ जो अन्याय हुआ है, अजमेर उनकी कर्मस्थली है, और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में रीट का पेपर लीक हुआ था, वो भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर में है.
लोगों की आवाज बनकर सचिन पायलट कह रहे हैं कि 125 किलोमीटर की यात्रा अजमेर से 11 मई को शुरू करने जा रहा हूं. आपको पता है कि कर्नाटक का चुनाव 10 मई को हो जाएगा और 11 मई को सचिन पायलट वहां से चलेंगे.
हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ और लोगों की आवाज बनकर उनकी बातें सुनुंगा. पायलट ने कहा कि वे जन संघर्ष यात्रा निकालने जा रहे हैं. अजमेर में दक्षिण और उत्तर में बीजेपी के विधायक हैं. इसके बाद जब वे किशनगढ़ आएंगे तो निर्दलीय विधायक हैं. इसके बाद आगे आएंगे तो विधायक बाबू लाल नागर हैं जो मुख्यमंत्री के खिलाफ हैं. कांग्रेस का वहां पर कोई है नहीं. पायलट ने कहा कि मैं कांग्रेस को मजबूत करूंगा और युवाओं की बात भी सुनुंगा. हो सकता है कि पायलट जनसभा भी कर सकते हैं.
सड़कों पर संघर्ष आ चुका है. अब ये संघर्ष किस तरफ जाएगा ये 20 तारीख के बाद पता चलेगा जब या तो मंत्रिमंडल का विस्तार हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष उनको बनाया जाए.
पायलट ने कर्नाटक में वोटिंग से एक दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि वे वहां पर जीत रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस के खिलाफ नहीं हूं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छिड़ी थी, उसी को मैं आगे बढ़ा रहा हूं. बीजेपी हमारी सरकार को गिराना चाहती थी, ऐसे मुख्यमंत्री गहलोत बोलकर फिर ये कह रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार को बचाया. पायलट ने कहा कि जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगाते हैं, उसी का तो मैं जवाब दे रहा हूं, ये तो नहीं कह रहा हूं संघर्ष नहीं करता.
सचिन पायलट ने ये नहीं कहा कि ये कांग्रेस की जनसंघर्ष पदयात्रा है बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ और युवाओं को जोड़ने के लिए पदयात्रा निकाल रहे हैं. पांच दिन बाद क्या होगा, ये बड़ी बात है. जब मुख्यमंत्री आरोप लगाते हैं कि ये आरोप महंगाई राहत शिविर में लगाते है कि पैसा लिया. अमित शाह पैसा क्यों नहीं ले रहे हैं. राज्य के मंत्री हेमाराम चौधरी का नाम लेते हैं, जो कि वन मंत्री हैं. जितेन्द्र सिंह शेखावत का नाम लगाकर बदनाम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन, सबने कहा कि हमने पैसा नहीं लिया है, ये हमारे ऊपर आरोप है.
किस तरफ जा रही राजनीति?
राजस्थान में चुनाव में अभी वक्त है. लेकिन, चुनाव से पहले ये जंग अगर यही रुक जाए और दोनों के बीच में समन्वय हो जाए तो अच्छा रहेगा. गोविंद सिंह डोटासरा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने पर भी सस्पेंस बरकरार है. गहलोत और पायलट के बीच जो कुछ पर्दे के भीतर चल रहा था वो अब बाहर आ चुका है. कई जिलों में संगठन नहीं बन पाया. 19 जिला अध्यक्ष हैं और बाकी बने ही नहीं. ऐसी स्थिति में प्रदेश की कार्यकारिणी भी नहीं बन पाई.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]