पुणे टेस्ट मैच से एक दिन पहले टीम इंडिया की प्रीमैच कॉन्फ्रेंस थी. कप्तान विराट कोहली पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. बात कुलदीप यादव की होने लगी. इसके पीछे की वजह ये थी कि उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज में प्लेइंग 11 में मौका नहीं मिला था.


विशाखापत्तनम टेस्ट में टीम इंडिया आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के साथ मैदान में उतरी थी. ये बात इसलिए और ज्यादा चौंका रही थी क्योंकि कुलदीप यादव ने अपने पिछले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच विकेट लिए थे. खैर, विराट कोहली ने इस मुद्दे पर बहुत खुलकर अपनी बात रखी.


उन्होंने कहा- कुलदीप को पता है कि उन्हें अंतिम 11 में जगह क्यों नहीं मिली. 'टीम में कोई भी स्वार्थी नहीं है और हर कोई यह सोचता है कि वह टीम के लिए क्या कर सकता है. कुलदीप के बारे में भी ऐसा ही है. वह समझता है कि भारत में खेलते समय अश्विन और जडेजा हमारी पहली पसंद होंगे क्योंकि वे बल्ले से भी योगदान देने में सक्षम हैं.


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विराट कोहली के इस बयान के कुछ ही घंटों के भीतर उनके सामने वो हालात आ गए जहां उन्हें आगे बढ़कर ये मिसाल देनी पड़ी कि सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि टीम के कप्तान भी स्वार्थी नहीं हैं.


तिहरे शतक के लिए नहीं किया इंतजार


पुणे टेस्ट में विराट कोहली शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे. टेस्ट मैच में उन्होंने लंबे समय से शतक नहीं लगाया था. विशाखापत्तनम टेस्ट में भी पहली पारी में वो सस्ते में आउट हो गए थे. दूसरी पारी में उन्होंने नॉट आउट 31 रन बनाए थे. लेकिन पुणे में उन्होंने दमदार शुरूआत की. आत्मविश्वास से भरपूर विराट कोहली ने 2019 का अपना पहला टेस्ट शतक लगाया.


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इस शतक को पूरा करने में उन्होंने 173 गेंद खेली. इसके बाद 295 गेंद पर विराट कोहली ने अपना दोहरा शतक पूरा कर लिया. ये विराट कोहली के टेस्ट करियर का सातवां दोहरा शतक था. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने पहला दोहरा शतक लगाया. अगली 39 गेंदों पर उन्होंने 50 रन जोड़े. विराट का स्कोर हो गया 250. विराट बहुत तेजी से अपने तिहरे शतक की तरफ बढ़ रहे थे.


विकेट के दूसरे छोर पर रवींद्र जडेजा अपने शतक की तरफ बढ़ रहे थे. भारतीय टीम का स्कोर 600 रनों के करीब पहुंच चुका था. विराट कोहली की प्लानिंग यही थी कि पहले रवींद्र जडेजा का शतक पूरा होने दिया जाए और उसके बाद सोचा जाए कि अपने तिहरे शतक को लेकर क्या करना है. लेकिन जैसे ही रवींद्र जडेजा 91 के स्कोर पर आउट हुए विराट कोहली ने पारी समाप्ति का एलान कर दिया.


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भारतीय टीम का स्कोर पांच विकेट पर 601 रन हो चुका था. क्रिकेट जगत के लिए ये चौंकाने वाली बात थी कि एक कप्तान जिसने अपने करियर में एक भी तिहरा शतक नहीं लगाया है, जो तिहरे शतक से सिर्फ 46 रन दूर है. टेस्ट मैच में अभी तीन दिन से ज्यादा का समय बचा हुआ है.


जिस कप्तान के पास सीरीज में 1-0 की बढ़त भी है और जिस कप्तान को अगले 46 रन जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा 5-7 ओवर और बल्लेबाजी करनी पड़ती. लेकिन विराट कोहली ने बड़ा फैसला किया. उन्होंने तिहरे शतक की व्यक्तिगत उपलब्धि को नजरअंदाज कर भारतीय पारी को डिक्लेयर कर दिया.


खुद आगे बढ़कर मिसाल पेश करते हैं विराट


ये कहानी 2016 की है. भारतीय टीम ने मुंबई में इंग्लैंड को पारी और 36 रनों के बड़े अंतर से हराया था. इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने सीरीज पर भी कब्जा किया था. विराट कोहली ने उस टेस्ट मैच में शानदार दोहरा शतक जड़ा था. उस जीत के बाद विराट कोहली ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बहुत बड़ी बात कही थी. विराट कोहली ने कहा था कि टेस्ट टीम की कप्तानी संभालने के बाद उन्होंने साथी खिलाड़ियों के साथ ‘कम्यूनिकेशन’ पर काफी ध्यान दिया.


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उन्होंने खिलाड़ियों को समझाया कि टेस्ट क्रिकेट में कई बार मैदान में कुछ समय ऐसा मिलता है जब आप अपनी काबिलियत से मैच का रूख अपनी टीम की तरफ मोड़ सकते हैं लेकिन आप ऐसा इसलिए नहीं करते क्योंकि आपको अपना कोई व्यक्तिगत रिकॉर्ड दिख रहा होता है. अगर उस वक्त उस व्यक्तिगत उपलब्धि की फिक्र किए बिना टीम के लिए खेला जाए तो कामयाबी निश्चित तौर पर मिलेगी.


विराट ने ये भी कहा कि वो इस सोच को खिलाड़ियों के दिमाग से निकालने में कामयाब हुए हैं. करीब 3 साल बाद विराट ने यही बात साबित की. उन्होंने अपने गेंदबाजों को इतना वक्त दिया है कि वो एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका के बीस विकेट लेकर टीम को दूसरे टेस्ट में भी जीत दिलाएं.