Opinion: इस शमा से आग लग जाए तो शमा क्या करे

ये शमा तो जली रोशनी के लिए, इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे….गीत ये पंक्तियां भले साठ के दशक की फिल्म आया सावन झूम के लिए आनंद बख्शी ने लिखीं हो, मगर पांच दशक बाद चरितार्थ कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शमा मोहम्मद पर हो रही है. उनकी वजह से कांग्रेस का हाथ पिछले कुछ घंटों से झुलस रहा है.
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने हाल ही में लोकप्रिय भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा के वजन को लेकर एक्स पर विवादित टिप्पणी की थी. खेल प्रेमियों और राजनीतिक गलियारों से इस पर हल्लाबोल इतना तगड़ा होगा, ये अंदाजा शायद शमा को नहीं था. हो भी कैसे सकता है, जब खेल के मैदान से नाता ना हो और उसमें कूदा जाए तो स्थिति यही होती है.
अब उनके बयान पर अग्नि बाण छोड़े जा रहे, पार्टी की ढाल बनकर कमान संभाल रहे हैं पवन खेड़ा. वे साधारण सा बर्न आयल लगाकर शमा के विवादित पोस्ट की पीड़ा का इलाज कर चुके है. दिक्कत ये है कि अपनी पार्टी की यह गत देखकर भी शमा अब तक क्षमा मांगने वाले मोड पर नहीं है और गेंद खेल प्रशंसकों और विरोध करने वाले गैर कांग्रेसी दलों के पाले में है. उन्हें शमा को माफ कर देना चाहिए. जगजाहिर है कि इंसान गलतियों का पुतला है, कष्ट की घड़ी में कांग्रेस के झुलसे हाथ पर पीड़ान्तक तेल मला जा सकता है.
वैसे शमा जी से एक सवाल तो बनता है कि आप स्वयं में कितने बड़े खेल प्रेमी है? अगर हैं तो खिलाड़ियों का मनोबल गिराने का काम क्यों कर रहीं हैं? वो भी उस खिलाड़ी का जिसके नाम अनगिनत रिकार्ड दर्ज हैं, जिसने खेल जगत में भारत का नाम कई बार रोशन किया है. शमा कांग्रेस दल की नेत्री से वजन मापक यंत्र की भूमिका में क्यों आ आईं? भई आप स्वयं बीडीएस की डिग्री हासिल कर पहले तो एक दंत चिकित्सा के क्षेत्र में ना जाकर पत्रकार बनीं, फिर पत्रकारिता का क्षेत्र छोड़कर आप कांग्रेस की प्रवक्ता बनीं तो अब राजनीति विषय पर काम कीजिए ना. अब उम्र के इस पड़ाव पर आप राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट खिलाड़ी तो बन नहीं सकती.
अगर किसी राजनीतिक दल का राष्ट्रीय प्रवक्ता इस तरह के बोल बच्चन पब्लिक डोमिन करेगा तो प्रहार तो होंगे ही. वो भी तब जब जमाना जानता हो कि रोहित शर्मा से पहले उनसे ज्यादा वजनदार खिलाड़ियों की धूम क्रिकेट की दुनिया में रह चुकी है. इनमें चार के नाम तो क्रिकेट विशेषज्ञ शमा मोहम्मद जी जरूर जानती होंगी. क्योंकि दुनिया के शीर्ष चार भारी भरकम क्रिकेट खिलाड़ियों में चारों क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम का ना केवल हिस्सा ही नहीं रहे, बल्कि जब संबंधित टीम ने विश्व कप जीता उनकी बड़ी भूमिका रही.
इनमें पहला नाम पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का आता है. उनकी गिनती भी दुनिया के हैवीवेट खिलाड़ियों में होती है,लेकिन इस खिलाड़ी ने पाकिस्तान को 1992 का विश्व कप दिलाने में अहम रोल निभाया था. हक ने तब 10 मैच में 225 रन और न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 37 गेंदों में 60 रन, जबकि फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 35 गेंदों में 42 रन बनाकर क्रिकेट प्रेमियों को चकाचौंध किया था. 2007 में सन्यास लेने पहले उनके खाते में 8830 रन टैस्ट मैचों के अलावा 11739 रन वनडे मैच के शामिल हो चुके थे.
श्रीलंका क्रिकेट टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा दुनिया के भारी भरकम शानदार खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने 1996 में क्रिकेट विश्व कप फाइनल में विजयी चौका लगाया अपनी टीम का झंडा दुनिया में फहराया था. उनके नाम कई कीर्तिमान है. दुनिया के शीर्ष चार वजनदार खिलाड़ियों में आस्ट्रेलिया के दिवंगत महान गेंदबाज शेन वार्न का नाम भी शामिल है, लेकिन उनका वजन खेल प्रतिभा के आडे़ कभी नहीं आया और भरपूर इस्तेमाल करते हुए उन्होंने खेल के मैदान में दर्शकों को रोमांचित किया.
अपने खेल करियर में वार्न ने 1992 से 2007 तक 145 टेस्ट मैच खेलें थे, जिसमें उन्होंने 25.41 की गेंदबाजी औसत से 708 विकेट झटके, जबकि 1993 से 2005 तक उन्होंने 194 अंतरराष्ट्रीय वन डे में 293 विकेट हासिल किए थे. दुनिया के हैवीवेट खिलाड़ियों में चौथे नंबर पर डेविड बून को आंका जाता है. संयोगवश बून भी उस ऑस्ट्रेलिया टीम का हिस्सा रहे, जिसके हाथों में पहली 1987 का विश्व कप आया था.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]


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