टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक की कुर्सी पर कब्जा किए अब भारतीय टीम को 24 घंटे का समय बीत चुका है. न्यूजीलैंड के खिलाफ क्लीन स्वीप के बाद सचिन तेंडुलकर ने भारतीय टीम को बधाई देते हुए लिखा था कि आने वाले लंबे समय के लिए नंबर एक बने रहने का ये बेहतरीन मौका है. सवाल ये है कि क्या वाकई भारतीय टीम इस वक्त ऐसी फॉर्म में है कि आने वाले लंबे समय तक उसका दबदबा बरकरार रह सकता है? इस पूरी सीरीज के दौरान टीम इंडिया के खिलाड़ियों के तीन बयान बहुत अहम हैं. इन बयानों का आंकलन कर रहे हैं वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह


इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पूरी टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम चैंपियन की तरह खेली. तीन में से दो टेस्ट मैच चार दिन में ही खत्म हो गए. भारतीय टीम ने इस जीत के साथ ही दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम का ताज भी हासिल कर लिया. इस कामयाबी के पीछे की तीन बड़ी वजहों को समझना होगा. साथ ही उन बयानों को गौर से समझना होगा जो टीम इंडिया की तरफ से आए.


कप्तान विराट कोहली का बदला अंदाज
ये बात जानकर यकीन करना मुश्किल है कि विराट कोहली ने अपने दोहरे शतक की पारी में एक भी शॉट हवा में नहीं खेला. इस बारे में उन्होंने मैच खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया भी कि शतक (माइलस्टोन) पर पहुंचने के बाद अक्सर वो ‘रिएक्ट’ कर देते थे. लेकिन अब उनकी सोच में बदलाव आया है. अब उन्हें समझ आया है कि अगर बल्ले से रन निकल रहे हैं तो लंबी पारियां खेलनी चाहिए. उन्होंने इसका श्रेय टीम के बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ को दिया.


उन्होंने कहा कि संजय बांगड़ हमेशा उनमें ये विश्वास देते रहते हैं कि वो अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं ऐसे में अपना विकेट फेंकने का कोई मतलब नहीं होता है. विराट कोहली जैसे आक्रामक बल्लेबाज की सोच में इस बदलाव का आना उन्हें सही मायनों में एक बड़े टेस्ट बल्लेबाज की श्रेणी में लाता है. उनकी ये सोच सचिन तेंडुलकर की ऑस्ट्रेलिया में खेली गई 2003-04 की उस पारी की याद दिलाती है जब उन्होंने 241 रनों की अपनी पूरी पारी के दौरान एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया था.


भारतीय टीम का लंबा सीजन शुरू हो रहा है. न्यूजीलैंड के बाद उसे इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है. ऐसे में कप्तान कोहली की सोच में आए बदलाव के नतीजे आपको ना सिर्फ उनकी बल्लेबाजी में दिखाई देंगे बल्कि मैदान के नतीजों में भी दिखाई देंगे.


अश्विन की काट खोजना मुश्किल
न्यूजीलैंड की पूरी टीम एक तरफ आर अश्विन एक तरफ. आर अश्विन ने इस सीरीज में रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. उन्होंने अपने करियर के 39वें टेस्ट मैच में ही 21 बार पारी में 5 या 5 से ज्यादा विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया. उन्होंने लगातार तीसरी बार मैन ऑफ द सीरीज का खिताब जीता.


विराट कोहली ने मजाकिया अंदाज में यहां तक कह दिया कि लगता है कि अश्विन अपने खिताब गिनना भूल गए हैं. लेकिन यहां विराट कोहली से ज्यादा अहम बयान आर अश्विन का है. आर अश्विन ने इंदौर टेस्ट के दौरान कहाकि वो भारतीय गेंदबाजी के विराट कोहली बनना चाहते हैं. उनके इस बयान का मतलब समझना होगा. दरअसल क्रिकेट के खेल में एक प्रचलित कहावत ये है कि किसी बल्लेबाज का शतक और गेंदबाज का 5 विकेट का योगदान बराबर होता है.


अश्विन अपने बयान के जरिए यही कहना चाह रहे थे कि जैसे विराट कोहली हर पारी में शतक लगाना चाहते हैं वैसे ही वो हर पारी में 5 विकेट लेना चाहते हैं. अश्विन सिर्फ ऐसी चाहत नहीं रखते बल्कि इस चाहत को चालाकी से पूरा भी करते हैं. उन्होंने 5 या 5 से ज्यादा विकेट लेने के मामले में आधुनिक क्रिकेट के बड़े से बड़े दिग्गज गेंदबाजों को पीछे छोड़ दिया है. शेन वॉर्न, मुथैया मुरलीधरन, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह जैसे दिग्गज उनके आस पास नहीं हैं.


दिलचस्प बात ये भी है कि आर अश्विन ने दो सौ से ज्यादा विकेटों की अपनी टैली में 60 फीसदी से ज्यादा विकेट टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों के लिए हैं. अश्विन का ये प्रदर्शन तब है जब उन्होंने इस सीरीज के सभी मैचों में धीमी शुरूआत की यानि कुछ ओवर गेंदबाजी करने के बाद वो अपनी लय में आए. बल्ले से उनके कारनामे की चर्चा करने की जरूरत ही नहीं है. वो 4 टेस्ट शतक जड़ चुके हैं.


सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं पूरी टीम है चैंपियन
तीसरा अहम बयान भी कप्तान विराट कोहली का ही है. एक आम क्रिकेट प्रेमी इस सीरीज के हीरो के तौर पर आर अश्विन को देख रहा है. विराट कोहली को देख रहा है या फिर अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाजों को देख रहा है जिन्होंने स्कोरबोर्ड पर रन जोड़े लेकिन विराट कोहली अलग नजरिया रखते हैं. उन्होंने कहाकि बड़े प्रदर्शनों की चर्चा तो हर कोई करता है, चर्चा उन छोटे छोटे प्रदर्शनों पर भी होनी चाहिए जो मैच का रूख बदलते हैं.


विराट कोहली ने बाकायदा रवींद्र जडेजा का नाम लिया, जिन्होंने दूसरे टेस्ट मैच में अहम मौकों पर योगदान दिया. विराट कोहली ने रिद्धीमान साहा का नाम लिया, मोहम्मद सामी का नाम लिया. ये सोच इस बात को साबित करती है कि क्रिकेट एक टीम गेम है और इसमें ज्यादातर मौकों पर जीत-हार का फैसला सभी खिलाडियों के प्रदर्शन से होता है. सचिन तेंडुलकर के अरमानों की दास्तान के पीछे ये तीन बयान सब कुछ बखान करते हैं.