एक्सप्लोरर

इराक: शिया धर्मगुरु का राजनीति से संन्यास का फ़ैसला कहां ले जायेगा देश को?

दुनिया के किसी मुल्क में ऐसा कम ही देखने को  मिलता है कि जब कोई ताकतवर नेता और धर्मगुरु राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दे और उसके हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आएं और जबरदस्त हिंसा भड़क उठे. इराक में पिछले दो दिन से यही हो रहा है,इसलिये संयुक्त राष्ट्र भी इराक के भविष्य को लेकर चिंतित हो उठा है.

इराक के सबसे ताकतवर नेता और शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति से सन्यास लेने का ऐलान कर दिया है.ये फैसला उनके समर्थकों को रास नहीं आया और उसके बाद उनके समर्थकों ने राजधानी बगदाद में सोमवार से जबरदस्त उत्पात मचाना शुरू कर दिया. इस हिंसा में कम से कम 23 लोग मारे गए हैं, जबकि  350 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. 

इस घटनाक्रम के बाद मुक्तदा अल-सदर ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वो एक घंटे के अंदर संसद और उसके आसपास के क्षेत्र को जल्द से जल्द खाली कर दें.हालांकि उनकी इस अपील का कुछ असर हुआ है लेकिन सवाल ये है कि ये शांति कितने दिन कायम रहेगी क्योंकि वहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं है? इसलिये विश्लेषक मानते हैं कि इराक एक नई अशांति की तरफ बढ़ रहा है.

दरअसल,इराक में पिछले 10 महीने से राजनीतिक गतिरोध बना हुआ है.वहां पिछले साल अक्टूबर में हुए संसदीय चुनाव में मुक्तदा अल-सद्र के गठबंधन को सबसे ज़्यादा यानी 73 सीटें मिली थीं.लेकिन, 329 सीटों वाली इराकी संसद में सरकार बनाने के लिए 165 सीटें होना जरूरी है. लेकिन, मौलाना सदर के अन्य दलों के साथ काम करने से इनकार करने के चलते गठबंधन की सरकार का गठन नहीं हो पाया.

उन्होंने सरकार बनाने के लिए दूसरे ईरान-समर्थित शिया गुटों से वार्ता करने से इनकार कर दिया और वे अपनी इसी बात पर अंत तक डटे रहे लेकिन अचानक राजनीतिक संन्यास के ऐलान ने समर्थकों को उत्तेजित कर डाला.

पिछले 10 महीने से वहां न कोई राष्ट्राध्यक्ष है और न मंत्रिमंडल. फ़िलहाल वहां निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी की सरकार ही देश चला रही है. इराक में नई सरकार बनाने को लेकर पिछले एक महीने से प्रदर्शन हो रहे हैं. शिया धर्मगुरु के समर्थक इराक में दशकों के संघर्ष और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

मुक्तदा अल-सदर इराक की राजनीति पर अमेरिका और ईरान का प्रभाव खत्म करने के पक्ष में थे. वो संसद को भंग करके जल्द चुनाव कराने की मांग की भी वकालत कर रहे थे.इस बीच उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया.

हिंसा की घटनाओं के बाद ईरान ने इराक से लगने वाली अपनी सीमा को बंद कर दिया है. वहीं कुवैत ने अपने नागरिकों से तत्काल इराक छोड़ने के लिये कहा है. देश के अंतरिम प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी ने इस घटना के बाद पूरे देश में कर्फ़्यू लगाने का एलान किया है. उन्होंने कैबिनेट की बैठकें निलंबित कर दी हैं.वहीं मुक़्तदा अल-सद्र ने हिंसा रुकने और हथियारों के इस्तेमाल थमने तक उपवास करने का एलान किया है.

इससे पहले सोमवार को मुक़्तदा अल-सद्र ने कहा था कि, ''मैंने पहले ही राजनीतिक मामलों में दख़ल न देने का फ़ैसला लिया था, लेकिन अब मैं अपने रिटायरमेंट और सद्र समर्थक आंदोलन से जुड़े सभी संस्थानों को बंद करने का एलान करता हूं.'' हालांकि उनके आंदोलन से जुड़े मज़हबी संस्थान खुले रहेंगे.

ये जानना जरूरी है कि मुक़्तदा अल-सदर आखिर हैं कौन,जो बहुत कम वक्त में ही मुल्क की इतनी प्रभावशाली ताकत बन गये. 48 साल के मुक़्तदा अल-सदर पिछले दो दशक से इराक़ के सार्वजनिक और राजनीतिक परिदृश्य की बड़ी शख़्सियत रहे हैं. उनकी 'मेहदी सेना' देश के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के जाने के बाद इराक के सबसे ताकतवर हथियारबंद संगठन के रूप में उभरी थी.

ग़ौरतलब है कि सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका ने मार्च 2003 में इराक़ पर हमला किया था. लेकिन उनके हटने के बाद सद्र की मेहदी सेना ने अमेरिकी और तत्कालीन इराकी सेना से जमकर लोहा लिया था.बाद में उन्होंने अपने संगठन का नामकरण 'पीस ब्रिगेड्स' के रूप में कर दिया. बताया जाता है कि अभी भी यह देश के सबसे बड़े हथियारबंद संगठनों में से एक है जो अब इराक के सशस्त्र बलों का हिस्सा है.

इराक की राजनीति पर पकड़ रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि मुक़्तदा अल-सद्र ने बेरोज़गारी, बिजली कटौती और भ्रष्टाचार से परेशान इराक़ के आम अवाम को अपने साथ जोड़ने में बहुत जल्द कामयाबी हासिल की.वे इराक़ के उन गिने चुने लोगों में से एक हैं, जो बहुत जल्दी सड़कों पर अपने हज़ारों समर्थक उतार सकते हैं और फिर उन्हें लौटा भी सकते हैं.

पिछले 10 महीने से जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच बीते जुलाई महीने में भी उनके समर्थकों ने संसद पर धावा बोल दिया था.उस समय भी उनके समर्थक संसद के सुरक्षा घेरे को तोड़कर संसद के भीतर घुस गए थे. कभी ईरान के समर्थक रहे सदर अब उससे दूरी बना चुके हैं. इराक के घरेलू मामलों पर से अमेरिका और ईरान का दखल खत्म करने के लिए उन्होंने बाद में ख़ुद को राष्ट्रवादी नेता के तौर पर पेश किया.

हालांकि मुक्तदा अल-सदर पर ये आरोप भी लगता रहा है कि इराक में वह अपनी इमेज ठीक उसी तरह की बनाना चाहते हैं,जैसे ईरान में अयातुल्ला खुमैनी  बना चुके हैं.कहते हैं कि वह शियाओं के सबसे बड़े धर्मगुरु बनना चाहते हैं.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Pramod Krishnam: ‘बस नाम के हिंदू हैं कांग्रेस अध्यक्ष’, खरगे ने आतंकी से की CM योगी की तुलना तो भड़के आचार्य प्रमोद कृष्णम
‘बस नाम के हिंदू हैं कांग्रेस अध्यक्ष’, खरगे ने आतंकी से की CM योगी की तुलना तो भड़के प्रमोद कृष्णम
Bihar Politics: 'मंदिर-मस्जिद करने वालों को गले लगाते हैं', पटना पहुंचते ही सीएम नीतीश पर बरसे तेजस्वी यादव
'मंदिर-मस्जिद करने वालों को गले लगाते हैं', पटना पहुंचते ही सीएम नीतीश पर बरसे तेजस्वी यादव
Pushpa 2 Trailer Launch: 'पुष्पा 2' की ट्रेलर रिलीज डेट आई सामने, तो पता चला साउथ के मेकर्स का तगड़ा प्लान, बॉलीवुड को ऐसे देंगे मात
'पुष्पा 2' के मेकर्स ने बना रखा है तगड़ा प्लान, बॉलीवुड को ऐसे देंगे मात!
विराट कोहली से लेकर ऋतुराज गायकवाड़ तक, IPL 2025 में सभी 10 टीमों के संभावित कप्तान
विराट कोहली से लेकर ऋतुराज गायकवाड़ तक, IPL 2025 में सभी 10 टीमों के संभावित कप्तान
ABP Premium

वीडियोज

Kajal Raghwani के इल्जामों का दिया Khesari Lal Yadav ने जवाब ? क्यों नहीं हैं घरवालों को Khesari पर भरोसा?Top News: 3 बजे की बड़ी खबरें फटाफट अंदाज में | Jharkhand | Maharashtra Election | UPPSC | PrayagrajAaditya Thackeray EXCLUSIVE: मुस्लिम आरक्षण...महाराष्ट्र चुनाव पर सबसे विस्फोटक इंटरव्यू | abp newsBhopal News:'हॉस्टल वार्डन ने हमें मंदिर जाने से रोका, बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी की छात्राओं के आरोप से मचा हंगामा

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Pramod Krishnam: ‘बस नाम के हिंदू हैं कांग्रेस अध्यक्ष’, खरगे ने आतंकी से की CM योगी की तुलना तो भड़के आचार्य प्रमोद कृष्णम
‘बस नाम के हिंदू हैं कांग्रेस अध्यक्ष’, खरगे ने आतंकी से की CM योगी की तुलना तो भड़के प्रमोद कृष्णम
Bihar Politics: 'मंदिर-मस्जिद करने वालों को गले लगाते हैं', पटना पहुंचते ही सीएम नीतीश पर बरसे तेजस्वी यादव
'मंदिर-मस्जिद करने वालों को गले लगाते हैं', पटना पहुंचते ही सीएम नीतीश पर बरसे तेजस्वी यादव
Pushpa 2 Trailer Launch: 'पुष्पा 2' की ट्रेलर रिलीज डेट आई सामने, तो पता चला साउथ के मेकर्स का तगड़ा प्लान, बॉलीवुड को ऐसे देंगे मात
'पुष्पा 2' के मेकर्स ने बना रखा है तगड़ा प्लान, बॉलीवुड को ऐसे देंगे मात!
विराट कोहली से लेकर ऋतुराज गायकवाड़ तक, IPL 2025 में सभी 10 टीमों के संभावित कप्तान
विराट कोहली से लेकर ऋतुराज गायकवाड़ तक, IPL 2025 में सभी 10 टीमों के संभावित कप्तान
मणिपुर में CRPF का बड़ा एक्शन, जिरीबाम में कैंप पर हमला करने आए 11 उग्रवादी ढेर
मणिपुर में CRPF का बड़ा एक्शन, जिरीबाम में कैंप पर हमला करने आए 11 उग्रवादी ढेर
उद्धव ठाकरे का बैग चेक करने को लेकर बवाल, जानें एयरपोर्ट पर कैसे होती है VIP की एंट्री
उद्धव ठाकरे का बैग चेक करने को लेकर बवाल, जानें एयरपोर्ट पर कैसे होती है VIP की एंट्री
Dev Uthani Ekadashi 2024: देव उठानी एकादशी का व्रत कैसे तोड़ा जाता है?
देव उठानी एकादशी का व्रत कैसे तोड़ा जाता है?
UPPSC RO-ARO भर्ती एग्जाम को लेकर क्यों हो रहा है हंगामा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
UPPSC RO-ARO भर्ती एग्जाम को लेकर क्यों हो रहा है हंगामा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
Embed widget