मंदिर - परे के लिए एक द्वार

मंदिर - परे के लिए एक द्वार
Source : Isha Foundation
सद्गुरुः इंसान के बोध की प्रकृति ऐसी है कि अभी कोई व्यक्ति जिस भी चीज में शरीक है, उसके अनुभव में सिर्फ वही एकमात्र सच होगा. अभी, ज्यादातर लोग पांच इंद्रियों में शरीक हैं, और वही एकमात्र सच लगता
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