शुक्रवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी-20 मैच में जीत का अंतर और रविवार को दूसरे मैच में हार का अंतर लगभग बराबर ही था. वेस्टइंडीज की टीम ने 9 गेंद पहले ही 173 रन बना लिए थे. उनके सिर्फ 2 विकेट गिरे थे. यानी भारतीय टीम ने अगर 200 रनों के आस पास का स्कोर भी खड़ा किया होता तो वो वेस्टइंडीज की टीम हासिल कर लेती. इस मैच में दरअसल हार से ज्यादा चर्चा शिवम दुबे की है. शिवम दुबे ऑलराउंडर हैं. उन्होंने 30 गेंद पर 54 रन बनाए। शिवम दुबे को अभी पिछले महीने ही टी-20 टीम में चुना गया था. करीब 26 साल के शिवम दुबे आईपीएल की ही खोज माने जाएंगे. हालांकि आईपीएल के पहले भी इक्का दुक्का पारियां ऐसी हैं जिनका जिक्र शिवम दुबे के नाम के साथ किया जाता है. जिसमें रणजी ट्रॉफी के एक मैच में लगातार पांच गेंद पर पांच छक्के लगाने का एक वाकया भी है.
शिवम दुबे 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के आस पास गेंदबाजी करते हैं. साथ ही वो बाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज हैं. लिहाजा उन्हें 2020 विश्व कप की तैयारियों के मद्देनजर टीम में चुना गया है. पिछले करीब एक महीने में उन्होंने 5 टी-20 मैच खेले हैं. जिसमें उन्होंने डेढ़ सौ से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से 64 रन बनाए हैं और तीन विकेट लिए हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टी-20 मैच में टीम मैनेजमेंट ने उनके रोल के साथ बड़ा प्रयोग किया.
नंबर तीन पर आए शिवम दुबे
दूसरे टी-20 मैच में विराट कोहली ने अपनी बैटिंग पोजीशन शिवम दुबे को दी. शिवम नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने आए. उन्हें केएल राहुल के आउट होने के बाद बल्लेबाजी के लिए भेजा गया था. शिवम ने शुरूआती कुछ गेंदों पर बड़े शॉट्स लगाने का जरूरत से ज्यादा प्रयास किया, लेकिन फिर वो "टाइमिंग" की फिराक में आए. जिसके बाद उन्होंने कुछ बेहतरीन शॉट्स खेले. शिवम दुबे की पारी में चार छक्के और 3 चौके लगाए. शिवम दुबे जब बल्लेबाजी कर रहे थे तो सुनील गावस्कर कॉमेंट्री कर रहे थे. गावस्कर ने कहाकि इससे पहले शिवम दुबे को जब भी बल्लेबाजी के लिए भेजा गया तो वो एक फिनिशर के तौर पर मैदान में आए जहां उन्हें आते ही आक्रामक बल्लेबाजी करनी होती थी. इससे उनके "बैटिंग टेंपरामेंट" का पता नहीं चलता था. दूसरे टी-20 में शिवम दुबे के पास समय था तो उनकी बल्लेबाजी अलग सी नजर आई. उन्होंने शुरूआत में संयम भी दिखाया.
हालांकि अपनी पारी के दौरान शिवम दुबे ने एक ऐसी गलती भी की जिसको लेकर उन्हें गावस्कर की नाराजगी का शिकार होना पड़ा. शिवम दुबे रन लेते वक्त थ्रो से बचने के लिए कूदे और उन्होंने अपना बल्ला क्रीज पर नहीं रखा. अगर उस वक्त गेंद स्टंप्स पर लग जाती तो वो आउट माने जाते. गावस्कर ने इस बात पर जोर देकर कहाकि उन्हें इस तरह की बुनियादी बातें पता होनी चाहिए. अगले ही ओवर में जब विराट कोहली खुद को पूरा "स्ट्रेच" करते हुए रनआउट से बचे तो गावस्कर को और मौका मिला कि वो अपनी बात और शिवम और विराट के "माइंडसेट" के अंतर को समझा सकें.
शिवम से कहां हुई गलती
रन आउट के अलावा शिवम आखिर में अति आक्रामकता के शिकार हुए. जिस गेंद पर वो आउट हुए उससे ठीक पहले भी वो पोलार्ड को एक आसान कैच दे चुके थे. हालांकि रोशनी से पोलार्ड गेंद को "जज" नहीं कर पाए और उन्होंने गेंद को छोड़ दिया. अगली ही गेंद पर शिवम ने हेटमायर को कैच थमा दिया. जिस गेंद पर शिवम दुबे आउट हुए वो "वाइड बॉल" थी. अगर वो थोड़ा संयम से काम लेते तो निश्चित तौर पर अपनी पारी को और आगे ले जा सकते थे. ये संयम और जरूरी इसलिए है क्योंकि क्रीज के दूसरी तरफ टीम के कप्तान साथ में थे. अगर वो बीस ओवर तक क्रीज पर रहते तो निश्चित तौर पर भारत का स्कोर 200 रनों के पार होता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
शिवम दुबे को ये बहुत जल्दी समझना होगा कि उनकी "स्ट्रेंथ" के मुताबिक टीम में एक जगह तो है क्योंकि अगले साल टी-20 विश्व कप ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर खेला जाना है. वहां टीम को सीमिंग ऑलराउंडर की जरूरत होगी. हार्दिक पांड्या इसके लिए टीम की पहली पसंद हैं, लेकिन एक और खिलाड़ी की तलाश बहुत तेजी से की जा रही है. शिवम दुबे इस जगह को हासिल कर सकते हैं. बशर्ते वो खेल के बुनियादी नियमों को ना भूलें. उन्हें ये तो पता है कि क्या करना है लेकिन वो ये भी समझ सकें कि क्या नहीं करना है.