जिंदादिल इंसान, हंसमुख कलाकार और कमाल के एक्टर थे सतीश कौशिक, हरियाणा से एक्टर बनने वालों के लिए प्रेरणादायक
सिने जगत के कैलेंडर के किरदार से मशहूर हुए निर्माता, निर्देशक, एक्टर सतीश कौशिक का यूं ही अचानक चले जाना हर किसी के लिए बड़ा झटका है. उनकी बातें, उनका अभिनय, उनकी बातें सभी को हंसने, मुस्कुराने पर मजबूर कर देती थीं. चर्चित फिल्म पाताल लोक के एक्टर जयदीप अहलावत ने सतीश कौशिक के साथ अपने अनुभव साझा किए...सतीश कौशिक के साथ अपने निजी अनुभवों को साझा करते हुए जयदीप अहलावत कहते हैं कि......देखिये, मैं खुद को काफी भाग्यशाली मानता हूं कि क्योंकि मैंने उनके साथ कई जगहों पर काम भी किया है और एक अच्छी वेब सीरीज में भी उनके साथ काम करने का मौका मिला.
मैं उनको निजी तौर पर जानता था. मुझे इस बात का बेहद दुख है कि वे अब चले गए हैं. इनेसे ज्यादा हंसमुख, खुशमिजाज, एक चेहरा और एक पर्सनालिटी जो है बहुत कम लोगों को देखा है मैंने. ये बेहद दुखद है कि एक निर्माता, निर्देशक और एक्टर का यू ही चले जाना पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मुझे लगता है कि हरियाणा के लोगों के लिए वो एक प्रेरणा हैं.
जो लोग भी अपने आप को फिल्म इंडस्ट्री में आजमाना चाहते हैं और हम गिने-चुने एक्टर हैं हरियाणा से वहां पर जिन्होंने अच्छा काम किया हो, अच्छे से पढ़ाई-लिखाई करके, खुद को तैयार करके गए तो वो वाकई में सबके लिए इस मामले में प्रेरणा स्रोत हैं. देखिये, हंसाना तो एक उनकी कला का एक पहलू रहा है.
हरियाणा के लिए प्रेरणा है उनका संघर्ष
सतीश कौशिक ने जिस संघर्ष के साथ अपना मुकाम हासिल किया वह हरियाणा के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. हरियाणा से गिने-चुने एक्टर हैं जिनका सिने जगत से जुड़ाव रहा. सतीश कौशिक उन सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत रहे. मिस्टर इंडिया से उन्हें अपनी एक अलग पहचान मिली. फिल्मी पर्दे पर हंसाना कला का एक अलग पहलू है. इसमें सतीश कौशिक का जवाब नहीं था. मैने उनके साथ एक वेब सीरीज की थी, गली ब्रदर्स. हम दोनों हरियाणा से रहे हैं तो एक कनेक्शन रहा है उनके साथ. वे दुनिया भर की बातें सुनाते थे. हम भी उनसे कुरेदकर उनके सफर के बारे में पूछते रहते थे. वे बेहद खुश दिल इंसान थे.
अपने आप में इंस्पैरेशन
बहुत कमाल के एक्टर रहे. थिएटर में नाम कमाया, सीरियस फिल्मों में भी धाक जमाई. चाहे आप कोई भी जॉनर उठाकर देखें, सभी में उनका काम कमाल का रहा. उनका अभिनय इसलिए भी खास ही रहा क्योंकि वे सब कुछ काफी ईमानदारी से करते थे. जाने भी दो यारों या गोविंदा के साथ जो फिल्में की, सब में उन्होंने काफी ऑनेस्टली काम किया. उनकी यही ऑनेस्टी लोगों तक पहुंचती थी. फिल्म पाताल लोक ओटीटी पर काफी पसंद की गई थी. ओटीटी से हो रहे बदलाव के बारे में जयदीप अहलावत कहते हैं-बदलाव होते रहते हैं. समाज बदलता है, सिनेमा भी बदलता रहता है. कहानियां भी अलग-अलग तरह की आती रहती हैं.
ओटीटी ने एक नया प्लेटफार्म दिया. पाताल लोक को लोगों ने पसंद किया. ग्लोबल रीच के साथ आप लोगों का काम देख सकते हैं. लोग आपका काम देख सकते हैं. सतीश जी काफी जल्दी चले गए, काफी यादें हैं. अभी होली पर ही मैं उनकी बातों को याद कर रहा था. एक बहुत ही खूबसूरत इंसान, एक बहुत ही खूबसूरत शख्सियत, एक बहुत ही महान अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री ने खो दिया. यह फिल्म इंडस्ट्री और सिनेमा प्रेमियों के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल जयदीप अहलावत से बातचीत पर आधारित है.]