मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों की तारीखों की एलान के साथ ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने खंडवा लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस लेकर पार्टी को असमंजस में डाल दिया है. इसके पहले कांग्रेस की जोबट से पूर्व विधायक सुलोचना रावत अपने बेटे के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं. कांग्रेस का दावा है कि इससे साफ हो गया कि बीजेपी के पास प्रत्याशी ही नहीं हैं, जो कांग्रेस से प्रत्याशी तोड़कर अपना बना रही है. उधर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस से लोग छोड़ छोड़कर जा रहे हैं तो इसमें बीजेपी का कोई दोष नहीं हैं.


कांग्रेस नेता अरुण यादव का रविवार की रात को आया ट्वीट कांग्रेस में धमाके की तरह था जिसमें कहा गया कि पारिवारिक कारणों से खंडवा लोकसभा चुनावों में वो अपनी दावेदारी वापस लेते हैं. जबकि उन्होंने लोकसभा के लिए प्रचार शुरू कर दिया था. उन्होंने आज इंदौर में पत्रकारों से कहा कि निजी कारणों से चुनाव से हट रहा हूं, चार बार लोकसभा चुनाव लड़ा है अब किसी युवा को मैदान में उतारा जाए.


बता दें कि अरुण यादव एक बार खंडवा से सांसद रह चुके हैं और तीन चुनाव यहां से ही लड़े हैं. अरुण ने यहां से अपना प्रचार पिछले दिनों ज़ोरों से शुरू किया था और अचानक उनके इस तरह से हटने पर अब सवाल किए जा रहे हैं. उनके इस तरह मैदान से हटने पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की उपेक्षा ही ओबीसी वर्ग के बड़े नेता अरुण यादव के इस तरह हटने का कारण है, बीजेपी का इससे कुछ लेना देना नहीं हैं.


अरुण यादव से पहले शनिवार की रात को ही कांग्रेस की पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री सुलोचना रावत अपने बेटे के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में उनके घर जाकर बीजेपी में शामिल हो गई थीं. सुलोचना को जोबट से कांग्रेस टिकट देने का सोच रही थी, ये भी कांग्रेस के लिए झटका था. अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी के पास प्रत्याशी ही नहीं हैं.


मध्य प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीटों पर इस महीने के आखिर में उपचुनाव होने वाले हैं और दोनों पार्टियों में चुनाव को लेकर बिसात बिछने लगी है. लेकिन शुरुआती दिनों में ही कांग्रेस को जिस तरीके से झटके लग रहे हैं उससे कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ती जा रही है.


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