एक्सप्लोरर

'रामचरित मानस' में दलितों के अपमान के बहाने कौन-सी हो रही है ये नई राजनीति?

रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने चार सदी पहले की थी, लेकिन आज उनकी कुछ चौपाइयां राजनीति का ऐसा औजार बन गई हैं कि कोई ये समझ नही पा रहा है कि अब अचानक आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. रामचरित मानस की एक चौपाई को दलितों का अपमान बताते हुए अब इस पर ऐतराज भी जताया जा रहा है और उसके बहाने अपनी सियासी रोटियां भी सेंकी जा रही है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि दलितों की राजनीति करने वाले नेताओं को अब तक ये ख्याल क्यों नहीं आया कि रामचरित मानस में लिखी इस पंक्ति-  'ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी' का विरोध जब पहले आज तक कभी नही हुआ,तो फिर आखिर अभी ही क्यों हो रहा है?

यूपी देश का सबसे बड़ा सूबा है,जहां दलितों की आबादी सबसे ज्यादा है.लोकसभा चुनाव होने में अभी सवा साल का वक्त बचा है, लेकिन बीजेपी को घेरने के लिये विपक्ष को कोई मुद्दा तो चाहिये ही,सो उसने तलाश लिया.यूपी में समाजवादी पार्टी के बड़े दलित नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं, जिन्होंने रामचरित मानस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने रामचरित मानस में लिखी जातिसूचक और नीची जातियों का अपमान करने वाली पंक्तियों को हटाने के लिए केंद्र सरकार से लड़ाई मोल ले ली है.जाहिर है कि सरकार उनकी मांग पर कोई गौर तो नहीं करेगी, लेकिन सवाल ये भी उठता है कि वे इस मुद्दे को उछालकर कितने दलितों को सपा के पाले में ले आयेंगे? ये भी सच है कि मौर्य के बयान ने राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है, लेकिन सियासत का इतिहास बताता है कि ऐसे किसी भी मसले को किसी सोची-समझी रणनीति के तहत ही उछाला जाता है.खासकर तब जबकि एक खास वर्ग की भावनाओं को सियासी रंग देते हुए उसे अपने साथ लेने की हर मुमकिन कोशिश को परवान चढ़ाया जाये.

निष्पक्षता से आकलन किया जाये तो पिछले साल हुए यूपी विधानसभा के चुनावों में दलितों के एक बड़े तबके का मायावती की बीएसपी से मोहभंग हुआ था और उसने सपा के पाले में जाने की बजाय बीजेपी को शायद अपना ज्यादा खैरख्वाह समझा भी और खुलकर उसे वोट भी दिया. इसे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग का सफल प्रयोग भी कह सकते हैं कि उसने बीएसपी से नाराज इस मजबूत वोट बैंक को सपा या कांग्रेस में जाने देने की बजाय अपने साथ लाने में उम्मीद से ज्यादा कामयाबी हासिल की. रामचरित मानस को लेकर दिये मौर्य के इस ताजा बयान को उसी कड़ी के रुप में देखा जा रहा है कि सपा का सारा फोकस अब इसी पर है कि मायावती से नाराज होकर जो दलित वोट बीजेपी के पास चला गया है,उसे किसी भी सूरत में अपने पाले में लाने के लिए हर तरह की तिकड़म का इस्तेमाल किया जाये. इसीलिए सियासी गलियारों में ये चर्चा जोरों पर पर है कि रामचरित मानस के जरिये दलितों का अपमान होने वाला बयान उन्होंने खुद नहीं दिया,बल्कि उनसे दिलवाया गया है.

यूपी की राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य को आज भी दलितों के एक बड़े चेहरे के रुप में पहचाना जाता है और कुछ इलाकों में उनका खासा जनाधार भी है.लिहाजा,उन्होंने ये शिगूफा छोड़कर एक नया विवाद तो पैदा कर ही दिया है. हालांकि ये कोई नहीं जानता कि आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें या उनकी पार्टी को किस हद तक फायदा मिलेगा. ऐसा माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने अयोध्या में रहते हुए ही रामचरितमानस की रचना 1631 में  मुगल बादशाह अकबर के शासन काल के दौरान की थी. उनकी रचना मुख्यत:अवधी भाषा में है लेकिन उसमें संस्कृत ,उर्दू , फारसी शब्दों का भी प्रयोग किया गया है. माना तो ये भी जाता है कि तुलसीदास जी ने इसमें श्री राम के चरित्र की साधारण मनुष्य से तुलना करते हुए विवेचना की है, इसलिए इसे रामचरितमानस कहते हैं, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य को इसकी एक चौपाई अब अचानक खलने लगी है. वे इस चौपाई का उदाहरण देते हुए सवाल उठा रहे हैं- 'ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी', यानी 50 परसेंट आबादी है महिलाओं की, वो महिलाएं किसी वर्ग की हों, सामान्य वर्ग की हों, दलित की हों, पिछड़े की हों, अगड़े की हों, हिंदू की हों, मुसलमान की हों, किसी भी वर्ग की हों, कौन अधिकार दिया मुसलमानों को अपमानित करने के लिए, महिलाओं को अपमानित करने के लिए, किसने अधिकार दिया पिछड़ों को गाली देने के लिए, किसने अधिकार दिया शूद्र कहकर दलितों-पिछड़ों और आदिवासियों को, इंसान की जिंदगी तो बहुत दूर, जानवर से बदतर जिंदगी जीने के लिए उन्होंने मजबूर किया, क्या यही धर्म है? और कहते हैं.. अगर तुलसीदास की रामायण पर कोई टिप्पणी करता है तो हिंदू भावना आहत होती है.''

मौर्य से मीडिया के साथियों ने सवाल पूछा था कि क्या वह चौपाई और दोहे को प्रबंधित करने की बात कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा, ''स्वाभाविक रूप से, यह धर्मनिरपेक्ष देश है, किसी को किसी भी धर्म को, किसी को गाली देने का अधिकार नहीं है. इन्हीं तुलसीदास जी की रामायण में लिखा है कि 'जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा', जातिसूचक शब्दों का उपयोग करते हुए अधम जातियों में इनको गिनने का पाप किया है. 'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, पूजहि न शूद्र गुण ज्ञान प्रवीणा' (सही चौपाई- 'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा'), ये कहां का प्रमाणपत्र दे रहे हैं कि कितना भी मूर्ख ब्राह्मण हो,उसकी पूजा करिये, लेकिन कितना भी बड़ा विद्वान क्यों न शूद्र हो, उसका सम्मान न करिये, ये तुलसी बाबा लिखते हैं?''क्या यही धर्म है ? 

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
Thu Apr 17, 3:35 pm
नई दिल्ली
31.8°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 36%   हवा: NNE 11.3 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'जरूर जाऊंगा मुर्शिदाबाद', ममता बनर्जी की हिंसा प्रभावित इलाकों में न जाने की अपील पर बोले गवर्नर सीवी बोस
'जरूर जाऊंगा मुर्शिदाबाद', ममता बनर्जी की हिंसा प्रभावित इलाकों में न जाने की अपील पर बोले गवर्नर सीवी बोस
Bihar Elections 2025: बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
जब रणदीप हुड्डा के सिर चढ़ा था स्टारडम का नशा, ठुकरा दी थी आमिर खान की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म
जब रणदीप के सिर चढ़ा था स्टारडम का नशा, ठुकरा दी थी ये ब्लॉकबस्टर फिल्म
MI vs SRH: लगातार दो गेंद पर कैच आउट हुए ट्रेविस हेड, फिर भी नहीं लौटना पड़ा पवेलियन; जानें क्यों और कैसे
लगातार दो गेंद पर कैच आउट हुए ट्रेविस हेड, फिर भी नहीं लौटना पड़ा पवेलियन; जानें क्यों और कैसे
ABP Premium

वीडियोज

Logout Movie Review: Babil Khan ने किया कमाल, Social Media Followers की Race का अंजाम दिखाएगी फिल्मWaqf Act: बंगाल हिंसा पर स्थानीयों ने सुनाई दिल चीर वाली आपबीती  ! | Chitra TripathiWaqf Act: वक्फ कानून को लेकर आपस में भिड़े Firoz Bakht Ahmed और इस्लामिक स्कॉलर | Chitra TripathiWaqf Act: 'सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए'- Surendra Rajput | Congress | BJP | Chitra Tripathi

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'जरूर जाऊंगा मुर्शिदाबाद', ममता बनर्जी की हिंसा प्रभावित इलाकों में न जाने की अपील पर बोले गवर्नर सीवी बोस
'जरूर जाऊंगा मुर्शिदाबाद', ममता बनर्जी की हिंसा प्रभावित इलाकों में न जाने की अपील पर बोले गवर्नर सीवी बोस
Bihar Elections 2025: बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
जब रणदीप हुड्डा के सिर चढ़ा था स्टारडम का नशा, ठुकरा दी थी आमिर खान की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म
जब रणदीप के सिर चढ़ा था स्टारडम का नशा, ठुकरा दी थी ये ब्लॉकबस्टर फिल्म
MI vs SRH: लगातार दो गेंद पर कैच आउट हुए ट्रेविस हेड, फिर भी नहीं लौटना पड़ा पवेलियन; जानें क्यों और कैसे
लगातार दो गेंद पर कैच आउट हुए ट्रेविस हेड, फिर भी नहीं लौटना पड़ा पवेलियन; जानें क्यों और कैसे
अमरनाथ यात्रा के लिए यहां से होगा ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन, जानें कितनी लगेगी फीस
अमरनाथ यात्रा के लिए यहां से होगा ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन, जानें कितनी लगेगी फीस
'मंत्री पोनमुडी पर करें FIR या अवमानना के केस के लिए रहें तैयार', तमिलनाडु पुलिस से बोला हाई कोर्ट
'मंत्री पोनमुडी पर करें FIR या अवमानना के केस के लिए रहें तैयार', तमिलनाडु पुलिस से बोला हाई कोर्ट
नारियल, आंवला या कोई और...आपके बालों के लिए कौन सा तेल सही; इन ट्रिक्स से कर सकते हैं पता
नारियल, आंवला या कोई और...आपके बालों के लिए कौन सा तेल सही; इन ट्रिक्स से कर सकते हैं पता
ED और सीबीआई के चीफ सीधे किसे रिपोर्ट करते हैं? जानें क्या होता है सरकार का रोल
ED और सीबीआई के चीफ सीधे किसे रिपोर्ट करते हैं? जानें क्या होता है सरकार का रोल
Embed widget